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कोरोना का कहर: पैदल ही गांव के लिए निकल रहे मजदूर - भरतपुर में लॉकडाउन

लॉकडाउन के चलते कारखानों और फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में दूरदराज से काम करने आए मजदूर अपने-अपने घरों को लौटने लगे हैं. यातायात के साधन बंद होने के कारण ये मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं.

पैदल गांव लौटते मजदूर, Lockdown in Bharatpur
पैदल ही गांव के लिए निकल रहे हैं मजदूर
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Published : Mar 27, 2020, 6:11 PM IST

भरतपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. रोजाना के उपयोग में ली जाने वाली वस्तुओं के कारखानों के अलावा सभी कारखानों और फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. कारखानों के मालिक कारखाने बंद कर अपने घर चले गए हैं, लेकिन फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो गई है.

पैदल ही गांव के लिए निकल रहे हैं मजदूर

अधिकतर मजदूर रोजाना काम कर अपने पेट भरते हैं. ऐसे में न तो उनके पास खाने के लिए कोई सामान है और न ही अपने घर जाने के लिए कोई साधन. इस विपदा के समय में मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं. ईटीवी भारत की तरफ से नेशनल हाइवे पर रियलिटी चेक किया गया. नेशनल हाइवे पर पहुंचने के बाद ऐसे सैकड़ों मजदूर पैदल अपने घर की तरफ जाते मिले. उन्होंने बताया कि वे बीकानेर से पैदल अपने घर इटावा जा रहे हैं और वह चार दिन पहले बीकानेर से निकले हैं. बीकानेर भरतपुर से 500 किलोमीटर है, लेकिन अब ऐसे में लोगों के सामने समस्या है कि वह क्या खाएं और कहां सोएं.

पैदल ही गांव के लिए निकल रहे हैं मजदूर

जिले के मोलोनी गांव के पास कुछ लोग भारत गैस के एक टैंकर के ऊपर बैठ कर जाते मिले. जब टैंकर को रुकवाकर उसमें बैठे लोगों से बात की तो पता चला कि कोई बीकानेर से तो कोई जयपुर से आ रहे हैं और घर जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके कारखाने बंद हो चुके हैं. घर जाने के लिए उनको कोई साधन नहीं मिला. इसलिए वे पैदल ही आ रहे थे. दौसा में उन्हें कुछ पुलिसकर्मियों ने खाना खिलाया और एक टैंकर के ऊपर सवार कर दिया.

पढ़ें- जिंदा रहेंगे तभी तो पैसा काम आएगा, अभी लोगों की मदद के लिए खर्च करें : खाचरियावास

नेशनल हाइवे 21 पर ऐसे हज़ारों लोग पैदल चल रहे हैं जो अपने घरों की तरफ पैदल निकल पड़े हैं. सरकार भले ही लोगों के रहने खाने की व्यवस्था करने के दावे करती हो, लेकिन उन्हीं लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. सरकार द्वारा ऐसे लोगों को उनकी जगह पर रोका क्यों नहीं जा रहा है और उनके खाने पीने रहने की व्यवस्था क्यों नहीं करवाई जा रही है. अगर प्रशाशन की तरफ से इनके लिए व्यवस्था होती है तो लोगों कहीं जाने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा इन लोगों का कोई मेडिकल चेकअप भी नहीं हुआ है. जिससे संक्रमण के बारे पता लग सके.

भरतपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. रोजाना के उपयोग में ली जाने वाली वस्तुओं के कारखानों के अलावा सभी कारखानों और फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. कारखानों के मालिक कारखाने बंद कर अपने घर चले गए हैं, लेकिन फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो गई है.

पैदल ही गांव के लिए निकल रहे हैं मजदूर

अधिकतर मजदूर रोजाना काम कर अपने पेट भरते हैं. ऐसे में न तो उनके पास खाने के लिए कोई सामान है और न ही अपने घर जाने के लिए कोई साधन. इस विपदा के समय में मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं. ईटीवी भारत की तरफ से नेशनल हाइवे पर रियलिटी चेक किया गया. नेशनल हाइवे पर पहुंचने के बाद ऐसे सैकड़ों मजदूर पैदल अपने घर की तरफ जाते मिले. उन्होंने बताया कि वे बीकानेर से पैदल अपने घर इटावा जा रहे हैं और वह चार दिन पहले बीकानेर से निकले हैं. बीकानेर भरतपुर से 500 किलोमीटर है, लेकिन अब ऐसे में लोगों के सामने समस्या है कि वह क्या खाएं और कहां सोएं.

पैदल ही गांव के लिए निकल रहे हैं मजदूर

जिले के मोलोनी गांव के पास कुछ लोग भारत गैस के एक टैंकर के ऊपर बैठ कर जाते मिले. जब टैंकर को रुकवाकर उसमें बैठे लोगों से बात की तो पता चला कि कोई बीकानेर से तो कोई जयपुर से आ रहे हैं और घर जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके कारखाने बंद हो चुके हैं. घर जाने के लिए उनको कोई साधन नहीं मिला. इसलिए वे पैदल ही आ रहे थे. दौसा में उन्हें कुछ पुलिसकर्मियों ने खाना खिलाया और एक टैंकर के ऊपर सवार कर दिया.

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नेशनल हाइवे 21 पर ऐसे हज़ारों लोग पैदल चल रहे हैं जो अपने घरों की तरफ पैदल निकल पड़े हैं. सरकार भले ही लोगों के रहने खाने की व्यवस्था करने के दावे करती हो, लेकिन उन्हीं लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. सरकार द्वारा ऐसे लोगों को उनकी जगह पर रोका क्यों नहीं जा रहा है और उनके खाने पीने रहने की व्यवस्था क्यों नहीं करवाई जा रही है. अगर प्रशाशन की तरफ से इनके लिए व्यवस्था होती है तो लोगों कहीं जाने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा इन लोगों का कोई मेडिकल चेकअप भी नहीं हुआ है. जिससे संक्रमण के बारे पता लग सके.

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