ETV Bharat / state

संभाग की 14 लाख हैक्टेयर रबी फसलों पर पाले का खतरा, किसान ऐसे करें फसलों का बचाव - पाला पड़ने की चेतावनी

भरतपुर संभाग में कृषि विभाग ने पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है. साथ ही फसलों को पाले से बचाने के लिए टिप्स भी साझा किए गए हैं.

warning of frost in Bharatpur
फसलों पर पाले का खतरा
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 5, 2024, 6:29 PM IST

Updated : Jan 5, 2024, 7:16 PM IST

फसलों को पाले से बचाने के लिए टिप्स

भरतपुर. संभाग में बीते करीब एक सप्ताह से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और कोहरा छाया रहता है. संभाग में कड़ाके की सर्दी को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है. इस बार संभाग के भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, गंगापुर और डीग जिलों में करीब 14 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलों की बुवाई की गई है. ऐसे में पाला पड़ने की आशंका देखते हुए किसान समय रहते फसलों के बचाव के उपाय कर सकते हैं. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने फसलों के बचाव के कई उपाय साझा किए हैं.

संभाग में रवि फसलों का रकबा:

  1. 9 लाख, 18 हजार हेक्टेयर में सरसों
  2. 4 लाख 71 हजार हेक्टेयर में गेंहू
  3. 10 हजार हेक्टेयर में आलू की बुवाई हुई है

पढ़ें: कोहरे से रबी की फसलों को फायदा, लेकिन ठंड से पाला पड़ने का डर, ये करें उपाय

संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि पाला पड़ने की सम्भावना पर फसलों में हल्की सिंचाई करें. खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायु रोधी टाटियां इस्तेमाल करें और दक्षिण पश्चिम दिशा में धुंआ भी कर सकते हैं. इससे शीतलहर और पाले का प्रभाव कम होगा. साथ ही एक लीटर पानी में 1 मिलीलीटर गंधक के हिसाब से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें. इससे फसल को 15 दिन तक पाले और शीतलहर से सुरक्षित बनाया जा सकता है. उपनिदेशक उद्यान जनकराज मीणा ने बताया कि उद्यानिकी फसलों पर लो टनल का इस्तेमाल करें. साथ ही उद्यानिकी फसलों व सरसों, गेंहू, चना व आलू की फसल पर थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम प्रति लीटर) के हिसाब से छिड़काव करें.

पढ़ें: शीतलहर का प्रकोप: करौली के ग्रामीण इलाकों में पाला पड़ने से खड़ी फसलें खराब, किसान चिंतित

मीणा ने बताया कि इन उपायों के बाबजूद यदि किसी फसल में पाले का नुकसान होता है, तो किसान तुरन्त खड़ी फसल में 25 से 30 ग्राम ग्लूकोज प्रति टंकी (15 लीटर) की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें. इसके अलावा एनपीके 18: 18:18 या 19:19:19 या 20:20:20 की 100 ग्राम प्रति टंकी (15 लीटर) की मात्रा 25 ग्राम एग्रोमीन के साथ मिलाकर प्रभावित फसल पर छिडकाव करें. इससे पाले से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. गौरतलब है कि गत वर्ष सर्दियों में सरसों और आलू की फसल में पाले की वजह से काफी नुकसान देखने को मिला था. इसलिए इस बार किसान समय रहते ये उपाय कर के फसलों में होने वाले नुकसान से बचाव कर सकते हैं.

बूंदी में शीतलहर को लेकर एडवाइजरी जारी: बूंदी में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से शीतलहर से बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश और एडवाइजरी जारी की है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ पी सामर ने बताया कि शीत लहर दिसंबर और जनवरी में घटित होती है, जिसके चलते सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने के साथ-साथ यदा कदा जनहानि होने की आशंका है.

पढ़ें: राजस्थान में शीतलहर ने छुड़ाई कंपकंपी, 20 जिलों में कोहरे का येलो और ऑरेंज अलर्ट

दिव्यांग व्यक्तियों, दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीत लहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि शीतलहर अथवा पाले से बचाव के लिए गर्म वस्त्र एवं कई परतों में कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए. जहां तक हो सके घर के बाहर कार्य के लिए दिन में निकले. स्वयं को व बच्चों को उपलब्ध ऊनी कपड़ों से ढकें.

शीतलहर में अधिकतर गर्म भोजन का सेवन करें और खाद्य पदार्थ जैसे गुड़, तिल, चिकनाई, चाय, कॉफी आदि का सेवन करें. शारीरिक श्रम अधिक करें. सुबह व्यायाम करें. तेल की मालिश करें. जिस शीतलहर से प्रभावित व्यक्ति को कम्बल, रजाई आदि से ढ़कें. पास में अंगीठी, हीटर आदि जलाएं. गर्म पेय पदार्थ गुड़, चाय, चिकनाई (घी), कॉफी, तेल का अधिक उपयोग करें, गर्म पानी की थैली उपलब्ध होतो उससे सेक करें. बाद में पास के चिकित्सालय में दिखाएं.

