भरतपुर. एक वक्त था जब विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों के साथ ही कई मांसाहारी (तेंदुआ) और शाकाहारी (काला हिरण, ऑटर, हनुमान लंगूर आदि) वन्यजीव भी आवासरत थे. लेकिन प्राकृतिक आवास और मौसम में निरंतर बदलाव के चलते ये धीरे-धीरे विलुप्त हो गए. अब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में फिर से काला हिरण और अन्य वन्यजीवों को पुनर्वासित करने की तैयारियां शुरू कर दी गई (Black buck rehabilitation in Keoladeo National Park) हैं. ऐसे में उद्यान आने वाले पर्यटकों को फिर से विलुप्त हो चुके वन्यजीव देखने का मौका मिल सकेगा.
क्या है योजना: घना निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि करीब 1980 के दशक में घना में काले हिरण, फिशिंग कैट और ऑटर भी मौजूद थे. लेकिन अब ये वन्यजीव यहां से विलुप्त हो चुके हैं. चूंकि घना किसी समय में इन वन्यजीवों के लिए अनुकूल हुआ करता था. ऐसे में अब यहां फिर से काले हिरणों को पुनर्वासित करने की तैयारी चल रही है. भविष्य में अन्य विलुप्त जीव जैसे कि ऑटर और फिशिंग कैट को भी री-इंट्रोड्यूस किया जा सकता है.
जूली फ्लोरा हटाकर घास उगाने की तैयारी : निदेशक ने बताया कि काले हिरणों को पुनर्वासित करने के लिए ग्रासलैंड की जरूरत (Plan for rehabilitation of black bucks) होगी. इसलिए घना के ओ ब्लॉक में जूली फ्लोरा को हटाने का काम कराया जा रहा है, जिससे यहां ग्रासलैंड विकसित किया जा सके. उसके बाद ही यहां पर काले हिरणों को पुनर्वासित करने का काम किया जाएगा. घना की दीवार के पास में चारों तरफ कच्चा रोड भी बनवाया गया है. इसका उद्देश्य है कि घना का स्टाफ दिन और रात में पेट्रोलिंग कर सके. साथ ही इस रोड को पर्यटकों को सफारी कराने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.
ये प्रजातियां विलुप्त : गुरु गोविंद सिंह विश्वविद्यालय और मणिपाल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह सामने आया है कि प्राकृतिक आवास में लगातार बदलाव के चलते उद्यान की जैव विविधता पर काफी असर पड़ा है. यही वजह है कि किसी जमाने में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में तेंदुआ, काला हिरण, ऑटर, तेंदुआ बिल्ली, देसी लोमड़ी और हनुमान लंगूर काफी अच्छी संख्या में देखने को मिलते थे, लेकिन अब के सभी वन्यजीव विलुप्त हो चुके हैं.