भीलवाड़ा. पुलिस का माल गोदाम (हथियार शाखा) भी अब सुरक्षित नहीं रहा है. भीलवाड़ा शहर में स्थित (weapons missing from Bhilwara police arms branch) पुलिस लाइन की हथियार शाखा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. इसमें 317 हथियारों के गायब होने के साथ-साथ हथियारों के पार्ट्स गायब होने, बैरल की जगह पाइप और कुछ नकली हथियार भी संख्या पूरी करने के लिए रख दिए गए थे. भीलवाड़ा पुलिस ने हथियार शाखा प्रभारी के खिलाफ प्रताप नगर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है.
भीलवाड़ा पुलिस लाइन हथियार शाखा में लगभग पांच दशक से जमा पिस्टल, 12 बोर बंदूक, देसी कट्टा, रिवाल्वर और राइफल जैसे हथियारों के कम होने व उनके पार्ट्स गायब होने का मामला सामने आया है. हथियारों के भौतिक सत्यापन के लिए गठित दो कमेटियों की 3 महीनों की जांच के बाद यह घोटाला उजागर हुआ. पुलिस लाइन के अमानती और जप्त सरकारी हथियार शाखा के प्रभारी हेड कॉन्स्टेबल शंकर लाल 31 अक्टूबर 2022 को रिटायर हो रहे थे. चार्ज दूसरे हेड कांस्टेबल महावीर प्रसाद को दिए जाने से पूर्व 28 जुलाई 2022 को भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक आदर्श सिद्धू ने इन हथियारों के भौतिक सत्यापन के लिए एक कमेटी गठित कर दी थी.
कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंगल और (317 weapons missing from arms branch) डबल बैरल की 135 बंदूकें, 12 बोर के 3 तमंचे, 8 पिस्टल, 3 अन्य सिंगल और डबल बैरल की 141 पिस्टल, 12 बोर की 4 बंदूकें, 12 बोर बैरल, 4 राइफल, 7 राइफल 8 बैरल, 12 बोर के 8 तमंचे कम पाए गए, जो रिकॉर्ड में फर्जी तरीके से चढ़ाए गए हैं. अधिकतर हथियारों का मेक बॉडी नंबर या किसी प्रकार की निशानी रजिस्टर में अंकित नहीं की गई. कई हथियार भौतिक सत्यापन के दौरान रिकॉर्ड के अनुसार नहीं मिले और उनकी संख्या भी कम मिली.
अमानती व जब्त हथियार में अंतर
अमानती हथियार : रियासतों के समय राज परिवारों या युद्ध लड़ने वाले परिवारों के वंशजों के पास जो हथियार आर्म्स एक्ट लागू होने के बाद सरकार ने जमा कर लिए थे.
जब्त हथियार : मुकदमों में या पुलिस कार्रवाई के समय पुलिस की ओर से जब्त किए गए हथियार.
पढ़ें. झालावाड़ में फायरिंग के मामले में अवैध हथियार तस्कर समेत 4 गिरफ्तार
इस पूरे मामले पर भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक आदर्श सिद्धू ने कहा कि पुलिस लाइन माल खाना के अंदर अमानती और जब्ती हथियार काफी लंबे समय के अंतराल में जमा हुए थे. कुछ हथियार 40-50 साल पुराने भी हैं. उनका जब निरीक्षण किया गया और गिनती की गई तो हथियार कम मिले. इसे गंभीरता से लिया गया है. विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ पुलिस मामला भी दर्ज करवाया गया है. पिछले 8-10 साल से जो इसके इंचार्ज थे उनकी भूमिका के बारे में भी अनुसंधान किया जा रहा है.