ETV Bharat / state

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बिना अनुमति सैकड़ों पेड़ व झाड़ी काटे, जिम्मेदार बोले- नियमानुसार किया कार्य, जवाब से TTZ संतुष्ट नहीं

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बिना अनुमति सैकड़ों पेड़ और झाड़ी काटे गए हैं. इस मामले में जिम्मेदारों का कहना है कि उन्होंने नियमानुसार कार्य किया है, लेकिन जवाब से टीटीजेड संतुष्ट नहीं है. यहां जानिए पूरा मामला...

Keoladeo National Park
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
author img

By

Published : Aug 2, 2023, 5:26 PM IST

डीएफओ मान सिंह ने क्या कहा....

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कच्ची सड़क निर्माण के दौरान काटे गए सैकड़ों पेड़ों को लेकर अब ताज ट्राइपेजियम जोन (टीटीजेड) का रुख सख्त हो गया है. उद्यान प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति लिए बिना ही पेड़ काटे और फिर अपने इस कदम सही ठहराते हुए टीटीजेड को जवाब भेजा. ऐसे में अब टीटीजेडी ने इस जवाब से असंतुष्टि जताते हुए उद्यान प्रबंधन से फिर से जवाब मांगा है. वहीं, कुछ पर्यावरणविद इस पूरे मामले में सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.

यह था मामला : असल में करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास में कच्ची सड़क का निर्माण किया गया. सड़क निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से भी अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ों व झाड़ियों को काट दिया गया है. इनमें देशी कदम, देशी बबूल, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ शामिल हैं. काटे गए पेड़ों की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष तक थी.

पढ़ें : Keoladeo National Park : बुझेगी घना की प्यास, 1.5 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये सिस्टम...

इन पेड़ और झाड़ियों के कटने से हेविटाट नष्ट हुआ है और उद्यान में मौजूद कई वन्यजीवों पर संकट खड़ा हो गया है. पेड़ों और झाड़ियों के कटने से अजगर, सेही, जरख, गोल्डन जैकोल, बुलबुल की प्रजाति, चूहों की प्रजाति, येलो थ्रोटेड स्पैरो आदि जीव और पक्षियों की प्रजातियों का हेविटाट नष्ट हो गया है. इससे सीधे सीधे ये जीव और पक्षी प्रभावित होंगे, साथ ही झाड़ियों के कटने से छोटी प्रजाति के पक्षी, सरीसृप की प्रजातियां भी प्रभावित होंगी.

यह भेजा जवाब : इस संबंध में पर्यावरणविद एवं बायोडायवर्सिटी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने टीटीजेड को पूरे मामले की लिखित शिकायत दी थी. जिस पर टीटीजेड ने मामले की जांच कर जवाब भेजने के लिए पत्र भेजा. उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि उन से टीटीजेड ने मामले में जवाब मांगा था. हमने उनको जवाब भेज दिया था. घना के अंदर कच्ची सड़क निर्माण और अन्य जो भी कार्य कराए गए वो सभी अप्रूव्ड मैनेजमेंट प्लान के तहत कराए गए थे. मैनेजमेंट प्लान से अलग कोई कार्य नहीं कराया गया है.

टीटीजेड जवाब से असंतुष्ट : उद्यान प्रशासन की ओर से भेजे गए जवाब से टीटीजेड के अधिकारी असंतुष्ट हैं. ऐसे में अब फिर से टीटीजेड ने उद्यान प्रशासन को पत्र भेजकर असंतोष जाहिर किया है. साथ ही स्पष्ट रूप से पूछ है कि क्या उद्यान प्रशासन ने पेड़ काटने से पहले सर्वोच्च न्यायालय से नियमानुसार अनुमति ली थी या नहीं. साथ ही मामले की पुनः जांच के लिए भी लिखा गया है.

काम रुकवाया : पेड़ काटने का मामला टीटीजेड पहुंचने और उद्यान परिसर में जलाशय बनवाने के लिए खुदाई कराने का मामला हाईलाइट होने के बाद उद्यान प्रशासन ने सभी कार्य रुकवा दिए हैं. गौरतलब है कि उद्यान में कच्ची सड़क निर्माण के लिए पेड़ और झाड़ी काटने के साथ ही अलग अलग ब्लॉक में जलाशय निर्माण के लिए खुदाई भी कराई गई है. जिससे यहां के हेबिटाट को नुकसान पहुंचा है. वहीं, इस पूरे मामले को लेकर पर्यावरणविद डॉ. केपी सिंह लगातार संघर्ष कर रहे हैं, साथ ही पूरे मामले में सर्वोच्च न्यायालय जाने की भी तैयारी कर रहे हैं.

