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मिथिलेश हत्याकांड : 'बेगुनाह' अरुण कटारा का जेल से निकलने के बाद छलका दर्द, परिवार ने बयां की पुलिस की बेरहमी, बदनामी और भुखमरी की कहानी

मिथिलेश हत्याकांड (Bharatpur Mithilesh murder case) मामले में पुलिस ने एक रिक्शा चालक Rickshaw Driver) को गिरफ्तार किया. जिस गुनाह को उसने किया ही नहीं था उसे कबूल कराने के लिए पुलिस ने टॉर्चर किया, लेकिन सबूत के अभाव में अरुण कटारा (Arun Katara) को रिहा करना पड़ा. इस दौरान कटारा और उसके परिवार ने जो झेला वो एक सदमे के जैसा है. देखिए ये रिपोर्ट...

Bharatpur Mithilesh murder case, arun katara
बेगुनाह' अरुण कटारा का जेल से निकलने के बाद छलका दर्द
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Published : Jun 28, 2021, 2:44 PM IST

भरतपुर. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस गुनाह को न किया जाए और उसकी सजा सबसे डरावनी, दर्दनाक और तड़पा देने वाली मिले. खाकी जिस पर पूरे समाज की रक्षा करने की जिम्मेदारी होती है वो खुद गुनहगार बन जाए तो क्या होगा. एक रिक्शा चालक जिसकी दिन भर की आमदनी से पूरा परिवार चलता है वो अगर सलाखों में बंद हो जाए और बेगुनाह हो उसका दर्द का अंदाजा क्या कोई लगा सकता है. ऐसी ही रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है अरुण कटारा की, जिसे बेगुनाह होते हुए भी यातनाएं दी गई, तड़पाया गया, डराया गया और धमकाया गया लेकिन फिर सबूत नहीं मिलने की वजह से रिहा कर दिया गया.

गोपालगढ़ मोहल्ला में रहने वाले अरुण कटारा की मां नर्वदा कहती हैं- मेरा बेटा बेगुनाह था लेकिन यह साबित होने में 2 साल का वक्त गुजर गया. आंखों में आंसू भरकर नर्वदा ने बेटे के बेगुनाह साबित होने पर भगवान का शुक्रिया अदा कर रही हैं. वो कहती हैं कि बीते 2 साल के दौरान पुलिस ने उनके बेटे अरुण कटारा को खूब टॉर्चर किया. पूरे परिवार को भी परेशान किया.

अरुण कटारा से सुनिए पूरी कहानी

पढ़ें- पुलिस ने मिथिलेश हत्याकांड में जिसको गिरफ्तार किया उच्चाधिकारी ने उसे निर्दोष बताकर रिहा करने के दिए आदेश

नर्वदा कहती हैं, 'मेरे पांच बेटे हैं और सभी इज्जत से मेहनत मजदूरी करके परिवार पाल रहे हैं. हमें किसी से मतलब नहीं होता है हम अपनी जिंदगी से खुश थे, लेकिन पुलिस ने हमारी खुशियां छीन ली. बेटे को जबरन हत्या के आरोप में पकड़ा गया और उसे टॉर्चर किया गया'.

जबरन जुर्म कबूल करने पर मजबूर किया गया

मिथिलेश हत्याकांड में पुलिस ने अरुण कटारा को आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया था. अरुण कटारा 7 महीनों तक सलाखों में बंद रहे इस दौरान कई ऐसी यातनाएं सही जिसे वो भूल नहीं पा रहे हैं.

अरुण कटारा कहते हैं- पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद 3 दिन तक थर्ड डिग्री टॉर्चर किया. उनके साथ मारपीट की गई और तब तक प्रताड़ित किया गया जब तक जुर्म नहीं कबूल कर लिया. उन्होंने कहा मुझे धमकी दी जाती थी कि अगर कोर्ट में जुर्म कबूल नहीं किया तो बद से बत्तर जिंदगी कर देंगे. उस डरावने लम्हे को याद करते हुए आगे अरुण कहते हैं कि उन्हें उंगली काटने, बिजली हीटर पर पेशाब कराने जैसी धमकी दी जाती थी. यही वजह थी कि डर के मारे कोर्ट में बेगुनाह होते हुए भी जुर्म कबूल कर लिया.

'हत्यारे का भाई बोलकर नहीं मिलती थी नौकरी'

बीते हुए दिनों को याद करते हुए अरुण कटारा के भाई विष्णु उभासी लेते हुए अचानक शांत हो जाते हैं. शायद वो कुछ बोल नहीं पा रहे थे. शब्द मुंह में आकर अटक रहे थे लेकिन फिर वो कोशिश करते हुए खुद को संभालते हैं. विष्णु कहते हैं- पुलिस ने भाई अरुण को मिथिलेश हत्याकांड का आरोपी बताकर गिरफ्तार किया था. इसके बाद का वक्त पूरे परिवार के लिए सदमे के जैसे था. हम तो परेशान ही थे लेकिन आसपास के लोग और कुछ अपने भी गलत तरीके से हमें देखते थे. रास्ते से निकलते तो लोग हत्यारे का भाई बोलकर ताना मारते थे. कहीं पर काम या रोजगार की तलाश में जाते तो कोई भी व्यक्ति उन्हें हत्यारे का भाई बताकर नौकरी पर रखने के लिए तैयार नहीं होता था.

