ETV Bharat / state

ढाई साल बाद मूल गर्भगृह में लौटे श्री बांके बिहारी, मार्बल के सिंहासन पर विराजे - Etv Bharat Rajasthan News

ढाई साल से श्री बांके बिहारी मंदिर के अस्थाई गर्भगृह में विराजमान भरतपुर के ईष्ट देव श्री बांके बिहारी अपने मूल गर्भगृह लौट आए. प्रतिष्ठा से पहले बांके बिहारी की प्रभात फेरी निकाली गई.

Shri Banke Bihari returned to the garbhagriha
मूल गर्भगृह में लौटे श्री बांके बिहारी
author img

By

Published : Nov 28, 2022, 1:31 PM IST

भरतपुर. ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद सोमवार दोपहर को भरतपुर के ईष्ट देव श्री बांके बिहारी अपने मूल गर्भगृह में विराजमान हुए (Banke Bihari returned to the garbhagriha). मंदिर के नव निर्माण के चलते बीते ढाई साल से श्री बांके बिहारी मंदिर के अस्थाई गर्भगृह में विराजमान थे. मंत्रोच्चार और पूरे विधि विधान के साथ श्री बांके बिहारी के विग्रह को जिला कलेक्टर आलोक रंजन के हाथों मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया.

प्राण प्रतिष्ठा से पहले सोमवार सुबह श्री बांके बिहारी की शहर में प्रभात फेरी निकाली गई. उसके बाद मंदिर परिसर में पांच विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ किया. पूरे विधि विधान के साथ जिला कलेक्टर आलोक रंजन से श्री बांके बिहारी के विग्रह को नवनिर्मित मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया. इस दौरान पूरा मंदिर परिसर मंत्रोच्चार और झालर घंटों की ध्वनियों से गुंजायमान हो गया.

Shri Banke Bihari returned to the garbhagriha
मूल गर्भगृह में लौटे श्री बांके बिहारी

ऐसा है बांके बिहारी का सिंहासन - आरएसआरडीसी के सहायक अभियंता अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि मंदिर में 27.9 फीट लंबे और 12.9 फीट लंबे गर्भगृह का नवनिर्माण किया गया है. यह मूल गर्भगृह के स्थान पर ही तैयार किया गया है. इसमें 10×5 फीट का मकराना मार्बल से अत्यंत सुंदर सिंहासन का निर्माण कराया गया है. इसी सिंहासन पर बांके बिहारी विराजमान (Banke Bihari sat on the throne of Makrana marble) हुए हैं. सिंहासन के ऊपर मकराना पत्थर से ही निर्मित छतरी भी है.

पढ़ें- Radhashtami 2022: भरतपुर का श्री बांके बिहारी मंदिर, यहां राधाष्टमी पर ही होते हैं राधा रानी के श्री चरणों के दर्शन

अद्भुत इतिहास है श्री बांके बिहारी का - मंदिर के पुजारी मनोज भारद्वाज ने बताया कि श्री बांके बिहारी जी के श्री विग्रह (प्रतिमा) का इतिहास (History of Shri Banke Bihari) करीब 600 वर्ष पुराना है. नागा बाबा कल्याणगिरी चिंतामणि एक बार यमुना में स्नान कर रहे थे और उसी दौरान श्री बांके बिहारी का विग्रह/प्रतिमा उनकी गोदी में आकर विराज गया. उसके बाद नागा बाबा बांके बिहारी जी को बैलगाड़ी में लेकर वृंदावन से निकल पड़े और उस बैलगाड़ी का पहिया वर्तमान मंदिर के स्थान पर आकर रुक गया. नागा बाबा ने यहीं पर श्री बांके बिहारी जी के विग्रह की स्थापना कर दी.

