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लांबडा मामलाः आदिवासी भील समुदाय के साथ अनुसूचित जाति, जनजाति एकता मंच का धरना 43वें दिन भी जारी, मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन

बाड़मेर प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर आदिवासी भील समुदाय के लोगों को बेघर कर दिया है. जिसके विरोध में भील समाज की ओर से लगातार 43वें दिन भी धरना दिया जा रहा है. साथ ही समुदाय के लोगों ने जिला कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

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43वें दिन भी जारी है भील समाज का धरना
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Published : Sep 7, 2020, 8:24 PM IST

बाड़मेर. जिले के गडरा रोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में स्थानीय प्रशासन की ओर से हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में आदिवासी भील समुदाय के लोग और अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच की ओर से बाड़मेर जिला मुख्यालय पर धरना दिया जा रहा है.

43वें दिन भी जारी है भील समाज का धरना

बता दें कि सोमवार को 43वें दिन भी ये धरना जारी रहा. धरना प्रदर्शन के दौरान एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल और संयोजक लक्ष्मण बडेरा के नेतृत्व में धरनाथिर्यों ने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लिए कलेक्ट्रेट परिसर के आगे मानव श्रृंखला बनाकर प्रशासन की अतिक्रमण कार्रवाई का विरोध जताया. उन्होंने जिला कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर भेदभाव पूर्ण कार्रवाई कर षड्यंत्र करने और आदिवासी भील परिवारों को बेघर करने का आरोप लगाते हुए गडरा रोड एसडीएम तहसीलदार पटवारी को निलंबित करने की मांग की.

अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के संयोजक लक्ष्मण वडेरा ने बताया कि गडरारोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में आदिवासी भील परिवार अपनी खातेदारी खेत के पास बीएनपी घोषित होने से पहले रहते आ रहे थे, जिसके बाद सरकार ने इन आदिवासी भील परिवारों को गोचर भूमि खसरा संख्या 806 में भूमि का आवंटन किया था, लेकिन गांव के असामाजिक तत्वों और प्रभावशाली लोगों ने इन आदिवासी भील परिवारों को आबादी क्षेत्र में बसने नहीं दिया. जिससे आदिवासी भील परिवार अपने खेत के किनारे खसरा संख्या 800 में निवास करने लगे. इसलिए साल 2018 में सरकार ने भूमि आवंटन प्रस्ताव पर जांच करवाई जो विचाराधीन है.

पढ़ें- बाड़मेर: हत्या के गुनहगारों को गिरफ्तार करने की मांग, पीड़ित परिवार ने दी प्रदर्शन की चेतावनी

उन्होंने आरोप लगाया कि गांव के प्रभावशाली लोगों ने प्रशासन के साथ मिलीभगत कर उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया. जिसके बाद तहसीलदार गडरा रोड ने भील आदिवासियों के विरुद्ध शांतिभंग का नोटिस जारी कर 14 दिन आदिवासियों को पाबंद कर तहसील कार्यालय में बैठा दिया और तहसीलदार के नेतृत्व में भारी पुलिस जाब्ते के साथ पहुंची. जेसीबी ने आदिवासियों के घरों को को तहस-नहस कर बेघर कर दिया.

उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करते हुए भील आदिवासी परिवारों को बेघर कर दिया है जो बेहद निंदनीय है. मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में नाम बड़ा गांव के भील आदिवासियों ने पूरे मामले की जांच करने और बेघर हुए परिवारों को मुआवजा के साथ वापस कब्जा दिलाने की मांग की.

बाड़मेर. जिले के गडरा रोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में स्थानीय प्रशासन की ओर से हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में आदिवासी भील समुदाय के लोग और अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच की ओर से बाड़मेर जिला मुख्यालय पर धरना दिया जा रहा है.

43वें दिन भी जारी है भील समाज का धरना

बता दें कि सोमवार को 43वें दिन भी ये धरना जारी रहा. धरना प्रदर्शन के दौरान एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल और संयोजक लक्ष्मण बडेरा के नेतृत्व में धरनाथिर्यों ने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लिए कलेक्ट्रेट परिसर के आगे मानव श्रृंखला बनाकर प्रशासन की अतिक्रमण कार्रवाई का विरोध जताया. उन्होंने जिला कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर भेदभाव पूर्ण कार्रवाई कर षड्यंत्र करने और आदिवासी भील परिवारों को बेघर करने का आरोप लगाते हुए गडरा रोड एसडीएम तहसीलदार पटवारी को निलंबित करने की मांग की.

अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के संयोजक लक्ष्मण वडेरा ने बताया कि गडरारोड तहसील के राजस्व गांव लांबडा में आदिवासी भील परिवार अपनी खातेदारी खेत के पास बीएनपी घोषित होने से पहले रहते आ रहे थे, जिसके बाद सरकार ने इन आदिवासी भील परिवारों को गोचर भूमि खसरा संख्या 806 में भूमि का आवंटन किया था, लेकिन गांव के असामाजिक तत्वों और प्रभावशाली लोगों ने इन आदिवासी भील परिवारों को आबादी क्षेत्र में बसने नहीं दिया. जिससे आदिवासी भील परिवार अपने खेत के किनारे खसरा संख्या 800 में निवास करने लगे. इसलिए साल 2018 में सरकार ने भूमि आवंटन प्रस्ताव पर जांच करवाई जो विचाराधीन है.

पढ़ें- बाड़मेर: हत्या के गुनहगारों को गिरफ्तार करने की मांग, पीड़ित परिवार ने दी प्रदर्शन की चेतावनी

उन्होंने आरोप लगाया कि गांव के प्रभावशाली लोगों ने प्रशासन के साथ मिलीभगत कर उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया. जिसके बाद तहसीलदार गडरा रोड ने भील आदिवासियों के विरुद्ध शांतिभंग का नोटिस जारी कर 14 दिन आदिवासियों को पाबंद कर तहसील कार्यालय में बैठा दिया और तहसीलदार के नेतृत्व में भारी पुलिस जाब्ते के साथ पहुंची. जेसीबी ने आदिवासियों के घरों को को तहस-नहस कर बेघर कर दिया.

उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करते हुए भील आदिवासी परिवारों को बेघर कर दिया है जो बेहद निंदनीय है. मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में नाम बड़ा गांव के भील आदिवासियों ने पूरे मामले की जांच करने और बेघर हुए परिवारों को मुआवजा के साथ वापस कब्जा दिलाने की मांग की.

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