भरतपुर. मौसम के बाद अब किसान को सरकारी तंत्र और उसके नियमों की वजह से घाटा सहना पड़ रहा है. यदि किसान एमएसपी पर सरसों की फसल बेचता है तो उसे फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिलेगा. यदि वो खराबे का मुआवजा लेना चाहता तो बची हुई फसल को मंडी भाव में बेचना पड़ेगा. इसी दुविधा में किसान को एमएसपी में ज्यादा भाव मिलने के बावजूद मंडी में घाटे में सरसों बेचनी पड़ रही है. किसान को करीब 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल नुकसान उठाना पड़ रहा है.
मुआवजा और एमएसपी का पेंच : सरसों मंडी व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि फिलहाल जिले के काफी किसानों ने अच्छे भाव नहीं मिलने की वजह से सरसों की फसल को रोक रखा है. हालांकि जो जरूरतमंद किसान सरसों बेचने आ रहे हैं वो एमएसपी के बजाय कम दाम में मंडी में सरसों बेचने को मजबूर हैं. किसानों को कई पेचीदा प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से वो एमएसपी पर फसल बेचने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि बीते डेढ़ माह में जिले के सिर्फ 1581 किसानों ने ही एमएसपी पर सरसों की बिक्री की है.
व्यापारी गोयल ने बताया कि इस बार बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से किसानों की सरसों की फसल में खराबा हुआ था. किसान फसल खराबे का सरकार से मुआवजा लेना चाहता है. यदि किसान फसल खराबा दिखाता है तो उसकी गिरदावरी नहीं बनेगी. बिना गिरदावरी के किसान एमएसपी पर फसल बिक्री नहीं कर पाएगा. यदि किसान एमएसपी का लाभ लेना चाहता है तो उसे गिरदावरी करानी पड़ेगी. यदि किसान गिरदावरी कराकर अच्छे दाम में एमएसपी पर सरसों बेचता है तो उनको फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिलेगा, यानी किसान को एमएसपी और मुआवजे में से एक का ही लाभ मिल सकता है.
घाटे में बेचनी पड़ रही सरसों : व्यापारी गोयल ने बताया कि फसल खराबे के अलावा किसान के पास सरसों की जो पैदावार है उसे मंडी में बेचनी पड़ रही है. सरसों की एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि मंडी में सरसों के भाव 4700 से 4800 रुपए प्रति क्विंटल हैं, यानी किसान को 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल घाटे में सरसों बेचनी पड़ रही है.
इस कारण से एमएसपी से दूरी : व्यापारी गोयल ने बताया कि एमएसपी पर सरसों बिक्री के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है. किसान इस पेचीदा प्रक्रिया से बचने के लिए मंडी में सरसों बेचने आ रहा है. एमएसपी पर एक किसान सिर्फ 25 क्विंटल तक पैदावार बेच सकता है. जिस किसान के पास ज्यादा पैदावार है, उसे बाकी पैदावार को बेचने के लिए मंडी ही आना पड़ेगा. ऐसे में किसान दो जगह के बजाय एक ही जगह सरसों बेचना चाहता है.
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समय पर नहीं मिलता पैसा : मंडी में सरसों बेचने आए किसान आशीष ने बताया कि एमएसपी पर सरसों बेचने पर किसान को काफी समय बाद पैसा मिल पाता है. ऐसे में उन्हें फसल बेचने के बावजूद आवश्यकताओं के लिए समय पर पैसा नहीं मिल पाता. साथ ही उन्हें उधारी और लेन-देन का पैसा भी चुकाना होता है, इसलिए मजबूरी में मंडी में सरसों बेचनी पड़ रही है.
सिर्फ ऐसे किसान ही एमएसपी पर बेच रहे : जिन किसानों ने कम सरसों की बुवाई की है, जिनकी कम पैदावार हुई है और जिनकी फसल खराबा न के बराबर है, वही किसान एमएसपी पर सरसों बेचने आ रहे हैं. कल्याणपुर निवासी किसान दिनेश ने बताया कि इस बार उनके खेत में सरसों की पैदावार कम है, इसलिए एमएसपी पर सरसों बेचने आए हैं. प्रयोगशाला में जांच कराने पर सरसों में तेल की मात्रा कम निकलती है, जिससे मंडी में काफी कम भाव मिल पा रहा है. एमएसपी पर मंडी से अच्छा भाव मिल रहा है.
डेढ़ माह में 1581 ने एमएसपी पर सरसों बेची : राजफेड (राजस्थान राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड) से मिली जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल से 30 जून तक एमएसपी पर सरसों खरीद की जाएगी. इसके लिए अभी तक जिले के 12389 किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है, जिनमें से अभी तक 3183 किसानों को फसल बिक्री की डेट दे दी गई है. इनमें से अभी तक सिर्फ 1581 किसानों ने ही एमएसपी सेंटर पहुंचकर सरसों की बिक्री की है.