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बाड़मेर: निजी शिक्षण संस्थान संघ ने आयोजित की प्रेस वार्ता, विद्यालयों को खोलने सहित 16 सूत्रीय मांग

बाड़मेर में शुक्रवार को निजी शिक्षण संस्थान संघ ने प्रेस वार्ता कर सरकार से 8 महीनों से बंद पड़े स्कूलों को खोलने सहित कई मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी और 16 सूत्रीय मांगे बताई. निजी शिक्षण संस्थान के जिलाध्यक्ष बाल सिंह राठौड़ ने सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं की मांगों पर अमल नहीं करती है तो निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा आगामी विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी.

Barmer News, Press conference, निजी शिक्षण संस्थान संघ
बाड़मेर में निजी शिक्षण संस्थान संघ ने की प्रेस वार्ता
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Published : Nov 6, 2020, 5:49 PM IST

बाड़मेर. कोविड-19 की वजह से उत्पन्न हुए हालातों की वजह से हर क्षेत्र प्रभावित है. कोविड-19 की दस्तक के साथ ही देशभर में सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे. ऐसे में 8 महीने बीत जाने के बावजूद निजी शिक्षण संस्थान नहीं खोले जाने की वजह से संचालकों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. शुक्रवार को बाड़मेर में निजी शिक्षण संस्थान संघ ने प्रेस वार्ता कर सरकार से 8 महीनों से बंद पड़े स्कूलों को खोलने सहित कई मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी और 16 सूत्रीय मांगे बताई.

बाड़मेर में निजी शिक्षण संस्थान संघ ने की प्रेस वार्ता

पढ़ें: गुर्जर आंदोलन का 6वां दिनः रेलवे ट्रैक पर शुरू किया भंडारा, समाज के लोग बोले- तेज करेंगे आंदोलन

निजी शिक्षण संस्थान के जिलाध्यक्ष बाल सिंह राठौड़ ने बताया कि कोरोना काल के शुरुआती दौर से लेकर अब तक करीब 8 महीने गुजर चुके हैं. सभी तरह के प्रतिष्ठान, मंदिर, पार्क और शॉपिंग मॉल समेत शराब के ठेके तक खोले जा चुके हैं. लेकिन, सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थाएं अभी भी बंद हैं. ये मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और शिक्षण पेशे से जुड़े लाखों लोगों के साथ कुठाराघात है.

बाल सिंह राठौड़ ने कहा कि कोचिंग के साथ ही सरकारी एवं निजी स्कूलों के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. वहीं, ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों में मानसिक तनाव की स्थिति अभी पैदा हो रही है. ऐसे में सरकार को आगे आना चाहिए और मेडिकल एडवाइजरी की पालना के साथ सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों को खोल जाने की अनुमति देनी चाहिए, जिससे आर्थिक संकट से जूझ रहे निजी शिक्षण संस्थानों के शिक्षक संचालकों सहित प्रत्येक वर्ग को राहत मिल सके.

पढ़ें: एलिवेटेड रोड हादसा : Audi कार चालक युवती पुलिस हिरासत में, दूसरी तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती

निजी शिक्षण संस्थान के जिलाध्यक्ष ने कहा कि आगामी 8 नवंबर को निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. इस सम्मेलन के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं के द्वारा आगामी रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रेस वार्ता का उद्देश्य निजी शिक्षण संस्थानों की वाजिब मांगों को सरकार तक पहुंचाना है. वहीं, सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं की मांगों पर अमल नहीं करती है तो निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा आगामी विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी.

ये हैं मुख्य मांगे
- गाइडलाइंस के साथ जल्द खुलें विद्यालय
- निजी विद्यालयों के लिए मिले आर्थिक पैकेज
- 28 अक्टूबर को राज्य सरकार द्वारा जारी फीस निर्धारण आदेश को वापस लिया जाए
- आरटीई बकाया भुगतान दीपावली से पहले कराया जाए
- मदरसा बोर्ड की तर्ज पर राजस्थान में निजी शिक्षा बोर्ड का हो गठन
- जिला मुख्यालय पर सृजित हो वरिष्ठ उप जिला शिक्षा अधिकारी निजी शिक्षा पद
- ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित विद्यालयों के मूल रूपांतरण की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए

बाड़मेर. कोविड-19 की वजह से उत्पन्न हुए हालातों की वजह से हर क्षेत्र प्रभावित है. कोविड-19 की दस्तक के साथ ही देशभर में सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे. ऐसे में 8 महीने बीत जाने के बावजूद निजी शिक्षण संस्थान नहीं खोले जाने की वजह से संचालकों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. शुक्रवार को बाड़मेर में निजी शिक्षण संस्थान संघ ने प्रेस वार्ता कर सरकार से 8 महीनों से बंद पड़े स्कूलों को खोलने सहित कई मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी और 16 सूत्रीय मांगे बताई.

बाड़मेर में निजी शिक्षण संस्थान संघ ने की प्रेस वार्ता

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निजी शिक्षण संस्थान के जिलाध्यक्ष बाल सिंह राठौड़ ने बताया कि कोरोना काल के शुरुआती दौर से लेकर अब तक करीब 8 महीने गुजर चुके हैं. सभी तरह के प्रतिष्ठान, मंदिर, पार्क और शॉपिंग मॉल समेत शराब के ठेके तक खोले जा चुके हैं. लेकिन, सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थाएं अभी भी बंद हैं. ये मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और शिक्षण पेशे से जुड़े लाखों लोगों के साथ कुठाराघात है.

बाल सिंह राठौड़ ने कहा कि कोचिंग के साथ ही सरकारी एवं निजी स्कूलों के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. वहीं, ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों में मानसिक तनाव की स्थिति अभी पैदा हो रही है. ऐसे में सरकार को आगे आना चाहिए और मेडिकल एडवाइजरी की पालना के साथ सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों को खोल जाने की अनुमति देनी चाहिए, जिससे आर्थिक संकट से जूझ रहे निजी शिक्षण संस्थानों के शिक्षक संचालकों सहित प्रत्येक वर्ग को राहत मिल सके.

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निजी शिक्षण संस्थान के जिलाध्यक्ष ने कहा कि आगामी 8 नवंबर को निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. इस सम्मेलन के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं के द्वारा आगामी रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रेस वार्ता का उद्देश्य निजी शिक्षण संस्थानों की वाजिब मांगों को सरकार तक पहुंचाना है. वहीं, सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं की मांगों पर अमल नहीं करती है तो निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा आगामी विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी.

ये हैं मुख्य मांगे
- गाइडलाइंस के साथ जल्द खुलें विद्यालय
- निजी विद्यालयों के लिए मिले आर्थिक पैकेज
- 28 अक्टूबर को राज्य सरकार द्वारा जारी फीस निर्धारण आदेश को वापस लिया जाए
- आरटीई बकाया भुगतान दीपावली से पहले कराया जाए
- मदरसा बोर्ड की तर्ज पर राजस्थान में निजी शिक्षा बोर्ड का हो गठन
- जिला मुख्यालय पर सृजित हो वरिष्ठ उप जिला शिक्षा अधिकारी निजी शिक्षा पद
- ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित विद्यालयों के मूल रूपांतरण की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए

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