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स्पेशल: दिव्यांगों के जीवन में फैल रहा शिक्षा का उजाला, संदर्भ कक्ष में उपकरणों से कर रहे पढ़ाई

भरतपुर में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने वाले संदर्भ कक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यहां पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चे सशक्त बन रहे हैं. संदर्भ कक्ष में आने वाले विद्यार्थियों को यात्रा व अन्य भत्ते भी उपलब्ध कराए जाते हैं. वहीं से दिव्यांग छात्रों को इसका फायदा भी मिल रहा है. देखिए भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Feb 18, 2020, 1:34 PM IST

Bharatpur Students with disabilities, Bharatpur News
संदर्भ कक्ष में उपकरणों से दिव्यांग छात्र कर रहे पढ़ाई

भरतपुर. जिले के नदबई कस्बे का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दिव्यांग बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैलाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है. कोई बच्चा ठीक से बोल नहीं पाता, तो कोई समझ नहीं पाता, कोई शारीरिक रूप से तो कोई मानसिक रूप से कमजोर है, लेकिन विद्यालय का संदर्भ कक्ष ऐसे बच्चों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह ऐसे दिव्यांग बच्चों को हर दिन विभिन्न उपकरणों और तकनीकों के माध्यम से अध्ययन कराया जा रहा है, ताकि वह समाज की मुख्यधारा में जीवन यापन कर सकें. विद्यालय प्रशासन की मानें तो नदबई ब्लॉक के करीब 232 दिव्यांग बच्चे यहां के संदर्भ कक्षा से जुड़े हुए हैं, जो कि समय-समय पर यहां आकर शिक्षा ग्रहण करते रहते हैं.

संदर्भ कक्ष में उपकरणों से दिव्यांग छात्र कर रहे पढ़ाई
ऐसे कराते हैं दिव्यांग छात्रों को अध्ययनविद्यालय में कार्यरत शिक्षक पप्पू लाल मीणा ने बताया कि विद्यालय में 9 दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत हैं, वहीं ब्लॉक में कुल करीब 232 बच्चे दिव्यांग हैं, जो कि समय-समय पर संदर्भ कक्ष में आकर अध्ययन करते हैं. उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को एनडीए सॉफ्टवेयर, ब्रेल लिपि, टेलर फ्रेम, वॉइस थेरेपी आदि के जरिए पढ़ाई कराई जाती है. यहां आने वाले विद्यार्थियों को यात्रा व अन्य भत्ते भी उपलब्ध कराए जाते हैं.

पढ़े: स्पेशल: एक मां...दिव्यांग बेटे के गम ने ऐसा बदला कि, आज अकेले संवार रहीं 70 बच्चों का भविष्य

अब दिव्यांग ललितेश कर रहा सामान्य बच्चों के साथ अध्ययन
शिक्षक पप्पू लाल मीणा ने ये भी बताया कि अग्निपुरा निवासी विद्यार्थी ललितेश स्कूल ने दो साल पहले 8वीं कक्षा में प्रवेश लिया था. दिव्यांग ललितेश उस समय पढ़ने में बहुत ही कमजोर था. लेकिन अब यह विद्यार्थी संदर्भ कक्ष में कराई गई मेहनत के चलते 10वीं कक्षा के सामान्य विद्यार्थियों के साथ बैठकर अध्ययन कर रहा है.

अध्ययन के साथ ही फिजियोथैरेपी भी
स्कूल के शिक्षक देवव्रत शर्मा ने बताया कि संदर्भ कक्ष में जहां दिव्यांगों को विभिन्न उपकरणों के माध्यम से अध्ययन कराया जाता है. वहीं शारीरिक रूप से असक्षम या कमजोर बच्चों को यहां फिजियोथैरेपी भी कराई जाती है. इसके लिए संदर्भ कक्ष में एक्सरसाइज के लिए साइकिल व अन्य उपकरण भी उपलब्ध हैं.

