भरतपुर. महाराजा सूरजमल का 260वें बलिदान दिवस सोमवार को जिले भर में मनाया गया. इसी के तहत कामां में हुए महाराजा सूरजमल स्मृति समारोह में पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह शामिल होने के लिए पहुंचे. समारोह में उन्होंने कहा कि 'मैं एक कटु सत्य कहना चाहता हूं, एक पुरानी कहावत है, जाट को मारे जाट या मारे करतार. हाल ही में हुए चुनावों में मुझे करतार ने नहीं मारा, बल्कि उन्होंने मारा जिनको नहीं मारना चाहिए था.' विश्वेंद्र सिंह ने भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र में भी ओबीसी में आरक्षण देने की बात कही
विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि जाट धर्मशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में बुलाने पर सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया. साथ ही उलाहना दिया कि आप लोग बुलाते नहीं हो बुला लिया करो. इस अवसर पर विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि मैं एक कटु सत्य कहना चाहता हूं. 'उन्होंने कहा कि पुरानी कहावत है जाट को मारे जाट या मारे करातर. विश्वेंद्र ने कहा कि हाल ही के चुनाव का उदाहरण ले लीजिए मुझे करतार ने नहीं मारा बल्कि उन्होंने मारा जिनको नहीं मारना चाहिए था. कोई बड़ी बात नहीं चुनाव आते हैं चुनाव जाते हैं. मुझे सभी कौमों ने वोट दिया. मैं भी सभी कौमों को साथ लेकर चला.'
चुनाव जरूर हारा हूं, कमजोर नहीं हुआ हूं: उन्होंने कहा कि इस मौके पर मैं जाटव समाज का धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे वोट दिए. 'यह उम्मीद से बाहर है ऐसा आजतक नहीं हुआ. हमारे जाटों में कमी क्या है, हम ईर्ष्या की भावना रखते हैं. अपने दुःख से दुखी नहीं हैं, दूसरे के सुख से दुखी हैं. उन्होंने कहा कि इसको बदलो प्रतिस्पर्धा लाओ जब तक वह नहीं होगा, तब तक हम आगे नहीं बढ़ेंगे. कभी आपको मेरी जरूरत पड़े तो मेरे पास आओ. चुनाव जरूर हार गया हूं, लेकिन कमजोर नहीं हुआ हूं.' उन्होंने कहा कि महाराजा सूरजमल ने न केवल अपना साम्राज्य बढ़ाया, बल्कि अपने साम्राज्य में खुशहाली लेकर आए. महाराजा सूरजमल ने 80 युद्ध लड़े और सभी युद्धों में वो विजयी रहे यह एक रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा कि सूरजमल ने जो ख्याति उन्होंने प्राप्त की शायद बहुत कम लोगों ने प्राप्त की अंग्रेजों को हराया, मुगलों को हराया और भरतपुर, डीग, कुम्हेर के किले ऐसे बनाए जो अजेय रहे.
केंद्र में मिले आरक्षण: पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने और जनता ने पिछले बीजेपी के काल में संघर्ष किया. मैं मंत्री भी रह लिया, लेकिन रेल रोकने का केस आज भी मेरे ऊपर चल रहा है. अब हम चाहते हैं हमें केंद्र में आरक्षण मिले. केंद्र का तर्क है धौलपुर और भरतपुर के शासक जाट थे, तो क्या सभी पैसे वाले थे, जनता भी पैसे वाली थी क्या.