भरतपुर. विश्व विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान यूं तो देश-विदेश से आने वाले सैकड़ों प्रजातियों के पक्षियों की वजह से पहचाना जाता है. लेकिन उद्यान में बड़ी संख्या में तितलियों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में तितलियों की 75 प्रजातियां मौजूद हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में इतनी बड़ी संख्या में तितलियों की प्रजातियां पाई जाने की वजह आप इस खास रिपोर्ट में जान पाएंगे.
भरतपुर के आरडी गर्ल्स कॉलेज के प्राणी शास्त्र विभाग अध्यक्ष डॉ. एमएम त्रिगुणायत के एक शोध में सामने आया है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में तितलियों की 75 प्रजातियां मौजूद हैं. डॉ. त्रिगुणायत ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 375 प्रजाति के पेड़-पौधे, घास एवं वनस्पतियां पाई जाती हैं. यही वजह है कि घना में तितलियों की 75 प्रजातियों की मौजूदगी दर्ज की गई है.
कॉमन गन और सोलोमन अर्ब जैसी तितलियां बहुतायत में
चार साल तक चले शोध में पता चला है कि उद्यान में 9 प्रजातियों की तितलियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं, जिनमें कॉमन गल, कॉमन क्रो, व्हाइट ऑरेंज टिप, सालोमन अर्ब, प्लेन टाइगर आदि शामिल हैं. डॉ. त्रिगुणायत ने बताया कि पूरे राजस्थान में करीब 130 प्रजातियों की तितलियों की पहचान की गई है जिनमें से करीब 60 फीसदी प्रजातियां अकेले घना पक्षी विहार में मौजूद हैं.
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तितली की 35-40 दिन की होती है जिंदगी
डॉ. त्रिगुणायत ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में तितलियों पर 4 साल तक चले शोध कार्य में तितलियों की लाइफ सर्कल को भी बारीकी से देखा गया. उसमें पता चला कि तितलियों की लाइफ सर्कल करीब 35 से 40 दिन की होती है. शोध में तितलियों के प्रजनन, अंडे, लार्वा और वयस्क होने तक की पूरी प्रक्रिया का अध्ययन किया गया है.
घना में रेयर 8 प्रजातियों की तितलियां भी
डॉ. एमएम त्रिगुणायत ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली तितलियों की 75 प्रजातियों में से 8 प्रजातियां रेयर हैं, जो कि वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 के तहत सूचीबद्ध हैं. इनमें कॉमन क्रो, ग्रे एग फ्लाई, स्ट्रीपेड अल्वटरोस, कॉमन पियर्ट, पीया ब्लू, प्लेनस ब्लू रॉयल, बेन्डेड ऑल आदि शामिल हैं.
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प्रदूषण की जैव सूचक हैं तितलियां
डॉ. एमएम त्रिगुणायत ने बताया कि तितलियां बहुत ही संवेदनशील होती हैं. जहां की हवा प्रदूषित होगी वहां पर तितलियां या तो बिल्कुल नहीं पाई जाएंगी या फिर बहुत ही कम संख्या में मिलेंगी. इसलिए कह सकते हैं कि तितलियां प्रदूषण की जैव सूचक हैं. घना में इतनी बड़ी संख्या में तितलियों की प्रजाति पाई जाने की सबसे बड़ी वजह यही है कि यहां की आबोहवा काफी शुद्ध है और किसी प्रकार का डिस्टरबेंस नहीं है.
तितलियों की खासियत
तितलियों की देखने, सुनने, स्वाद चखने और जगह को पहचानने की क्षमता काफी तेज होती है. तितलियां लंबी दूरी तक सफर करने में सक्षम होती हैं. तितलियां शाकाहारी होती हैं और सिर्फ फूलों के रस पर निर्भर होती हैं. तितलियों का जीवन 35 से 40 दिन का होता है. देश मे तितलियों की 1641 प्रजातियां पाई जाती हैं.
गौरतलब है कि अब तक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों, वन्यजीवों आदि पर ही शोध कार्य हुए थे. लेकिन तितलियों पर शोध कार्य होने के बाद अब पर्यटकों के लिए तितलियां भी आकर्षण बनने लगी हैं.