अरुण कटारा की मां ने बताया उस रात पुलिस ने क्या किया था

ये भी पढ़ें: भरतपुर सांसद रंजीता कोली की बनाई फेक फेसबुक आईडी, अब परिचितों से रुपये मांग रहा शातिर...मामला दर्ज

विष्णु का कहना है कि परिवार ने दो साल तक बदनामी झेली है. मुझे कहीं नौकरी नहीं मिल रही थी. हमारे पास पैसे नहीं थे और परिवार भूखों मर रहा था. आज परिवार के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है कि भाई अरुण घर लौट आया है. विष्णु कहते हैं कि हमें ऐसा लगता है जैसे वो कुछ बुरा वक्त था और नींद खुलते ही बुरा सपना टूट गया.

अरुण कटारा कैसे बेगुनाह साबित हुए

अरुण कटारा मामले की जांच राजस्थान SOG कर रही थी. लगातार पड़ताल और जांच जारी थी, लेकिन कोई सबूत नहीं मिल रहा था जो ये साबित करे कि अरुण मिथिलेश गुप्ता हत्याकांड में शामिल था. कई महीनों तक जांच चलती रही. इस दौरान अरुण को प्रताड़ना और बुरे वक्त से गुजरना पड़ा. एसओजी को जब अरुण कटारा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला तो 16 अप्रैल 2021 को धारा 169 सीआरपीसी के तहत रिहा करने का फैसला लिया गया.

पुलिस से SOG के पास कैसे पहुंची जांच

अरुण कटारा की गिरफ्तारी के बाद से ही पूरा परिवार परेशान था. इस बीच पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठे. पीड़ित परिवार ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की और मामले की जांच एसओजी से कराने की अपील की. परिवार की अर्जी को कोर्ट ने मान लिया और इस तरह से एसओजी ने मामले में आगे की तफ्तीश शुरू की.

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तस्वीर में अरुण कटारा और उनकी मां

ये भी पढ़ें: Special : साहब! सीवर और नालों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, सुनिए झालावाड़ शहर में दूषित पानी पी रहे लोगों का दर्द

पुलिस की रिपोर्ट और एसओजी की जांच के बाद यह साबित हुआ कि अरुण कटारा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है. एसओजी ने अपनी जांच में कटारा को पूरी तरह से बेगुनाह माना है. मामले में अपनी रिपोर्ट एसओजी ने कोर्ट को भेजा है और अभी भी कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है.

यह था पूरा मामला

10 अप्रैल 2019 को शहर की आदर्श नगर निवासी मिथिलेश गुप्ता पत्नी सुरेश गुप्ता की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी और उसके जेवरात भी चुरा लिए गए थे. इस संबंध में मृतका के पति सुरेश गुप्ता ने कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था. पूरे मामले में पुलिस ने तफ्तीश करने के बाद गोपालगढ़ मोहल्ला निवासी एक रिक्शा चालक अरुण कटारा को हत्या का आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था.

भरतपुर. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस गुनाह को न किया जाए और उसकी सजा सबसे डरावनी, दर्दनाक और तड़पा देने वाली मिले. खाकी जिस पर पूरे समाज की रक्षा करने की जिम्मेदारी होती है वो खुद गुनहगार बन जाए तो क्या होगा. एक रिक्शा चालक जिसकी दिन भर की आमदनी से पूरा परिवार चलता है वो अगर सलाखों में बंद हो जाए और बेगुनाह हो उसका दर्द का अंदाजा क्या कोई लगा सकता है. ऐसी ही रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है अरुण कटारा की, जिसे बेगुनाह होते हुए भी यातनाएं दी गई, तड़पाया गया, डराया गया और धमकाया गया लेकिन फिर सबूत नहीं मिलने की वजह से रिहा कर दिया गया.

गोपालगढ़ मोहल्ला में रहने वाले अरुण कटारा की मां नर्वदा कहती हैं- मेरा बेटा बेगुनाह था लेकिन यह साबित होने में 2 साल का वक्त गुजर गया. आंखों में आंसू भरकर नर्वदा ने बेटे के बेगुनाह साबित होने पर भगवान का शुक्रिया अदा कर रही हैं. वो कहती हैं कि बीते 2 साल के दौरान पुलिस ने उनके बेटे अरुण कटारा को खूब टॉर्चर किया. पूरे परिवार को भी परेशान किया.

अरुण कटारा से सुनिए पूरी कहानी

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नर्वदा कहती हैं, 'मेरे पांच बेटे हैं और सभी इज्जत से मेहनत मजदूरी करके परिवार पाल रहे हैं. हमें किसी से मतलब नहीं होता है हम अपनी जिंदगी से खुश थे, लेकिन पुलिस ने हमारी खुशियां छीन ली. बेटे को जबरन हत्या के आरोप में पकड़ा गया और उसे टॉर्चर किया गया'.

