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कामां : बनी क्षेत्र की भूमि के बेचान के विरोध में ग्रामीण, आंदोलन की चेतावनी

भरतपुर के कामां में बनी क्षेत्र की भूमि के बेचान के विरोध में ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. यह भूमि ग्रामीणों के लिए धार्मिक आस्था से जुड़ी है और वे इसके बेचान के खिलाफ हैं. ग्रामीणों का कहना है, कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे आंदोलन करेंगे.

भरतपुर न्यूज, bharatpur news
सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
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Published : Feb 17, 2020, 9:26 PM IST

कामां (भरतपुर). जिले के कामां क्षेत्र के गांव मुरार में बनी क्षेत्र की भूमि की रजिस्ट्री रुकवाने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय पर पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर रजिस्ट्री रुकवाने की मांग की.

सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

ग्रामीणों ने बताया, कि कामां क्षेत्र के गांव मुरार में खसरा नंबर 186, 187, 188, 191, 195, 192, किता-6 रकबा 20.51 हेक्टेयर को सैकड़ों वर्ष पूर्व रखवा ने राजस्व जमीन को वनी क्षेत्र के लिए मौखिक रूप से दान में दिया था.

इस वन भूमि में सैकड़ों वर्ष पुराना हनुमान मंदिर भी बना हुआ है और हजारों की संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर यहां रहते हैं. यहां तपोभूमि होने के कारण इसको ग्रामवासी सार्वजनिक और धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ स्थान मानते हैं. धार्मिक आस्था से जुड़ा होने के कारण इसमें लगे हुए पेड़ों की टहनियों और पत्तों तक को नहीं तोड़ते हैं.

वहीं अब रखवा धारियों के वंशज, जिनके नाम उनके पूर्वजों की निजी खातेदारी में आती थी, वह लोग बनी को किसी निजी उद्योगपति को फैक्ट्री लगाने के लिए बेचना चाहते हैं.

पढ़ें- कोरोना का खौफ: चीन से नागौर लौटे हैं चार मेडिकल विद्यार्थी

इस संबंध में सभी ग्राम वासी पहले भी उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं और तहसीलदार कामां ने मौका देखकर उस जगह पर सैकड़ों वर्ष से किसी प्रकार की काश्तकारी होना नहीं पाया है.

इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों ने एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर रजिस्ट्री नहीं कराने की मांग की है. साथ ही चेतावनी भी दी गई है, कि अगर इसकी रजिस्ट्री की गई तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी.


ग्राम पंचायत पूर्व में ले चुकी है प्रस्ताव

बनी मुल्लाका मुरार जंगलात के संदर्भ में ग्राम पंचायत कनवाड़ा 20 जुलाई 2019 को ग्राम पंचायत की सभा में प्रस्ताव ले चुकी है, जिसमें उल्लेख किया गया है, कि बनी के अधीन जमीन ग्राम पंचायत कनवाड़ा में आती है.


तहसीलदार ने भेजी उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट

तहसीलदार द्वारा भूमि से संबंधित उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है, जिसमें अवगत कराया गया है, कि उस भूमि पर उपखंड अधिकारी कामां का स्थगन आदेश प्राप्त है. खातेदारों का मौके पर कब्जा नहीं है.

आसपास के गांव के ग्रामीण इस भूमि को धार्मिक मानते हैं. ग्रामवासियों का कहना है, कि इस भूमि पर कभी भी काश्त नहीं हुई है. यह भूमि हमेशा से ही पशुओं के चरने फिरने के काम आती है.

पढ़ें- विधानसभा में पर्चे फाड़ने की घटना असभ्य, यह कोई यूपी-बिहार का सदन नहीं : उपमुख्य सचेतक

मान्यता के अनुसार इस भूमि से कभी भी हरे वृक्षों को नहीं काटा गया है. ग्रामवासी इस भूमि के बेचान के विरुद्ध हैं. उनका कहना है, कि बेचान होने से इस भूमि के सारे पेड़-पौधे काट दिए जाएंगे. वहीं ग्रामवासियों का कहना है, कि क्रेता द्वारा कब्जा लेने के दौरान मौके पर झगड़ा होने और शांति भंग होने की पूरी संभावना है.


