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हवासील ने मोड़ा घना से मुंह, पक्षी प्रेमी निराश, सामने आई ये सच्चाई

पिछली बार की तुलना में अबकी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाली पेलिकंस की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है. वहीं, अब पर्यावरणविदों की ओर से इसके पीछे की वजहों को स्पष्ट किया (sea ​​bird pelican) गया है.

Keoladeo National Park
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Published : Mar 25, 2023, 8:45 PM IST

पर्यावरणविद् भोलू अबरार

भरतपुर. लंबी गुलाबी, पीली चोंच, चोंच के नीचे लटकी थैली, 11 फीट 10 इंच तक पंख फैलाकर जब वो उड़ता है तो पक्षी प्रेमियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक हवासील (पेलिकन) पिछले वर्ष सैकड़ों की संख्या में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य आकर्षण रहे थे. लेकिन इस बार पेलिकन ने उद्यान से मुंह मोड़ लिया है. गत वर्ष जहां सैकड़ों पेलिकन से उद्यान के जलाशय आबाद थे, वहीं अबकी मुश्किल से 40 से 50 पेलिकन ही नजर आए और वो भी कुछ दिन रुककर पलायन कर गए. खैर, चलिए इसके पीछे की वजहों को जानते हैं.

गत वर्ष इसलिए आए सैकड़ों हवासील - केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सेवानिवृत्त रेंजर व पर्यावरणविद् भोलू अबरार ने बताया कि पिछले साल उद्यान में सैकड़ों पेलिकन आए थे. जलाशयों में लंबे समय तक पेलिकंस की अठखेलियां देखने को मिली थीं. पक्षी प्रेमी दिनभर पेलिकंस की अठखेलियों को कैमरों में कैद करने में लगे रहते थे. गत वर्ष उद्यान को गोवर्धन कैनाल, चंबल परियोजना, बरसात के साथ ही पांचना बांध का भी पानी मिला था. पिछले साल उद्यान को पांचना बांध से करीब 256 एमसीएफटी पानी मिला, जिसमें भरपूर मात्रा में मछलियां और अन्य जलीय भोजन बहकर उद्यान में आए थे. यही वजह रही कि गत वर्ष एक हजार से भी अधिक पेलिकन उद्यान में आए थे.

पानी भरपूर लेकिन भोजन की कमी - नेचर गाइड देवेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार उद्यान में पानी तो भरपूर है, लेकिन पेलिकंस के लिए जरूरी बड़ी-बड़ी मछलियां उपलब्ध नहीं हैं. यही वजह है कि इस बार उद्यान में मुश्किल से 40 से 50 पेलिकन ही नजर आए. पर्याप्त भोजन के अभाव में ये पेलिकन कुछ समय रुककर ही यहां से पलायन कर गए. इससे पक्षी प्रेमियों को भी निराश होना पड़ा.

इसे भी पढ़ें - Keoladeo National Park: प्रवासी पक्षियों को रास नहीं आया मौसम परिवर्तन, समय से पहले ले ली विदाई

पांचना का पानी ही अमृत - पर्यावरणविद् भोलू अबरार ने बताया कि सही मायने में उद्यान और यहां आने वाले पक्षियों के लिए पांचना बांध का पानी ही अमृत समान है. पांचना बांध के पानी में भरपूर मात्रा में भोजन आता है जो पक्षियों को बहुत पसंद आता है. अन्य स्रोत से उद्यान को पानी तो मिल जाता है लेकिन उसमें अच्छी मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता,इसलिए पक्षी पांचना के पानी को ज्यादा पसंद करते हैं.

गौरतलब है कि विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए दुनिया भर में पहचाना जाता है. इसे पक्षियों के स्वर्ग के रूप में भी पहचाना जाता है. यहां सर्दियों के मौसम में करीब 350 से अधिक प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. यहां की जैव विविधता की वजह से भी उद्यान की अपनी अलग पहचान है.

पर्यावरणविद् भोलू अबरार

भरतपुर. लंबी गुलाबी, पीली चोंच, चोंच के नीचे लटकी थैली, 11 फीट 10 इंच तक पंख फैलाकर जब वो उड़ता है तो पक्षी प्रेमियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक हवासील (पेलिकन) पिछले वर्ष सैकड़ों की संख्या में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य आकर्षण रहे थे. लेकिन इस बार पेलिकन ने उद्यान से मुंह मोड़ लिया है. गत वर्ष जहां सैकड़ों पेलिकन से उद्यान के जलाशय आबाद थे, वहीं अबकी मुश्किल से 40 से 50 पेलिकन ही नजर आए और वो भी कुछ दिन रुककर पलायन कर गए. खैर, चलिए इसके पीछे की वजहों को जानते हैं.

गत वर्ष इसलिए आए सैकड़ों हवासील - केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सेवानिवृत्त रेंजर व पर्यावरणविद् भोलू अबरार ने बताया कि पिछले साल उद्यान में सैकड़ों पेलिकन आए थे. जलाशयों में लंबे समय तक पेलिकंस की अठखेलियां देखने को मिली थीं. पक्षी प्रेमी दिनभर पेलिकंस की अठखेलियों को कैमरों में कैद करने में लगे रहते थे. गत वर्ष उद्यान को गोवर्धन कैनाल, चंबल परियोजना, बरसात के साथ ही पांचना बांध का भी पानी मिला था. पिछले साल उद्यान को पांचना बांध से करीब 256 एमसीएफटी पानी मिला, जिसमें भरपूर मात्रा में मछलियां और अन्य जलीय भोजन बहकर उद्यान में आए थे. यही वजह रही कि गत वर्ष एक हजार से भी अधिक पेलिकन उद्यान में आए थे.

पानी भरपूर लेकिन भोजन की कमी - नेचर गाइड देवेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार उद्यान में पानी तो भरपूर है, लेकिन पेलिकंस के लिए जरूरी बड़ी-बड़ी मछलियां उपलब्ध नहीं हैं. यही वजह है कि इस बार उद्यान में मुश्किल से 40 से 50 पेलिकन ही नजर आए. पर्याप्त भोजन के अभाव में ये पेलिकन कुछ समय रुककर ही यहां से पलायन कर गए. इससे पक्षी प्रेमियों को भी निराश होना पड़ा.

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पांचना का पानी ही अमृत - पर्यावरणविद् भोलू अबरार ने बताया कि सही मायने में उद्यान और यहां आने वाले पक्षियों के लिए पांचना बांध का पानी ही अमृत समान है. पांचना बांध के पानी में भरपूर मात्रा में भोजन आता है जो पक्षियों को बहुत पसंद आता है. अन्य स्रोत से उद्यान को पानी तो मिल जाता है लेकिन उसमें अच्छी मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता,इसलिए पक्षी पांचना के पानी को ज्यादा पसंद करते हैं.

गौरतलब है कि विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए दुनिया भर में पहचाना जाता है. इसे पक्षियों के स्वर्ग के रूप में भी पहचाना जाता है. यहां सर्दियों के मौसम में करीब 350 से अधिक प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. यहां की जैव विविधता की वजह से भी उद्यान की अपनी अलग पहचान है.

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