बाड़मेर. जीतू खटीक मामले में लगातार चार दिन से चल रहा धरना रविवार को समाप्त हो गया. दलित समाज के प्रतिनिधिमंडल और राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य मेवाराम जैन के बीच वार्ता हुई, जिसके बाद आपसी सहमति बन गई है. इसके बाद मेडिकल बोर्ड से मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है. वहीं सोमवार को शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
आपसी सहमति के बाद मृतक के परिजन और दलित समाज के लोग शव उठाने को तैयार हो गए. मृतक के आश्रित को सरकारी नौकरी और 25 लाख रुपए के मुआवजे पर सहमति बनी है. इसके अलावा उच्चस्तरीय जांच और मृतक के परिवार को भूखंड देने की बात कही गई है.
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बाड़मेर शहर निवासी जीतू खटीक को ग्रामीण थाना पुलिस ने 26 फरवरी को उसकी दुकान से चोरी के आरोप में पकड़ कर थाने ले गई थी. वहीं 27 फरवरी को पुलिस हिरासत में जीतू की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उसे आनन-फानन में राजकीय अस्पताल बाड़मेर लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
इसके बाद आक्रोशित दलित समाज के लोग पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी, सीबीआई जांच, पीड़ित परिवार को एक करोड़ का आर्थिक मुआवजा, सरकारी नौकरी और एक भूखंड की मांग को लेकर 4 दिनों से मोर्चरी के आगे शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे हुए थे. इस बीच सरकार ने ग्रामीण थाना अधिकारी को निलंबित और पूरे थाने को लाइन हाजिर करने के साथ डीवाईएसपी विजय सिंह और एसपी शरद चौधरी को एपीओ कर दिया.
सरकार की इस कार्रवाई के बाद भी दलित समाज के लोग इस मामले की सीबीआई जांच और पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 में मुकदमा दर्ज करवाने और अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए थे. इस मामले में रविवार को राज्य सरकार की ओर से स्थानीय विधायक मेवाराम जैन ने मध्यस्था करते हुए दलित समाज के लोगों से वार्ता की, जिसके बाद विभिन्न मांगों पर आपसी सहमति बन पाई.