जबरन जुर्म कबूल करने पर मजबूर किया गया

मिथिलेश हत्याकांड में पुलिस ने अरुण कटारा को आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया था. अरुण कटारा 7 महीनों तक सलाखों में बंद रहे इस दौरान कई ऐसी यातनाएं सही जिसे वो भूल नहीं पा रहे हैं.

अरुण कटारा कहते हैं- पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद 3 दिन तक थर्ड डिग्री टॉर्चर किया. उनके साथ मारपीट की गई और तब तक प्रताड़ित किया गया जब तक जुर्म नहीं कबूल कर लिया. उन्होंने कहा मुझे धमकी दी जाती थी कि अगर कोर्ट में जुर्म कबूल नहीं किया तो बद से बत्तर जिंदगी कर देंगे. उस डरावने लम्हे को याद करते हुए आगे अरुण कहते हैं कि उन्हें उंगली काटने, बिजली हीटर पर पेशाब कराने जैसी धमकी दी जाती थी. यही वजह थी कि डर के मारे कोर्ट में बेगुनाह होते हुए भी जुर्म कबूल कर लिया.

'हत्यारे का भाई बोलकर नहीं मिलती थी नौकरी'

बीते हुए दिनों को याद करते हुए अरुण कटारा के भाई विष्णु उभासी लेते हुए अचानक शांत हो जाते हैं. शायद वो कुछ बोल नहीं पा रहे थे. शब्द मुंह में आकर अटक रहे थे लेकिन फिर वो कोशिश करते हुए खुद को संभालते हैं. विष्णु कहते हैं- पुलिस ने भाई अरुण को मिथिलेश हत्याकांड का आरोपी बताकर गिरफ्तार किया था. इसके बाद का वक्त पूरे परिवार के लिए सदमे के जैसे था. हम तो परेशान ही थे लेकिन आसपास के लोग और कुछ अपने भी गलत तरीके से हमें देखते थे. रास्ते से निकलते तो लोग हत्यारे का भाई बोलकर ताना मारते थे. कहीं पर काम या रोजगार की तलाश में जाते तो कोई भी व्यक्ति उन्हें हत्यारे का भाई बताकर नौकरी पर रखने के लिए तैयार नहीं होता था.

अरुण कटारा की मां ने बताया उस रात पुलिस ने क्या किया था

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विष्णु का कहना है कि परिवार ने दो साल तक बदनामी झेली है. मुझे कहीं नौकरी नहीं मिल रही थी. हमारे पास पैसे नहीं थे और परिवार भूखों मर रहा था. आज परिवार के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है कि भाई अरुण घर लौट आया है. विष्णु कहते हैं कि हमें ऐसा लगता है जैसे वो कुछ बुरा वक्त था और नींद खुलते ही बुरा सपना टूट गया.

अरुण कटारा कैसे बेगुनाह साबित हुए

अरुण कटारा मामले की जांच राजस्थान SOG कर रही थी. लगातार पड़ताल और जांच जारी थी, लेकिन कोई सबूत नहीं मिल रहा था जो ये साबित करे कि अरुण मिथिलेश गुप्ता हत्याकांड में शामिल था. कई महीनों तक जांच चलती रही. इस दौरान अरुण को प्रताड़ना और बुरे वक्त से गुजरना पड़ा. एसओजी को जब अरुण कटारा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला तो 16 अप्रैल 2021 को धारा 169 सीआरपीसी के तहत रिहा करने का फैसला लिया गया.

पुलिस से SOG के पास कैसे पहुंची जांच

अरुण कटारा की गिरफ्तारी के बाद से ही पूरा परिवार परेशान था. इस बीच पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठे. पीड़ित परिवार ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की और मामले की जांच एसओजी से कराने की अपील की. परिवार की अर्जी को कोर्ट ने मान लिया और इस तरह से एसओजी ने मामले में आगे की तफ्तीश शुरू की.

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तस्वीर में अरुण कटारा और उनकी मां

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पुलिस की रिपोर्ट और एसओजी की जांच के बाद यह साबित हुआ कि अरुण कटारा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है. एसओजी ने अपनी जांच में कटारा को पूरी तरह से बेगुनाह माना है. मामले में अपनी रिपोर्ट एसओजी ने कोर्ट को भेजा है और अभी भी कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है.

यह था पूरा मामला

10 अप्रैल 2019 को शहर की आदर्श नगर निवासी मिथिलेश गुप्ता पत्नी सुरेश गुप्ता की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी और उसके जेवरात भी चुरा लिए गए थे. इस संबंध में मृतका के पति सुरेश गुप्ता ने कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था. पूरे मामले में पुलिस ने तफ्तीश करने के बाद गोपालगढ़ मोहल्ला निवासी एक रिक्शा चालक अरुण कटारा को हत्या का आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था.

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