भरतपुर. भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ सोमवार को भरतपुर दौरे पर रहीं. यहां उन्होंने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण किया और पक्षियों की अठखेलियां देखीं. साथ ही केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में स्थित ऐतिहासिक केवलादेव शिव मंदिर में पूजा अर्चना भी की. करीब 1 घंटे तक सुदेश धनखड़ ने उद्यान में पक्षियों और प्रकृति को निहारा.
डीएफओ नाहर सिंह ने बताया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ सोमवार दोपहर करीब 12.30 बजे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पहुंचीं. यहां उन्होंने पूरी सुरक्षा के साथ गोल्फ कार्ट में बैठकर उद्यान का भ्रमण किया. इस दौरान उन्होंने बायनाकुलर से पक्षियों को निहारा. पेंटेड स्टार्क के नेस्ट में नवजात पक्षियों और जलाशयों में पक्षियों की अठखेलियां देख सुदेश अभिभूत हो गईं.
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केवलादेव शिव मंदिर में की पूजा : उन्होंने बताया कि सुदेश धनखड़ ने उद्यान के ऐतिहासिक शिव मंदिर में पूजा आराधना की. इसके बाद उद्यान के डॉ सालिम अली सेंटर का भी भ्रमण किया. करीब दोपहर 1.45 बजे उपराष्ट्रपति की पत्नी उद्यान से रवाना हो गईं. रविवार को उप राष्ट्रपति की पत्नी सुदेश धनखड़ ने गोवर्धन पहुंच कर गोवर्धन जी की परिक्रमा भी लगाई थी. साथ ही दानघाटी और बांके बिहारी मंदिर में दर्शन किए. इसके बाद सुदेश धनखड़ भरतपुर पहुंची थीं. भरतपुर दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए. उद्यान भ्रमण के दौरान घना डीएफओ नाहर सिंह, यूआईटी सचिव कमल राम मीणा और अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
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केवलादेव शिव मंदिर का इतिहास : मंदिर के पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया कि प्राचीन समय में केवलादेव उद्यान जंगल में आसपास के लोग पशु चराने आते थे. इसी दौरान एक पशुपालक की गाय जंगल में हर दिन एक केले के पेड़ के नीचे जाकर दूध देने लगती थी. उसके थन से स्वतः दूध निकलने लगता था. एक दिन किसान ने गाय का पीछा किया और स्वयं पूरी घटना देखी.
पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया कि उस समय महाराजा सूरजमल जंगल में शिकार के लिए निकलते थे. एक दिन पशुपालक ने महाराजा सूरजमल को पूरी घटना की जानकारी दी. इस पर महाराजा सूरजमल ने उसी केले के पेड़ के नीचे की जगह को खुदवाया तो वहां से एक शिवलिंग निकला. काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग को जमीन से उखाड़ा नहीं जा सका. ऐसे में महाराजा सूरजमल ने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कराकर केवलादेव शिव मंदिर का निर्माण करा दिया.