भरतपुर. पक्षी और जैव विविधता के लिए दुनिया भर में पहचान रखने वाले विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में इन दिनों बड़ा संकट खड़ा हो गया है. उद्यान प्रशासन की अदूरदर्शिता और लापरवाही के चलते यहां कच्ची सड़क निर्माण कार्य के लिए सैकड़ों की संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए एक संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट सोसायटी ने इस मुद्दे को लेकर अब ताज ट्राइपेजियम जोन (टीटीजेड) का दरवाजा खटखटाया है. संस्था के अध्यक्ष ने इस संबंध में टीटीजेड के अध्यक्ष को लिखित शिकायत भेजकर घना के पक्षियों और जीवों के हैबिटेट पर खड़े हुए संकट से अवगत कराया है.
दर्जनों प्रजाति के सैकड़ों पेड़ काटे : संस्था अध्यक्ष डॉ. केपी. सिंह ने बताया कि उन्होंने टीटीजेड के अध्यक्ष को लिखित शिकायत की है. उन्होंने बताया कि करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास में कच्ची सड़क का निर्माण किया गया है. सड़क निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से भी अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ों और झाड़ियों को काट दिया गया है. इनमें देसी कदम, देसी बबूल, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ शामिल हैं.
वन्यजीवों पर संकट : डॉ. सिंह ने बताया कि कच्ची सड़क निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष तक है. इन पेड़ और झाड़ियों के कटने से हैबिटेट नष्ट हुआ है और उद्यान में मौजूद कई वन्यजीवों पर संकट खड़ा हो गया है. पेड़ों और झाड़ियों के कटने से अजगर, सेही, जरख, गोल्डन जैकोल, बुलबुल की प्रजाति, चूहों की प्रजाति, येलो थ्रोटेड स्पैरो आदि जीव और पक्षियों की प्रजातियों का हैबिटेट नष्ट हो गया है. साथ ही झाड़ियों के कटने से छोटी प्रजाति के पक्षी, सरीसृप की प्रजातियां प्रभावित होंगी.
वन क्षेत्र घटा : डॉ. सिंह ने बताया कि भरतपुर जिला टीटीजेड के अंतर्गत आता है. भरतपुर के कुल क्षेत्रफल 5066 वर्ग किमी क्षेत्र में से केवल 221.06 वर्ग किमी क्षेत्र ही वन क्षेत्र के रूप में दर्ज है. यह वन क्षेत्र केवल 4.36% ही है, जबकि टीटीजेड के अंतर्गत होने के कार्ड यह वन क्षेत्र नियमानुसार 33% होना चाहिए. वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भरतपुर के वन क्षेत्र (फॉरेस्ट कवर) 9.21 वर्ग मीटर की कमी आई है. ऐसे में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पेड़ों की कटाई करना बहुत बड़ी लापरवाही है.
हमने पेड़ नहीं काटे, आंधी में गिरे : इस संबंध में जब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ नाहर सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि कच्ची सड़क निर्माण के दौरान कोई पेड़ या झाड़ी को नहीं काटा गया है. कुछ पेड़ आंधी-तूफान में जरूर गिरे हैं. हमने तो देसी बबूल आदि को बचाते हुए कच्ची सड़क का निर्माण कराया है.