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बाड़मेर में 4 अलग-अलग आधारों पर की जा रही है पानी की जांच, 60 फीसदी काम हुआ पूरा

क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य के दूसरे सबसे बड़े जिले बाड़मेर में हर गांव ढाणी के पानी की सेहत को जांचने का कार्य युद्धस्तर पर कर रहा है. अकेले सरहदी बाड़मेर में इस वित्तिय वर्ष की छमाही में पानी के 4 हजार 190 सैम्पल लेकर उनकी रिपोर्ट बनाई गई है. जिले में इस वित्तिय वर्ष में तय किए गए लक्ष्यों का तकरीबन 60 फीसदी लक्ष्य पहली छमाही में ही अर्जित कर लिया गया है.

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बाड़मेर में तेजी से की जा रही है पानी की जांच
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Published : Oct 1, 2020, 8:47 PM IST

बाड़मेर. राज्य में जलदाय विभाग हर नागरिक तक शुद्ध जल पहुंचाने के मकसद से पानी की सेहत को जांचने का कार्य युद्धस्तर पर कर रहा है. अकेले सरहदी बाड़मेर में इस वित्तीय वर्ष की छमाही में पानी के 4 हजार 190 सैम्पल लेकर उनकी रिपोर्ट बनाई गई है. ये सब कुछ जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जिला मुख्यालय स्थित जल प्रयोगशाला में काम करने वाले लोगों की महनत से संभव हो पाया है.

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बाड़मेर में तेजी से की जा रही है पानी की जांच

क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य के दूसरे सबसे बड़े जिले बाड़मेर में हर गांव ढाणी के पानी की नब्ज टटोलने का काम इन दिनों युद्धस्तर पर चल रहा है. 4 अलग-अलग आधारों पर चल रही पानी की जांच को बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जल प्रयोगशाला में बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. जिले में इस वित्तिय वर्ष में तय किए गए लक्ष्यों का तकरीबन 60 फीसदी लक्ष्य पहली छमाही में ही अर्जित कर लिया गया है. अवशेष क्लोरीन में 1250, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता कार्यक्रम में 1830, रसायनिक जांच में 300 और जीवाणु जांच में अब तक 810 वाटर सैम्पलों की जांच की जा चुकी है.

ये भी पढ़ेंः बाड़मेर: सर्वधर्म प्रार्थना स्थल हुआ बदहाली का शिकार, लोगों की भावनाएं हो रही है आहत

बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जल प्रयोगशाला के कनिष्ठ प्रयोगशाला सहायक जसराज सोनगरा ने बताया कि, जिले के अलग-अलग इलाकों से पानी के सैम्पल जिला मुख्यालय की लैब पहुंचते हैं. यहां उनकी जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है. इस प्रयोगशाला में टर्बिडिटी, पीएच, आयरन, फ्लोराइड और कठोरता समेत अन्य जांच होती हैं. इन्ही जांचों से पानी की सेहत के बारे में पता लगाया जा रहा है. मानव स्वास्थ्य के तय मानकों के अनुसार पानी में हर तत्व की मात्रा तय है. इससे कम या अधिक होना हानिकारक है. हर व्यक्ति तक शुद्ध जल पहुंचाने के साथ-साथ आने वाले दिनों में बनने वाली विभिन्न जलप्रदाय योजनाओं के लिए ये जांच आधारभूत ढांचा तैयार करेगी.

सरहदी बाड़मेर में दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ अंतिम छोर पर बसी ढाणियों और आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ये वॉटर सैम्पलिंग अहम भूमिका अदा कर रही है. वहीं, ग्रामीण भी अब अपने पानी की जांच के लिए आगे बढ़कर सैम्पलिंग करवाते नजर आ रहे हैं. जिले भर के ग्रामीण इलाकों में डब्ल्यूएसएसओ की आईईसी ईकाई की तरफ से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल और जल सरंक्षण के साथ-साथ जल बचत को लेकर विभिन्न माध्यमों से जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है. जिससे सीधे तौर पर ग्रामीणों को जोड़कर उन्हें जल बचत की सीख सिखाई जा रही है.

बाड़मेर. राज्य में जलदाय विभाग हर नागरिक तक शुद्ध जल पहुंचाने के मकसद से पानी की सेहत को जांचने का कार्य युद्धस्तर पर कर रहा है. अकेले सरहदी बाड़मेर में इस वित्तीय वर्ष की छमाही में पानी के 4 हजार 190 सैम्पल लेकर उनकी रिपोर्ट बनाई गई है. ये सब कुछ जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जिला मुख्यालय स्थित जल प्रयोगशाला में काम करने वाले लोगों की महनत से संभव हो पाया है.

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बाड़मेर में तेजी से की जा रही है पानी की जांच

क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य के दूसरे सबसे बड़े जिले बाड़मेर में हर गांव ढाणी के पानी की नब्ज टटोलने का काम इन दिनों युद्धस्तर पर चल रहा है. 4 अलग-अलग आधारों पर चल रही पानी की जांच को बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जल प्रयोगशाला में बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. जिले में इस वित्तिय वर्ष में तय किए गए लक्ष्यों का तकरीबन 60 फीसदी लक्ष्य पहली छमाही में ही अर्जित कर लिया गया है. अवशेष क्लोरीन में 1250, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता कार्यक्रम में 1830, रसायनिक जांच में 300 और जीवाणु जांच में अब तक 810 वाटर सैम्पलों की जांच की जा चुकी है.

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बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जल प्रयोगशाला के कनिष्ठ प्रयोगशाला सहायक जसराज सोनगरा ने बताया कि, जिले के अलग-अलग इलाकों से पानी के सैम्पल जिला मुख्यालय की लैब पहुंचते हैं. यहां उनकी जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है. इस प्रयोगशाला में टर्बिडिटी, पीएच, आयरन, फ्लोराइड और कठोरता समेत अन्य जांच होती हैं. इन्ही जांचों से पानी की सेहत के बारे में पता लगाया जा रहा है. मानव स्वास्थ्य के तय मानकों के अनुसार पानी में हर तत्व की मात्रा तय है. इससे कम या अधिक होना हानिकारक है. हर व्यक्ति तक शुद्ध जल पहुंचाने के साथ-साथ आने वाले दिनों में बनने वाली विभिन्न जलप्रदाय योजनाओं के लिए ये जांच आधारभूत ढांचा तैयार करेगी.

सरहदी बाड़मेर में दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ अंतिम छोर पर बसी ढाणियों और आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ये वॉटर सैम्पलिंग अहम भूमिका अदा कर रही है. वहीं, ग्रामीण भी अब अपने पानी की जांच के लिए आगे बढ़कर सैम्पलिंग करवाते नजर आ रहे हैं. जिले भर के ग्रामीण इलाकों में डब्ल्यूएसएसओ की आईईसी ईकाई की तरफ से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल और जल सरंक्षण के साथ-साथ जल बचत को लेकर विभिन्न माध्यमों से जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है. जिससे सीधे तौर पर ग्रामीणों को जोड़कर उन्हें जल बचत की सीख सिखाई जा रही है.

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