भरतपुर. भरतपुर के आयुष ने महज 17 वर्ष की आयु में वो काम कर दिखाया है जिससे आज न केवल आयुष का परिवार बल्कि पूरा भरतपुर गर्व कर रहा है (Bharatpur Boy named in Asia Book of Record). आयुष ने पेपर कटिंग आर्ट से भगवान श्री कृष्ण का चित्र बनाया है. बोलती हुई तस्वीर ने उन्हें वो मुकाम दिया जिससे किसी को भी रश्क हो सकता है. उनका नाम न केवल इंडिया बुक रिकॉर्ड में बल्कि एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है (Ayush Made Bharatpur Proud).
![Krishna Painting through paper cutting](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rjbrt03bharatpurasiabookrecordvis567890_19122022201005_1912f_1671460805_355.jpg)
शौक से शुरू किया सफर-डीग निवासी 11 वीं कक्षा के छात्र आयुष सोनी ने बताया कि उसे पहले पेंसिल स्केचिंग का शौक था. लेकिन एक बार मन में विचार आया कि कुछ हटके करना चाहिए. इसी सोच के साथ पेपर कटिंग आर्ट से पेंटिंग तैयार करना शुरू किया. पेपर कटिंग से झरोखे, श्रीनाथ जी आदि के चित्र बनाए. आयुष प्रयोग भी खूब करते हैं. उन्होंने जाली आर्ट का प्रयोग कर दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह की पेंटिंग गढ़ी.
![Krishna Painting through paper cutting](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rjbrt03bharatpurasiabookrecordvis567890_19122022201005_1912f_1671460805_911.jpg)
और तैयार हो गई पेंटिंग- इस धुन के पक्के छात्र ने फिर कुछ हट कर करने का मन बनाया. फिर क्या था जुट गए भगवान श्री कृष्ण की पेंटिंग बनाने में. 24.5×16.7 इंच साइज की श्री कृष्ण की पेंटिंग को तैयार करने में करीब डेढ़ माह का समय लग गए. पेंटिंग तैयार होने के बाद इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भेजा गया. जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया. करीब 15 दिन बाद ही इसी पेंटिंग को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया गया.
पढ़ें-पहले स्लिप डिस्क, फिर फ्रैक्चर...पर नहीं मानी हार...अब एशियन गेम्स में लहराएंगे परचम
पिता से मिली प्रेरणा- आयुष ने बताया कि उनके पिता मुकेश सोनी सर्राफा हैं. इसके साथ ही पेंटिंग का शौक भी रखते हैं. यही वजह रही कि आयुष की भी अपने पिता को देख देखकर पेंटिंग में रुचि जाग गई.आज आयुष की उपलब्धि से न केवल परिजन बल्कि पूरा भरतपुर गौरवान्वित महसूस कर रहा है.
क्या है पेपर कटिंग आर्ट- पेपर कटिंग आर्ट एक अनूठा शिल्प है. इसमें विशेष कैंची की मदद से कागज की कटिंग से आकर्षक डिजाइन और पेंटिंग तैयार की जाती है. मान्यता है कि इस कला की उत्पत्ति राधाजी ने की थी. राधा जी ने भगवान श्रीकृष्ण को लुभाने के लिए फूल, पत्तियों और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके रंगोली बनाई थी. मुगल काल में इस आर्ट में कई बदलाव आए.