बीकानेर. राजस्थान में गुणवत्ता युक्त शिक्षा (Quality Education in Rajasthan) को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से लगातार मुहिम चलाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो साल तक बच्चों की पढ़ाई खासा प्रभावित हुई. ऐसे में अब विभाग ने पढ़ाई के साथ नवाचार पर विशेष जोर दिया है. हर साल विभाग की ओर से स्कूली खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जिसमें भारी संख्या में स्कूली बच्चे हिस्सा भी लेते हैं. साथ इसके आयोजन के पीछे एक मात्र मकसद बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास होता है. लेकिन अब इस खेल प्रतियोगिता के आयोजन के दायरे को बढ़ाने की योजना बनाई गई है, ताकि अधिक से अधिक बच्चे इसमें शामिल हो सके. पहले इस प्रतियोगिता में केवल 18 खेल ही शामिल थे, लेकिन अब इसमें कई ग्रामीण खेलों को (school sports competition in Rajasthan) भी जोड़ा गया है.
शिक्षा विभाग के निदेशक गौरव अग्रवाल ने (Rajasthan education department) कहा कि बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ ही उनका शारीरिक व मानसिक विकास भी बेहद जरूरी है. इसलिए हमने गैजेट फ्रेंडली बच्चों को खेल के मैदान में उतारने का निर्णय लिया है. ऐसे तो हर साल जिला स्तर पर विभाग की ओर से खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है, लेकिन अबकी हमने मैदान में नवाचार पर विशेष जोर दिया है. यही कारण है इस बार खेलों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है. पहले केवल 18 खेलों को ही प्रतियोगिता में शामिल किया जाता था, लेकिन अब इसमें 30 अन्य खेलों को भी शामिल किया गया है.
गुमनाम खेलों को पहचान दिलाने की कोशिश: शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने कहा कि नए शामिल किए गए 30 खेलों में वे खेल भी शामिल हैं, जो वर्तामान में ग्रामीण अंचलों तक सिमट कर रह गए हैं या फिर पूरी तरह से लुप्त होने के कगार पर हैं. ऐसे में हम अपने पारंपरिक खेलों को फिर से स्कूली खेल प्रतियोगिता से जोड़ उन्हें बड़े स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश में जुटे हैं.
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केवल, क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और शतरंज ही नहीं... आमतौर पर खिलाड़ियों में क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन और शतरंज जैसे खेलों को लेकर ही रुझान देखने को मिलता है. लेकिन अब शिक्षा विभाग ने अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचलित खेलों को भी स्कूली प्रतियोगिताओं में शामिल किया है. वहीं, इसके साथ ही अब केवल छात्रों के लिए प्रचलित फुटबॉल, क्रिकेट और कुश्ती जैसे खेलों में अब छात्राएं भी हिस्सा लेंगी और इन तीनों खेलों में अपना दमखम दिखाएंगी. दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाली छात्राएं अब तक मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खेलों के प्रति आकर्षित नहीं हो रही थी, लेकिन अब शिक्षा विभाग की इस पहल से शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियां भी इन खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन को प्रतिस्पर्धा में शामिल होगी.
सेपक टकरा, लगोरी और मलखंभ भी शामिल: अबकी तैयार खेलों की नई सूची में टेनिस, क्रिकेट, साइकिलिंग, ताइक्वांडो, बॉल बैडमिंटन, बॉक्सिंग, स्पीड बॉल, नेटबॉल, थ्रो बॉल के साथ ही 30 अन्य स्थानीय खेलों को शामिल किया गया है. जिनमें कुछ ओलंपिक में भी खेले जाते हैं. जिसमें सेपक टकरा, लगोरी (सतोलिया) और मलखंभ जैसे खेल शामिल हैं. शिक्षा निदेशक ने बताया कि ये वो खेल हैं, जो हमारे गांवों में कभी खेले जाते थे, लेकिन अब आहिस्ते-आहिस्ते लुप्त होने के कगार पर हैं. नई पीढ़ी के बच्चे तो इन खेलों के बारे में कुछ जानते ही नहीं है, लेकिन हमारी यह कोशिश है कि आने वाली पीढ़ी को इसके बारे में बताया जाए और उन्हें इन खेलों के लिए प्रेरित किया जाए.
चार वर्ग में होगी प्रतियोगिताएं: 17 और 19 साल की आयु वर्ग की अलग-अलग इन प्रतियोगिताओं के लिए प्रदेशभर में जिला स्तर पर 6 नवंबर से स्कूली गेम शुरू होंगे, जो चार समूह में आयोजित होंगे. इन प्रतियोगिताओं का समापन 5 दिसंबर को होगा. वहीं, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता 14 नवंबर से 16 जनवरी तक होंगे. आगे बताया गया कि जिला स्तर की प्रतियोगिताएं जिला शिक्षा अधिकारी के अधीन संचालित होंगी. वहीं, राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का संचालन माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से किया जाएगा.
माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा 6 से 12 तक के 17 से 19 वर्ष आयु वर्ग की इन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा तो प्रारंभिक शिक्षा विभाग कक्षा 5वी तक के विद्यार्थियों के लिए अलग से जिला व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित करेगा. जिसमें अबकी 20 नए खेलों को शामिल किया गया है.