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स्पेशल स्टोरी: भरतपुर में जर्जर हालत में नवीन राजकीय महाविद्यालय, 3 विषयों के लिए कोई व्याख्याता नहीं

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Published : Mar 5, 2020, 2:04 PM IST

भरतपुर के नदबई कस्बे में दो साल पहले शुरू हुए राजकीय महाविद्यालय में हालात ये हैं कि उधारी के जिस भवन में महाविद्यालय संचालित हो रहा है, उसके करीब तीन कमरे पूरी तरह से जर्जर स्थिति में हैं. अब तक ना तो शौचालय की व्यवस्था हो पाई है, और ना ही पीने के पानी की. साथ ही महाविद्यालय में तीन विषयों को पढ़ाने के लिए एक भी व्याख्याता नहीं है.

Bharatpur News,राजकीय महाविद्यालय
भरतपुर में जर्जर हालत में राजकीय महाविद्यालय

भरतपुर. जिले के नगरी कस्बे में दो साल पहले शुरू हुए राजकीय महाविद्यालय में अब तक ना तो शौचालय की व्यवस्था हो पाई है और ना ही पीने के पानी की. हालात ये हैं कि उधारी के जिस भवन में महाविद्यालय संचालित हो रहा है, उसके करीब तीन कमरे पूरी तरह से जर्जर स्थिति में हैं. वहीं, महाविद्यालय में तीन विषयों को पढ़ाने के लिए एक भी व्याख्याता नहीं है. ऐसे में विद्यार्थियों को विषयों की पढ़ाई में परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है.

भरतपुर में जर्जर हालत में राजकीय महाविद्यालय

महाविद्यालय में स्नातक में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान और ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय है. इनमें से अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान के साथ ही ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय को पढ़ाने के लिए एक भी व्याख्याता उपलब्ध नहीं है.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: बूंदी के ऐतिहासिक दरवाजे खोते जा रहे अपना अस्तित्व, कोई जर्जर तो किसी पर अतिक्रमण

महाविद्यालय के जिम्मेदारों का कहना है कि वो महाविद्यालय का संचालन बड़ी मुश्किल से कर पा रहे हैं. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि पिछले साल अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान के साथ ही ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय को पढ़ाने के लिए एमएसजे कॉलेज और आरडी गर्ल्स कॉलेज से डेपुटेशन पर व्याख्याता लगाए गए थे, जिसके चलते तीनों विषयों का परिणाम काफी अच्छा रहा था. लेकिन, इस बार इन तीनों विषयों का एक भी व्याख्याता उपलब्ध नहीं है और ना ही डेपुटेशन पर किसी को लगाया गया है. ऐसे में विद्यार्थियों को तीनों विषयों की पढ़ाई पूरी करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने माना कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए पीने के पानी और शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है. उनका कहना है कि उन्होंने अपने स्तर पर विद्यार्थियों के लिए शौचालय और पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की है.

साथ ही उन्होंने बताया कि नदबई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सात कमरों में महाविद्यालय संचालित हो रहा है. लेकिन, इनमें से तीन कमरे पूरी तरह से खराब स्थिति में है. इनमें ना तो दरवाजे हैं और ना ही खिड़कियों की उचित व्यवस्था है. ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को खुले में पढ़ना पड़ता है.

पढ़ें: Special: सरकारी तंत्र की लापरवाही- जीवित महिला को बता दिया मृत, जिंदा साबित करने के लिए बेटा काट रहा विभागों के चक्कर

वहीं, बता दें कि महाविद्यालय के लिए स्कूल-प्रशासन की ओर से बैलारा में जमीन चिन्हित की गई थी. लेकिन, अभी तक उसकी एनओसी नहीं मिल सकी है. प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि जिला कलेक्टर ने महाविद्यालय के लिए अब नई जमीन तलाशने के निर्देश दिए हैं.

गौरतलब है कि साल 2018-19 में महाविद्यालय शुरू हुआ था. महाविद्यालय का संचालन नदबई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के भवन में किया जा रहा है और वर्तमान में यहां 145 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.

भरतपुर. जिले के नगरी कस्बे में दो साल पहले शुरू हुए राजकीय महाविद्यालय में अब तक ना तो शौचालय की व्यवस्था हो पाई है और ना ही पीने के पानी की. हालात ये हैं कि उधारी के जिस भवन में महाविद्यालय संचालित हो रहा है, उसके करीब तीन कमरे पूरी तरह से जर्जर स्थिति में हैं. वहीं, महाविद्यालय में तीन विषयों को पढ़ाने के लिए एक भी व्याख्याता नहीं है. ऐसे में विद्यार्थियों को विषयों की पढ़ाई में परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है.

भरतपुर में जर्जर हालत में राजकीय महाविद्यालय

महाविद्यालय में स्नातक में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान और ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय है. इनमें से अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान के साथ ही ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय को पढ़ाने के लिए एक भी व्याख्याता उपलब्ध नहीं है.

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महाविद्यालय के जिम्मेदारों का कहना है कि वो महाविद्यालय का संचालन बड़ी मुश्किल से कर पा रहे हैं. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि पिछले साल अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान के साथ ही ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय को पढ़ाने के लिए एमएसजे कॉलेज और आरडी गर्ल्स कॉलेज से डेपुटेशन पर व्याख्याता लगाए गए थे, जिसके चलते तीनों विषयों का परिणाम काफी अच्छा रहा था. लेकिन, इस बार इन तीनों विषयों का एक भी व्याख्याता उपलब्ध नहीं है और ना ही डेपुटेशन पर किसी को लगाया गया है. ऐसे में विद्यार्थियों को तीनों विषयों की पढ़ाई पूरी करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने माना कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए पीने के पानी और शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है. उनका कहना है कि उन्होंने अपने स्तर पर विद्यार्थियों के लिए शौचालय और पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की है.

साथ ही उन्होंने बताया कि नदबई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सात कमरों में महाविद्यालय संचालित हो रहा है. लेकिन, इनमें से तीन कमरे पूरी तरह से खराब स्थिति में है. इनमें ना तो दरवाजे हैं और ना ही खिड़कियों की उचित व्यवस्था है. ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को खुले में पढ़ना पड़ता है.

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वहीं, बता दें कि महाविद्यालय के लिए स्कूल-प्रशासन की ओर से बैलारा में जमीन चिन्हित की गई थी. लेकिन, अभी तक उसकी एनओसी नहीं मिल सकी है. प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि जिला कलेक्टर ने महाविद्यालय के लिए अब नई जमीन तलाशने के निर्देश दिए हैं.

गौरतलब है कि साल 2018-19 में महाविद्यालय शुरू हुआ था. महाविद्यालय का संचालन नदबई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के भवन में किया जा रहा है और वर्तमान में यहां 145 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.

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