फसलों को पाले से बचाने के लिए टिप्स

भरतपुर. संभाग में बीते करीब एक सप्ताह से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और कोहरा छाया रहता है. संभाग में कड़ाके की सर्दी को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है. इस बार संभाग के भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, गंगापुर और डीग जिलों में करीब 14 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलों की बुवाई की गई है. ऐसे में पाला पड़ने की आशंका देखते हुए किसान समय रहते फसलों के बचाव के उपाय कर सकते हैं. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने फसलों के बचाव के कई उपाय साझा किए हैं.

संभाग में रवि फसलों का रकबा:

  1. 9 लाख, 18 हजार हेक्टेयर में सरसों
  2. 4 लाख 71 हजार हेक्टेयर में गेंहू
  3. 10 हजार हेक्टेयर में आलू की बुवाई हुई है

पढ़ें: कोहरे से रबी की फसलों को फायदा, लेकिन ठंड से पाला पड़ने का डर, ये करें उपाय

संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि पाला पड़ने की सम्भावना पर फसलों में हल्की सिंचाई करें. खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायु रोधी टाटियां इस्तेमाल करें और दक्षिण पश्चिम दिशा में धुंआ भी कर सकते हैं. इससे शीतलहर और पाले का प्रभाव कम होगा. साथ ही एक लीटर पानी में 1 मिलीलीटर गंधक के हिसाब से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें. इससे फसल को 15 दिन तक पाले और शीतलहर से सुरक्षित बनाया जा सकता है. उपनिदेशक उद्यान जनकराज मीणा ने बताया कि उद्यानिकी फसलों पर लो टनल का इस्तेमाल करें. साथ ही उद्यानिकी फसलों व सरसों, गेंहू, चना व आलू की फसल पर थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम प्रति लीटर) के हिसाब से छिड़काव करें.

पढ़ें: शीतलहर का प्रकोप: करौली के ग्रामीण इलाकों में पाला पड़ने से खड़ी फसलें खराब, किसान चिंतित

मीणा ने बताया कि इन उपायों के बाबजूद यदि किसी फसल में पाले का नुकसान होता है, तो किसान तुरन्त खड़ी फसल में 25 से 30 ग्राम ग्लूकोज प्रति टंकी (15 लीटर) की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें. इसके अलावा एनपीके 18: 18:18 या 19:19:19 या 20:20:20 की 100 ग्राम प्रति टंकी (15 लीटर) की मात्रा 25 ग्राम एग्रोमीन के साथ मिलाकर प्रभावित फसल पर छिडकाव करें. इससे पाले से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. गौरतलब है कि गत वर्ष सर्दियों में सरसों और आलू की फसल में पाले की वजह से काफी नुकसान देखने को मिला था. इसलिए इस बार किसान समय रहते ये उपाय कर के फसलों में होने वाले नुकसान से बचाव कर सकते हैं.

बूंदी में शीतलहर को लेकर एडवाइजरी जारी: बूंदी में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से शीतलहर से बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश और एडवाइजरी जारी की है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ पी सामर ने बताया कि शीत लहर दिसंबर और जनवरी में घटित होती है, जिसके चलते सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने के साथ-साथ यदा कदा जनहानि होने की आशंका है.

पढ़ें: राजस्थान में शीतलहर ने छुड़ाई कंपकंपी, 20 जिलों में कोहरे का येलो और ऑरेंज अलर्ट

दिव्यांग व्यक्तियों, दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीत लहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि शीतलहर अथवा पाले से बचाव के लिए गर्म वस्त्र एवं कई परतों में कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए. जहां तक हो सके घर के बाहर कार्य के लिए दिन में निकले. स्वयं को व बच्चों को उपलब्ध ऊनी कपड़ों से ढकें.

शीतलहर में अधिकतर गर्म भोजन का सेवन करें और खाद्य पदार्थ जैसे गुड़, तिल, चिकनाई, चाय, कॉफी आदि का सेवन करें. शारीरिक श्रम अधिक करें. सुबह व्यायाम करें. तेल की मालिश करें. जिस शीतलहर से प्रभावित व्यक्ति को कम्बल, रजाई आदि से ढ़कें. पास में अंगीठी, हीटर आदि जलाएं. गर्म पेय पदार्थ गुड़, चाय, चिकनाई (घी), कॉफी, तेल का अधिक उपयोग करें, गर्म पानी की थैली उपलब्ध होतो उससे सेक करें. बाद में पास के चिकित्सालय में दिखाएं.

Last Updated : Jan 5, 2024, 7:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.