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टाइमपास के लिए मोबाइल का इस्तेमाल बना जी का जंजाल, बच्चों की आंखें हो रही कमजोर, भेंगापन का भी खतरा - Amblyopia symptoms

भरतपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक दीक्षित का कहना है कि कोरोना के दौरान बच्चों को मजबूरी में मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ा. इसके चलते यह आदत अब बीमारी के रूप में सामने आ रही है. पढ़िए यह रिपोर्ट...

effect of excessive use of mobile on eyes
भरतपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक दीक्षित
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 29, 2023, 4:41 PM IST

भरतपुर. कोरोना काल से ही बच्चों में मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ गया है. लॉकडाउन के समय ऑनलाइन क्लासेज और बच्चों को व्यस्त रखने के लिए पकड़ाया मोबाइल अब इनकी आदत में शामिल हो गया है. यही वजह है कि अब तमाम बच्चे एंब्लायोपिया (यानी नजर धुंधली व भेंगापन) का शिकार होने लगे हैं. यह बात भरतपुर निवासी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक दीक्षित ने बताई.

डॉ दीक्षित ने बताया कि हाल ही छत्तीसगढ़ स्टेट मेडिकल काउंसिल की ओर से छत्तीसगढ़ में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित की थी, जिसमें बच्चों और वयस्कों के मोबाइल इस्तेमाल और उसके दुष्प्रभावों पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की थी. डॉ आलोक दीक्षित ने बताया कि कोविड के समय लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस लेनी पड़ी थी. साथ ही बच्चों को व्यस्त रखने के लिए माता-पिता भी उन्हें मोबाइल पकड़ा देते, जिस पर वो कार्टून देखते. कोविड के बाद भी अब बच्चे मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी नजर धुंधली होने लगी है.

पढ़ें: Mobile Screen Effects : मोबाइल के दुष्प्रभाव से आंखों को बचाना है, तो जरूर अपनाएं ये टिप्स

डॉ दीक्षित ने बताया कि मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों को एंब्लायोपिया से ग्रस्त कर रहा है. इसमें बच्चों की रोशनी कमजोर हो रही है. चश्मे लगाने के बावजूद उन्हें साफ नहीं दिखाई देता. यहां तक की समय पर उपचार नहीं मिलने की वजह से कई बच्चों में भेंगापन खतरा भी बढ़ जाता है. उत्तर प्रदेश के सफेदाबाद हिंद मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के डॉ आलोक दीक्षित ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में देशभर के 500 से अधिक विशेषज्ञों ने अस्पतालों में आ रहे ऐसे नेत्र रोगी बच्चों को लेकर चिंता जताई है. हर दिन अस्पतालों के आउटडोर में दर्जनों बच्चे पहुंच रहे हैं.

ये लक्षण दिखें तो चिकित्सक को दिखाएं:

  1. बच्चे की आंख में पानी आना
  2. बच्चा जल्दी-जल्दी पलकें झपकाए
  3. बच्चा स्कूल में ब्लैकबोर्ड पर धुंधला दिखने की शिकायत करे
  4. आंखों में भारीपन, खुजली और सिरदर्द की शिकायत
  5. बच्चा पढ़ाई में कमजोर होने लगे

पढ़ें: संतुलित करें अपने बच्चों की आंखों पर पड़ने वाला डिजिटल तनाव

डॉ आलोक दीक्षित ने बताया कि बच्चों के साथ ही वयस्कों में भी नेत्र रोग संबंधी शिकायत बढ़ी हैं. कोरोना के समय से वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा, जिसकी वजह से मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर पर ज्यादा समय देना पड़ा. जिसकी वजह से वयस्क भी नेत्र रोगों की चपेट में आ रहे हैं. डॉ आलोक दीक्षित ने छत्तीसगढ़ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में नेत्र रोगों पर पेपर प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया.

भरतपुर. कोरोना काल से ही बच्चों में मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ गया है. लॉकडाउन के समय ऑनलाइन क्लासेज और बच्चों को व्यस्त रखने के लिए पकड़ाया मोबाइल अब इनकी आदत में शामिल हो गया है. यही वजह है कि अब तमाम बच्चे एंब्लायोपिया (यानी नजर धुंधली व भेंगापन) का शिकार होने लगे हैं. यह बात भरतपुर निवासी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक दीक्षित ने बताई.

डॉ दीक्षित ने बताया कि हाल ही छत्तीसगढ़ स्टेट मेडिकल काउंसिल की ओर से छत्तीसगढ़ में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित की थी, जिसमें बच्चों और वयस्कों के मोबाइल इस्तेमाल और उसके दुष्प्रभावों पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की थी. डॉ आलोक दीक्षित ने बताया कि कोविड के समय लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस लेनी पड़ी थी. साथ ही बच्चों को व्यस्त रखने के लिए माता-पिता भी उन्हें मोबाइल पकड़ा देते, जिस पर वो कार्टून देखते. कोविड के बाद भी अब बच्चे मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी नजर धुंधली होने लगी है.

पढ़ें: Mobile Screen Effects : मोबाइल के दुष्प्रभाव से आंखों को बचाना है, तो जरूर अपनाएं ये टिप्स

डॉ दीक्षित ने बताया कि मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों को एंब्लायोपिया से ग्रस्त कर रहा है. इसमें बच्चों की रोशनी कमजोर हो रही है. चश्मे लगाने के बावजूद उन्हें साफ नहीं दिखाई देता. यहां तक की समय पर उपचार नहीं मिलने की वजह से कई बच्चों में भेंगापन खतरा भी बढ़ जाता है. उत्तर प्रदेश के सफेदाबाद हिंद मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के डॉ आलोक दीक्षित ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में देशभर के 500 से अधिक विशेषज्ञों ने अस्पतालों में आ रहे ऐसे नेत्र रोगी बच्चों को लेकर चिंता जताई है. हर दिन अस्पतालों के आउटडोर में दर्जनों बच्चे पहुंच रहे हैं.

ये लक्षण दिखें तो चिकित्सक को दिखाएं:

  1. बच्चे की आंख में पानी आना
  2. बच्चा जल्दी-जल्दी पलकें झपकाए
  3. बच्चा स्कूल में ब्लैकबोर्ड पर धुंधला दिखने की शिकायत करे
  4. आंखों में भारीपन, खुजली और सिरदर्द की शिकायत
  5. बच्चा पढ़ाई में कमजोर होने लगे

पढ़ें: संतुलित करें अपने बच्चों की आंखों पर पड़ने वाला डिजिटल तनाव

डॉ आलोक दीक्षित ने बताया कि बच्चों के साथ ही वयस्कों में भी नेत्र रोग संबंधी शिकायत बढ़ी हैं. कोरोना के समय से वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा, जिसकी वजह से मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर पर ज्यादा समय देना पड़ा. जिसकी वजह से वयस्क भी नेत्र रोगों की चपेट में आ रहे हैं. डॉ आलोक दीक्षित ने छत्तीसगढ़ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में नेत्र रोगों पर पेपर प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया.

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