डीएफओ मान सिंह ने क्या कहा....

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कच्ची सड़क निर्माण के दौरान काटे गए सैकड़ों पेड़ों को लेकर अब ताज ट्राइपेजियम जोन (टीटीजेड) का रुख सख्त हो गया है. उद्यान प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति लिए बिना ही पेड़ काटे और फिर अपने इस कदम सही ठहराते हुए टीटीजेड को जवाब भेजा. ऐसे में अब टीटीजेडी ने इस जवाब से असंतुष्टि जताते हुए उद्यान प्रबंधन से फिर से जवाब मांगा है. वहीं, कुछ पर्यावरणविद इस पूरे मामले में सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.

यह था मामला : असल में करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास में कच्ची सड़क का निर्माण किया गया. सड़क निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से भी अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ों व झाड़ियों को काट दिया गया है. इनमें देशी कदम, देशी बबूल, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ शामिल हैं. काटे गए पेड़ों की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष तक थी.

पढ़ें : Keoladeo National Park : बुझेगी घना की प्यास, 1.5 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये सिस्टम...

इन पेड़ और झाड़ियों के कटने से हेविटाट नष्ट हुआ है और उद्यान में मौजूद कई वन्यजीवों पर संकट खड़ा हो गया है. पेड़ों और झाड़ियों के कटने से अजगर, सेही, जरख, गोल्डन जैकोल, बुलबुल की प्रजाति, चूहों की प्रजाति, येलो थ्रोटेड स्पैरो आदि जीव और पक्षियों की प्रजातियों का हेविटाट नष्ट हो गया है. इससे सीधे सीधे ये जीव और पक्षी प्रभावित होंगे, साथ ही झाड़ियों के कटने से छोटी प्रजाति के पक्षी, सरीसृप की प्रजातियां भी प्रभावित होंगी.

यह भेजा जवाब : इस संबंध में पर्यावरणविद एवं बायोडायवर्सिटी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने टीटीजेड को पूरे मामले की लिखित शिकायत दी थी. जिस पर टीटीजेड ने मामले की जांच कर जवाब भेजने के लिए पत्र भेजा. उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि उन से टीटीजेड ने मामले में जवाब मांगा था. हमने उनको जवाब भेज दिया था. घना के अंदर कच्ची सड़क निर्माण और अन्य जो भी कार्य कराए गए वो सभी अप्रूव्ड मैनेजमेंट प्लान के तहत कराए गए थे. मैनेजमेंट प्लान से अलग कोई कार्य नहीं कराया गया है.

टीटीजेड जवाब से असंतुष्ट : उद्यान प्रशासन की ओर से भेजे गए जवाब से टीटीजेड के अधिकारी असंतुष्ट हैं. ऐसे में अब फिर से टीटीजेड ने उद्यान प्रशासन को पत्र भेजकर असंतोष जाहिर किया है. साथ ही स्पष्ट रूप से पूछ है कि क्या उद्यान प्रशासन ने पेड़ काटने से पहले सर्वोच्च न्यायालय से नियमानुसार अनुमति ली थी या नहीं. साथ ही मामले की पुनः जांच के लिए भी लिखा गया है.

काम रुकवाया : पेड़ काटने का मामला टीटीजेड पहुंचने और उद्यान परिसर में जलाशय बनवाने के लिए खुदाई कराने का मामला हाईलाइट होने के बाद उद्यान प्रशासन ने सभी कार्य रुकवा दिए हैं. गौरतलब है कि उद्यान में कच्ची सड़क निर्माण के लिए पेड़ और झाड़ी काटने के साथ ही अलग अलग ब्लॉक में जलाशय निर्माण के लिए खुदाई भी कराई गई है. जिससे यहां के हेबिटाट को नुकसान पहुंचा है. वहीं, इस पूरे मामले को लेकर पर्यावरणविद डॉ. केपी सिंह लगातार संघर्ष कर रहे हैं, साथ ही पूरे मामले में सर्वोच्च न्यायालय जाने की भी तैयारी कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.