कामां (भरतपुर). सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही एक छवि हमारे दिमाग में बन जाती है. सरकारी स्कूलों की स्थिति को सुधारने की मांग उठ रही है. सरकार की तरफ से प्रयास भी हो रहे हैं, लेकिन जमीन पर उन योजनाओं का प्रयासों का हाल बेहाल है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और साफ-सफाई दूर की कौड़ी नजर आती है. ईटीवी भारत ने कामां के दो सरकारी स्कूलों की पड़ताल की. पड़ताल में स्कूलों का हाल ठीक वैसा ही नजर आया, जैसा हम आए दिन अखबारों, टीवी में देखते हैं.
कामां क्षेत्र की ग्राम पंचायत कनवाड़ा के दो स्कूलों में ईटीवी भारत ने पड़ताल की. वहां की सफाई व्यवस्था और दूसरी सुविधाओं का रियलिटी चेक किया. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कनवाड़ा के मेन गेट पर ताला लटका नजर आया. खुद संस्था प्रधान गेट खुलन के इंतजार में खड़े नजर आए. स्कूल के खुलने का समय सुबह साढ़े सात बजे है. लेकिन तब तक ना तो कोई टीचर स्कूल में पहुंचा और ना ही स्कूल का ताला खुला था.
वहीं नगला हरनारायण गांव की उच्च माध्यमिक विद्यालय का बुरा हाल नजर आया. स्कूल प्रांगण में चारों तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई थी. विद्यालय के पुस्तकालय का दरवाजा खुला पड़ा हुआ था. क्लास रूम में पशुओं का गोबर पड़ा हुआ था. जब इस बारे में संस्था प्रधान से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्कूल के चारों तरफ दीवार नहीं होने की वजह से अक्सर पशु यहां आ जाते हैं.
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ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में अध्यापक भी कभी-कभी आते हैं. निर्धारित समय पर अध्यापकों के नहीं आने पर PEEO ने बताया कि गांव में सर्वे का काम चल रहा है, इसलिए अध्यापकों की ड्यूटी सर्वे में लगा रखी है. जिस कारण अध्यापक विद्यालय में उपस्थित नहीं हो पाए. वहीं ब्लॉक अतिरिक्त मुख्य शिक्षा अधिकारी मनोज खुराना ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों के देरी से आने के बारे में संस्था प्रधान को नोटिस जारी किया जाएगा और स्पष्टीकरण आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
नगला हरनारायण गांव का विद्यालय उत्कृष्ट विद्यालयों की श्रेणी में शामिल है. जिसका हाल एक तबेले के जैसो हो रखा है. स्कूल के चारों तरफ बाउंड्री वॉल नहीं है. जिसके कारण आवारा पशु स्कूल में आ जाते हैं. और गंदगी का ढ़ेर लगा हुआ है. संस्था प्रधान ने कहा कि इस संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत किया जा चुका है. लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.