भरतपूर. उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ के दर्शन के लिए हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालू पहुंचते है और सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते है. उत्तराखंड के केदारनाथ को जहां हर कोई जानता है वहीं राजस्थान के भरतपूर में भी केदारनाथ का एक भाग मौजूद है, जहां दूर दराज से लोग दर्शन करने आते है.
करीब 50 फ़ीट से ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ी पर केदारनाथ विराजमान है. पहाड़ी की गुफा के अंदर शिवलिंग मौजूद है और यह गुफा शेषनाग की आकृति का है. इस गुफा में जाने का रास्ता बेहद कठिन माना जाता है क्योकिं भगवान् केदारनाथ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालूओं को गुफा के अंदर लेटकर जाना पड़ता है.
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वहीं भगवान, केदारनाथ जिले के कामा उपखण्ड में स्थित है और यह क्षेत्र बृज क्षेत्र भी कहलाता है क्योंकि यहाँ भगवान् कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ क्रीड़ा करते थे और अपनी गायों को चराने के लिए भी आया करते थे.
ऐसी मान्यता है कि वयोवृद्ध नंदबाबा और यशोदा मैया ने जब चारों धामों की यात्रा करने का निर्णय किया तो श्रीकृष्ण ने उन्हें इस मुश्किल यात्रा पर भेजने से मना कर दिया. अपने बाबा और मैया को तीर्थों की यात्रा कराने के लिए श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों को ब्रज में ही आमंत्रित किया. श्रीकृष्ण के आवाह्न पर सभी तीर्थ ब्रजमंडल में आ गए. श्रीकृष्ण ने इन सभी तीर्थों को ब्रज में स्थान देकर उन्हें कृतार्थ किया.श्रीकृष्ण के आवाह्न पर सभी तीर्थ ब्रजमंडल में आ गए. श्रीकृष्ण ने इन सभी तीर्थों को ब्रज में स्थान देकर उन्हें कृतार्थ किया.
कहा जाता है कि तभी से यहाँ भगवान केदारनाथ विराजमान है और दूर दराज से लोग केदारनाथ के दर्शन के लिए आते है और यहाँ के स्थानीय लोग उत्तराखंड नहीं जाते बल्कि यहीं केदारनाथ के दर्शन करते है.
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बता दे कि कामा उपखण्ड के गाँव बिलोंद के पास ऊँची पहाड़ी पर केदारनाथ विराजमान है जहाँ जाने के लिए पहाड़ी पर सीढ़ियां भी बनी हुई है और वहीं शिवलिंग पर पानी डालने के लिए लोगों को नीचे से पानी भरकर ले जाना पड़ता है.
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भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए रोजाना यहां हजारों की संख्या में श्रध्दालु आते है, साथ ही पहाड़ी के नीचे भंडारा चलता है जहाँ लोग प्रसादी प्राप्त करते है
वहीं चैतन्यपुरी महाराज ने बताया की ब्रजराज और ब्रजवासियों की चर्चा महिमा वेद पुराणों में की गयी है. कामा 84 कोस परिक्रमा का भाग भी है और कामा का नाम उस समय काम्यवन,कदम्बवन था जिस समय वृंदावन हुआ करता था, जो भगवान् कृष्ण की लीला स्थली थी.