ग्रामीणों ने जमकर किया प्रदर्शन

सैकड़ों की संख्या में एसडीएम कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए. साथ ही एसडीएम बनवारीलाल शर्मा को ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर बनी भूमि का पंजीयन नहीं करने की मांग की है.

कामां (भरतपुर). जिले के कामां क्षेत्र के गांव मुरार में बनी क्षेत्र की भूमि की रजिस्ट्री रुकवाने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय पर पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर रजिस्ट्री रुकवाने की मांग की.

सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

ग्रामीणों ने बताया, कि कामां क्षेत्र के गांव मुरार में खसरा नंबर 186, 187, 188, 191, 195, 192, किता-6 रकबा 20.51 हेक्टेयर को सैकड़ों वर्ष पूर्व रखवा ने राजस्व जमीन को वनी क्षेत्र के लिए मौखिक रूप से दान में दिया था.

इस वन भूमि में सैकड़ों वर्ष पुराना हनुमान मंदिर भी बना हुआ है और हजारों की संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर यहां रहते हैं. यहां तपोभूमि होने के कारण इसको ग्रामवासी सार्वजनिक और धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ स्थान मानते हैं. धार्मिक आस्था से जुड़ा होने के कारण इसमें लगे हुए पेड़ों की टहनियों और पत्तों तक को नहीं तोड़ते हैं.

वहीं अब रखवा धारियों के वंशज, जिनके नाम उनके पूर्वजों की निजी खातेदारी में आती थी, वह लोग बनी को किसी निजी उद्योगपति को फैक्ट्री लगाने के लिए बेचना चाहते हैं.

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इस संबंध में सभी ग्राम वासी पहले भी उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं और तहसीलदार कामां ने मौका देखकर उस जगह पर सैकड़ों वर्ष से किसी प्रकार की काश्तकारी होना नहीं पाया है.

इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों ने एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर रजिस्ट्री नहीं कराने की मांग की है. साथ ही चेतावनी भी दी गई है, कि अगर इसकी रजिस्ट्री की गई तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी.


ग्राम पंचायत पूर्व में ले चुकी है प्रस्ताव

बनी मुल्लाका मुरार जंगलात के संदर्भ में ग्राम पंचायत कनवाड़ा 20 जुलाई 2019 को ग्राम पंचायत की सभा में प्रस्ताव ले चुकी है, जिसमें उल्लेख किया गया है, कि बनी के अधीन जमीन ग्राम पंचायत कनवाड़ा में आती है.


तहसीलदार ने भेजी उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट

तहसीलदार द्वारा भूमि से संबंधित उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है, जिसमें अवगत कराया गया है, कि उस भूमि पर उपखंड अधिकारी कामां का स्थगन आदेश प्राप्त है. खातेदारों का मौके पर कब्जा नहीं है.

आसपास के गांव के ग्रामीण इस भूमि को धार्मिक मानते हैं. ग्रामवासियों का कहना है, कि इस भूमि पर कभी भी काश्त नहीं हुई है. यह भूमि हमेशा से ही पशुओं के चरने फिरने के काम आती है.

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मान्यता के अनुसार इस भूमि से कभी भी हरे वृक्षों को नहीं काटा गया है. ग्रामवासी इस भूमि के बेचान के विरुद्ध हैं. उनका कहना है, कि बेचान होने से इस भूमि के सारे पेड़-पौधे काट दिए जाएंगे. वहीं ग्रामवासियों का कहना है, कि क्रेता द्वारा कब्जा लेने के दौरान मौके पर झगड़ा होने और शांति भंग होने की पूरी संभावना है.


ग्रामीणों ने जमकर किया प्रदर्शन

सैकड़ों की संख्या में एसडीएम कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए. साथ ही एसडीएम बनवारीलाल शर्मा को ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर बनी भूमि का पंजीयन नहीं करने की मांग की है.

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