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झंडे की रस्म के साथ हुई अजमेर में ख्वाजा के उर्स की अनोपचारिक शुरुआत, 25 तोपों की दी सलामी - KHWAJA GARIB NAWAZ URS

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 813 वां उर्स झंडे की रस्म के साथ अनोपचारिक शुरुआत हो गई.

Khwaja garib nawaz Urs
अजमेर में ख्वाजा का उर्स शुरू (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 14 hours ago

अजमेर: ख्यातनाम सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 813 वें उर्स की शनिवार को झंडे की रस्म के साथ अनोपचारिक शुरुआत हुई. इस मौके पर दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया गया. बड़े पीर की पहाड़ी से 25 तोपों की सलामी दी गई. झंडे की रस्म के दौरान दरगाह में बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे. सुरक्षा कारणों से पुलिस ने उन्हें दरगाह के बाहर ही रोक दिया.

बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार की ओर से लाया गया झंडा शानो शौकत के साथ चढ़ाया गया. इससे पहले दरगाह गेस्ट हाउस से बैंडबाजों के साथ झंडे के जुलूस का आगाज हुआ. यहां से निजाम गेट पहुंचने पर शाही कव्वालों ने सूफी कलाम पेश किए. मार्ग में झंडे को चूमने और छूने के लिए जायरीन में होड़ मच गई. जुलूस पुलिस की सुरक्षा में बुलंद दरवाजे पहुंचा. यहां से झंडे को दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया. इस दौरान बड़े पीर की पहाड़ी से 25 तोपों की सलामी दी गई. जायरीनों ने दरगाह में बुलंद दरवाजे पर झंडे का दीदार किया और ख्वाजा गरीब नवाज से अपनी और परिजनों की खुशहाली की कामना की.

झंडे की रस्म के साथ शुरू हुआ अजमेर में ख्वाजा का उर्स (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच 264 पाक जायरीन आएंगे अजमेर दरगाह

1928 से दरगाह में चढ़ाया जा रहा है झंडा: दरगाह के खादिम कुतुबुद्दीन सकी बताते हैं कि 1928 से दरगाह में उर्स से पहले झंडा चढ़ाया जाता है. भीलवाड़ा का गौरी परिवार झंडा लेकर आता है. इस झंडे को जुलूस के साथ बुलंद दरवाजे पर पेश किया जाता है. उन्होंने बताया कि झंडे की रस्म के बाद से ही देश और दुनिया से उर्स में हाजिरी देने के लिए बड़ी संख्या में जायरीन का आना शुरू हो जाता है.

कलंदरों ने दिखाए करतब: ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में हाजिरी देने के लिए बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से कलंदर अजमेर आए. झंडे की रस्म से पहले कलंदरों ने दरगाह के निजाम गेट के बाहर और दरगाह के भीतर बुलंद दरवाजे के नजदीक अपने हैरतअंगेज करतब दिखाए. झंडे की रस्म के दौरान बड़ी संख्या में जायरीन दरगाह में मौजूद थे. इससे कहीं ज्यादा जायरीन दरगाह बाजार में मौजूद थे. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक दिया.

अजमेर: ख्यातनाम सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 813 वें उर्स की शनिवार को झंडे की रस्म के साथ अनोपचारिक शुरुआत हुई. इस मौके पर दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया गया. बड़े पीर की पहाड़ी से 25 तोपों की सलामी दी गई. झंडे की रस्म के दौरान दरगाह में बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे. सुरक्षा कारणों से पुलिस ने उन्हें दरगाह के बाहर ही रोक दिया.

बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार की ओर से लाया गया झंडा शानो शौकत के साथ चढ़ाया गया. इससे पहले दरगाह गेस्ट हाउस से बैंडबाजों के साथ झंडे के जुलूस का आगाज हुआ. यहां से निजाम गेट पहुंचने पर शाही कव्वालों ने सूफी कलाम पेश किए. मार्ग में झंडे को चूमने और छूने के लिए जायरीन में होड़ मच गई. जुलूस पुलिस की सुरक्षा में बुलंद दरवाजे पहुंचा. यहां से झंडे को दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया. इस दौरान बड़े पीर की पहाड़ी से 25 तोपों की सलामी दी गई. जायरीनों ने दरगाह में बुलंद दरवाजे पर झंडे का दीदार किया और ख्वाजा गरीब नवाज से अपनी और परिजनों की खुशहाली की कामना की.

झंडे की रस्म के साथ शुरू हुआ अजमेर में ख्वाजा का उर्स (ETV Bharat Jaipur)

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1928 से दरगाह में चढ़ाया जा रहा है झंडा: दरगाह के खादिम कुतुबुद्दीन सकी बताते हैं कि 1928 से दरगाह में उर्स से पहले झंडा चढ़ाया जाता है. भीलवाड़ा का गौरी परिवार झंडा लेकर आता है. इस झंडे को जुलूस के साथ बुलंद दरवाजे पर पेश किया जाता है. उन्होंने बताया कि झंडे की रस्म के बाद से ही देश और दुनिया से उर्स में हाजिरी देने के लिए बड़ी संख्या में जायरीन का आना शुरू हो जाता है.

कलंदरों ने दिखाए करतब: ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में हाजिरी देने के लिए बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से कलंदर अजमेर आए. झंडे की रस्म से पहले कलंदरों ने दरगाह के निजाम गेट के बाहर और दरगाह के भीतर बुलंद दरवाजे के नजदीक अपने हैरतअंगेज करतब दिखाए. झंडे की रस्म के दौरान बड़ी संख्या में जायरीन दरगाह में मौजूद थे. इससे कहीं ज्यादा जायरीन दरगाह बाजार में मौजूद थे. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक दिया.

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