बाड़मेर. फ्रंटलाइन वॉरियर्स में वेटरनरी चिकित्साकर्मियों को सम्मिलित नहीं करने से आक्रोशित वेटरनरी चिकित्सा कर्मियों ने पशु चिकित्सा संस्थाएं बंद रखने का एलान किया है. चिकित्सा कर्मियों ने मामले में जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
कोरोना महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने वाले कार्मिकों को कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर की सूची में वेटरनरी चिकित्सा कर्मियों को सम्मिलित नहीं करने से आक्रोशित वेटरनरी चिकित्सा कर्मियों ने गुरुवार को बाड़मेर जिला कलेक्टर को संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग के नाम ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार की ओर से पशुपालन विभाग को फ्रंटलाइन वर्कर इमरजेंसी सर्विस में सम्मिलित किया जाए. आदेश प्राप्त नहीं होने तक पशु चिकित्सा संस्थाओं को बंद करने का ऐलान कर दिया है.
वेटरनरी चिकित्सा कर्मियों के अनुसार वर्ष 2020 में समस्त पशु चिकित्सा संस्थाएं राज्यव्यापी कोरोनावायरस के दौरान निरंतर खुली रहकर पशु चिकित्सा सेवाओं का कार्य किया. साथ ही एवं एफएमडी टीकाकरण एवं अन्य विभागीय योजनाओं को पशु पालकों की ओर से विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ओर से जान जोखिम में डालकर उपलब्ध करवाई गई लेकिन कोरोना महामारी से ग्रसित विभाग के अधिकारियों, कार्मिकों की दुखद मृत्यु पर कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर के परिलाभ से उन्हें वंचित रखा गया.
कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना टीकाकरण के समय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को टीकाकरण का लाभ यह कहते हुए नहीं दिया गया कि आप फ्रंटलाइन वर्कर इमरजेंसी सर्विस में नहीं आते हैं. जबकि वर्ष 2021 में राज्य सरकार के 18 अप्रैल को आदेश अनुसार पशु चिकित्सा सेवाओं को लॉकडाउन के दौरान खुला रखने की सूची में सम्मिलित नहीं किया गया है, ना ही विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं. ऐसे में गुरुवार को जिला कलेक्टर को संयुक्त निर्देशक पशुपालन विभाग के नाम ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि राज्य सरकार की ओर से पशुपालन विभाग को फ्रंटलाइन वर्कर इमरजेंसी सर्विस में सम्मिलित करते हुए पशु चिकित्सक संस्थाओं को खुले रखने के आदेश प्राप्ति होने तक विभाग की संस्थाएं लॉकडाउन रहेंगी.