पढ़ें- नागा साधु ने की थी बांके बिहारी मंदिर की स्थापना, दिलचस्प है 600 वर्ष पुराना इतिहास

सवा दस करोड़ में हुआ पुनर्निर्माण - श्री बांके बिहारी जी मंदिर का बीते करीब 4 वर्ष से पूरा निर्माण कार्य चल रहा था. मंदिर का निर्माण सवा दस करोड़ की लागत से राम मंदिर की तर्ज पर कराया गया है. मंदिर में नक्काशी व मेहराब प्राचीन शैली के मंदिरों की तर्ज पर तैयार कराए गए हैं.

भरतपुर. ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद सोमवार दोपहर को भरतपुर के ईष्ट देव श्री बांके बिहारी अपने मूल गर्भगृह में विराजमान हुए (Banke Bihari returned to the garbhagriha). मंदिर के नव निर्माण के चलते बीते ढाई साल से श्री बांके बिहारी मंदिर के अस्थाई गर्भगृह में विराजमान थे. मंत्रोच्चार और पूरे विधि विधान के साथ श्री बांके बिहारी के विग्रह को जिला कलेक्टर आलोक रंजन के हाथों मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया.

प्राण प्रतिष्ठा से पहले सोमवार सुबह श्री बांके बिहारी की शहर में प्रभात फेरी निकाली गई. उसके बाद मंदिर परिसर में पांच विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ किया. पूरे विधि विधान के साथ जिला कलेक्टर आलोक रंजन से श्री बांके बिहारी के विग्रह को नवनिर्मित मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया. इस दौरान पूरा मंदिर परिसर मंत्रोच्चार और झालर घंटों की ध्वनियों से गुंजायमान हो गया.

Shri Banke Bihari returned to the garbhagriha
मूल गर्भगृह में लौटे श्री बांके बिहारी

ऐसा है बांके बिहारी का सिंहासन - आरएसआरडीसी के सहायक अभियंता अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि मंदिर में 27.9 फीट लंबे और 12.9 फीट लंबे गर्भगृह का नवनिर्माण किया गया है. यह मूल गर्भगृह के स्थान पर ही तैयार किया गया है. इसमें 10×5 फीट का मकराना मार्बल से अत्यंत सुंदर सिंहासन का निर्माण कराया गया है. इसी सिंहासन पर बांके बिहारी विराजमान (Banke Bihari sat on the throne of Makrana marble) हुए हैं. सिंहासन के ऊपर मकराना पत्थर से ही निर्मित छतरी भी है.

पढ़ें- Radhashtami 2022: भरतपुर का श्री बांके बिहारी मंदिर, यहां राधाष्टमी पर ही होते हैं राधा रानी के श्री चरणों के दर्शन

अद्भुत इतिहास है श्री बांके बिहारी का - मंदिर के पुजारी मनोज भारद्वाज ने बताया कि श्री बांके बिहारी जी के श्री विग्रह (प्रतिमा) का इतिहास (History of Shri Banke Bihari) करीब 600 वर्ष पुराना है. नागा बाबा कल्याणगिरी चिंतामणि एक बार यमुना में स्नान कर रहे थे और उसी दौरान श्री बांके बिहारी का विग्रह/प्रतिमा उनकी गोदी में आकर विराज गया. उसके बाद नागा बाबा बांके बिहारी जी को बैलगाड़ी में लेकर वृंदावन से निकल पड़े और उस बैलगाड़ी का पहिया वर्तमान मंदिर के स्थान पर आकर रुक गया. नागा बाबा ने यहीं पर श्री बांके बिहारी जी के विग्रह की स्थापना कर दी.

पढ़ें- नागा साधु ने की थी बांके बिहारी मंदिर की स्थापना, दिलचस्प है 600 वर्ष पुराना इतिहास

सवा दस करोड़ में हुआ पुनर्निर्माण - श्री बांके बिहारी जी मंदिर का बीते करीब 4 वर्ष से पूरा निर्माण कार्य चल रहा था. मंदिर का निर्माण सवा दस करोड़ की लागत से राम मंदिर की तर्ज पर कराया गया है. मंदिर में नक्काशी व मेहराब प्राचीन शैली के मंदिरों की तर्ज पर तैयार कराए गए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.