भरतपुर. जिले के अपना घर आश्रम (Apna Ghar Ashram Bharatpur) के संस्थापक दंपती डॉ. बीएम भारद्वाज और माधुरी भारद्वाज बीते 22 साल से मानव सेवा के कार्य से जुड़े हुए हैं. समाज में बेसहारा और निराश्रित लोगों को ये अपना घर आश्रम में लाकर उनकी देखभाल और सेवा करते हैं. इनका प्रयास रहता है कि स्वस्थ होने के बाद इनको उनके परिजनों के पास अपने घर पहुंचाया जा सके. इसी प्रयास में अपना घर आश्रम बीते 22 साल में अब तक ऐसे करीब 23 हजार से (Apna Ghar Ashram took people their homes) भी अधिक लोगों (प्रभुजनों) को परिजनों से मिलाकर उनके घर तक पहुंचा चुके हैं. 22 साल पहले शुरू हुआ मानव सेवा का यह कार्य निरंतर जारी है.
एक प्रभुजन के साथ आश्रम शुरू हुआ था: अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि 29 जून वर्ष 2000 को बझेरा में एक प्रभुजन के साथ अपना घर आश्रम की नींव रखी गई थी. उसके बाद यह सिलसिला बढ़ता गया और अब नेपाल समेत पूरे देश में अपना घर आश्रम की 51 शाखाएं संचालित की जा रही हैं जिनमें करीब 9000 प्रभुजन निवास कर रहे हैं.
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22 साल में 23 हजार का पुनर्वास
डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 2000 में शुरू हुए अपना घर आश्रम में लगातार प्रभुजन की संख्या बढ़ती गई लेकिन आश्रम का यह प्रयास रहा कि घर से निकाले गए और परिजनों से बिछुड़े प्रभुजनों को उनके घरवालों से वापस मिलाकर पुनर्वासित (Apna Ghar Ashram rehabilitate people) किया जा सके. क्योंकि परिजनों और अपने घर का कोई विकल्प नहीं होता है. इसी प्रयास के तहत वर्ष 2000 से अब तक कुल 23 हजार से अधिक प्रभुजनों को परिजनों से मिलाकर पुनर्वासित किया जा चुका है. इसमें भारत ही नहीं बल्कि नेपाल, जर्मनी और अमेरिका के प्रभुजनों को भी उनके देश में परिजनों तक भेजवाया जा चुका है.
आश्रम आते ही सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो अपडेट करते हैं
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में आने वाले प्रभुजन को पुनर्वासित करने के लिए आश्रम की मुख्य रूप से 4 सदस्यीय टीम काम करती हैं. इसके अलावा अपना घर आश्रम की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी भरपूर उपयोग किया जाता है. आश्रम में जिस समय कोई भी प्रभुजन का प्रवेश कराया जाता है, उसी समय से उनके पुनर्वास का प्रयास शुरू कर दिया जाता है. प्रभु जन के आते ही उनका फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाता है. सोशल मीडिया और मोबाइल के माध्यम से अपना घर आश्रम से देशभर के करीब 10 लाख लोग जुड़े हुए हैं. इन सभी के माध्यम से प्रभुजन को अपनों से मिलवाने का प्रयास किया जाता है.
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स्वस्थ होने पर काउंसलिंग कर जानकारी जुटाते हैं
अपना घर आश्रम में आने के बाद उपचार और देखभाल से जब प्रभुजन स्वस्थ होने लगते हैं तो उनकी काउंसलिंग शुरू की जाती है. प्रयास किया जाता है कि उनके घर का पता या परिजनों का कोई फोन नंबर मिल सके. जैसे ही किसी भी प्रभु जी की घर या परिजन की कोई जानकारी मिलती है तो तुरंत प्रभाव से पुलिस, प्रशासन और लोगों के माध्यम से उनके परिजनों की तलाश शुरू कर दी जाती है. परिजनों से संपर्क होते ही प्रभुजन को उन्हें सुपुर्द कर पुनर्वासित करवाया जाता है.
इतना ही नहीं ऐसे भी कई प्रभुजन होते हैं जिन्हें परिजन नहीं स्वीकार करना चाहते हैं. ऐसे प्रभुजा को अपना घर आश्रम में ही रखा जाता है और उनका पूरा ख्याल रखा जाता है. आज भी अपना घर आश्रम के सभी 51 शाखाओं में करीब 9 हजार से अधिक प्रभुजन रहते हैं.