बाड़मेर. सोमवार को पूरे जिले में सभी संगठनों के अभियंता मंत्रालयिक कर्मचारियों और तकनीकी कर्मचारियों ने हाथों पर काली पट्टी बांधकर सरकार के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेशव्यापी आह्वान पर किया गया.
दरअसल, कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें भी कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिया जाए. इसलिए प्रदेश के हर जिले में जीएसएस एवं लाइन पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारियों ने मिलकर विरोध जताया.
इसे लेकर एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता रमेश पंवार ने बताया कि शायद ये पहला ऐसा विरोध-प्रदर्शन है. जिसमें एक संगठन के आह्वान पर सभी ट्रेंड यूनियन के अभियंता और कर्मचारियों ने भाग लिया.
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में बिजली विभाग के सभी अधिकारी कर्मचारी निरंतर 24 घंटे ड्यूटी देकर विद्युत आपूर्ति को सुचारू बनाए रखे हुए हैं. डिस्कॉम के कर्मचारियों की कड़ी मेहनत का नतीजा है कि लोगों को लॉकडाउन में विद्युत कटौती का सामना नहीं करना पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा राजस्थान में प्रवेश चिकित्सा और पुलिस विभाग के स्थाई और संविदा कर्मचारियों के लिए कोरोना संक्रमण की स्थिति में 50 लाख के बीमा की घोषणा की गई है. साथ ही वेतन स्थगन आदेश से मुक्त रखा गया है.
लेकिन बिजली विभाग के अति आवश्यक सेवाओं में होने के बावजूद भी किसी प्रकार की सुविधा नहीं देना विद्युत निगमों के कर्मचारियों अभियंता और अधिकारियों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना है. जबकि पूरे राजस्थान में लॉकडाउन के दौरान कई तकनीकी कर्मचारी दुर्घटना और हादसे का शिकार हु हैं. इसके बावजूद इन कर्मचारियों को बीमा पॉलिसी में लाभ नहीं मिला है.
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पंवार का कहना है कि विद्युत निगम के कर्मचारियों, अभियंताओं और अधिकारियों को पुलिस और चिकित्सा विभाग की भांति वेतन स्थगन से मुक्त रखा जाए. साथ ही कोरना कर्मवीर का दर्जा देते हुए 50 लाख रुपए वाली बीमा योजना में शामिल किया जाए. इसके अलावा मार्च माह का स्थगित किया हुआ वेतन जारी किया जाए. मांग नहीं माने जाने की स्थिति में कर्मचारियों ने उग्र-आंदोलन की चेतावनी दी है.