बाड़मेर. जिले का जीतू खटीक मामला लगातार तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है. मृतक के परिवार के साथ दलित समाज के लोग बीते 26 घंटे से मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठे हैं और शव उठाने से साफ इनकार कर रहे हैं. इस दौरान धरनास्थल पर कई अधिकारी पहुंचे और समझाइश की कोशिश की, लेकिन वे अपनी विभिन्न मांगों पर अड़े हुए हैं.
इस मामले में शुक्रवार को धरनास्थल पर दलित समाज के प्रतिनिधिमंडल और जिला एवं पुलिस प्रशासन के बीच समझौता वार्ता हुई. इसमें विभिन्न मुद्दों को लेकर कई सकारात्मक चर्चा भी की गई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला. वहीं अपनी मांगों को लेकर पिछले 26 घंटे से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
दलित नेता लक्ष्मण वडेरा ने बताया कि प्रशासन से हमारी सकारात्मक बात हुई है. हमने जो मांग पत्र दिया, उस मांग पत्र पर हमने सरकार से कहा है कि पीड़ित परिवार को इस मामले में आर्थिक सहायता दी जाए. इसके साथ ही परिवार के आश्रित को सरकारी नौकरी की मांग रखी.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही पुलिस ने हमसे शव का पोस्टमार्टम करने की बात रखी, लेकिन हम पोस्टमार्टम नहीं करवाएंगे. जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएगी. इस पर जिला और पुलिस प्रशासन की ओर से उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने की बात कही गई और इस बैठक में सकारात्मक बातें हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया है.
वहीं खटीक समाज के जिलाध्यक्ष खेमकरण खींची ने बताया कि धरनास्थल पर कई प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधिकारी आए, लेकिन सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिला है. इस दौरान उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी, तब तक हम शव नहीं उठाएंगे.
इसके साथ ही उन्होंने सरकार को दो टूक शब्दों में कहा कि अगर समय रहते कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. वहीं इस समझौता वार्ता में एडीजी रवि प्रकाश मेहरडा के साथ आईजी नवज्योति गोगाई, जिला कलेक्टर अंशदीप के साथ विभिन्न प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ दलित समाज के उदाराम मेघवाल, लक्ष्मण वडेरा, खटीक समाज के जिलाध्यक्ष खेमकरण खींची, जोगाराम चौधरी समेत करीबन 10 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर अपनी बात रखी है.