पढ़ें: जोधपुर में 'जज्बा, जुनून जिंदगी का' कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने दी शानदारी प्रस्तुतियां

संदर्भ कक्ष में कुल 232 बच्चे
नदबई ब्लॉक के अलग-अलग राजकीय विद्यालयों से यहां के संदर्भ कक्ष में कुल 232 बच्चे जुड़े हुए हैं, जिनमें 2 नेत्रहीन, 15 आंशिक अंधता, 10 मूक बधिर,10 वाणी दोष, 87 अस्थि विकलांग, 88 मंदबुद्धि, दो अधिगम अक्षमता, 10 बहुविकलांग हैं.

भरतपुर. जिले के नदबई कस्बे का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दिव्यांग बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैलाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है. कोई बच्चा ठीक से बोल नहीं पाता, तो कोई समझ नहीं पाता, कोई शारीरिक रूप से तो कोई मानसिक रूप से कमजोर है, लेकिन विद्यालय का संदर्भ कक्ष ऐसे बच्चों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह ऐसे दिव्यांग बच्चों को हर दिन विभिन्न उपकरणों और तकनीकों के माध्यम से अध्ययन कराया जा रहा है, ताकि वह समाज की मुख्यधारा में जीवन यापन कर सकें. विद्यालय प्रशासन की मानें तो नदबई ब्लॉक के करीब 232 दिव्यांग बच्चे यहां के संदर्भ कक्षा से जुड़े हुए हैं, जो कि समय-समय पर यहां आकर शिक्षा ग्रहण करते रहते हैं.

संदर्भ कक्ष में उपकरणों से दिव्यांग छात्र कर रहे पढ़ाई
ऐसे कराते हैं दिव्यांग छात्रों को अध्ययनविद्यालय में कार्यरत शिक्षक पप्पू लाल मीणा ने बताया कि विद्यालय में 9 दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत हैं, वहीं ब्लॉक में कुल करीब 232 बच्चे दिव्यांग हैं, जो कि समय-समय पर संदर्भ कक्ष में आकर अध्ययन करते हैं. उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को एनडीए सॉफ्टवेयर, ब्रेल लिपि, टेलर फ्रेम, वॉइस थेरेपी आदि के जरिए पढ़ाई कराई जाती है. यहां आने वाले विद्यार्थियों को यात्रा व अन्य भत्ते भी उपलब्ध कराए जाते हैं.

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अब दिव्यांग ललितेश कर रहा सामान्य बच्चों के साथ अध्ययन
शिक्षक पप्पू लाल मीणा ने ये भी बताया कि अग्निपुरा निवासी विद्यार्थी ललितेश स्कूल ने दो साल पहले 8वीं कक्षा में प्रवेश लिया था. दिव्यांग ललितेश उस समय पढ़ने में बहुत ही कमजोर था. लेकिन अब यह विद्यार्थी संदर्भ कक्ष में कराई गई मेहनत के चलते 10वीं कक्षा के सामान्य विद्यार्थियों के साथ बैठकर अध्ययन कर रहा है.

अध्ययन के साथ ही फिजियोथैरेपी भी
स्कूल के शिक्षक देवव्रत शर्मा ने बताया कि संदर्भ कक्ष में जहां दिव्यांगों को विभिन्न उपकरणों के माध्यम से अध्ययन कराया जाता है. वहीं शारीरिक रूप से असक्षम या कमजोर बच्चों को यहां फिजियोथैरेपी भी कराई जाती है. इसके लिए संदर्भ कक्ष में एक्सरसाइज के लिए साइकिल व अन्य उपकरण भी उपलब्ध हैं.

पढ़ें: जोधपुर में 'जज्बा, जुनून जिंदगी का' कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने दी शानदारी प्रस्तुतियां

संदर्भ कक्ष में कुल 232 बच्चे
नदबई ब्लॉक के अलग-अलग राजकीय विद्यालयों से यहां के संदर्भ कक्ष में कुल 232 बच्चे जुड़े हुए हैं, जिनमें 2 नेत्रहीन, 15 आंशिक अंधता, 10 मूक बधिर,10 वाणी दोष, 87 अस्थि विकलांग, 88 मंदबुद्धि, दो अधिगम अक्षमता, 10 बहुविकलांग हैं.

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