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वाघा बॉर्डर की तरह मुनाबाव चौकी को भी विकसित करने की उठी मांग

बाड़मेर में स्थित मुनाबाव चौकी को विकसित करने की मांग को अब तेज हो गई है. बॉर्डर के लोगों का कहना है कि सरकार ने जिस तरह से वाघा बॉर्डर पर पर्यटन को विकसित किया है, ठीक उसी तरह से भारत-पाकिस्तान का अंतिम अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन मुनाबाव और बॉर्डर फेंसिंग को भी पर्यटन के लिए विकसित किया जाए.

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मुनाबाव चौकी को पर्यटन के लिए विकसित करने की मांग
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Published : Feb 15, 2021, 8:25 PM IST

बाड़मेर. वाघा बॉर्डर स्थल के रूप में पूरे विश्व में विख्यात हो गया है. अब राजस्थान के बाड़मेर जिले से मुनाबाव चौकी को भी उसी तरीके से विकसित करने की मांग उठने लगी है. बॉर्डर के लोगों का कहना है कि जिस तरीके से वाघा बॉर्डर पर सरकार ने पर्यटन को विकसित किया है, उसी तरह से भारत-पाकिस्तान का अंतिम अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन मुनाबाव और बॉर्डर फेंसिंग को भी पर्यटन के लिए विकसित करके यहां पर लोगों को आने जाने की परमिशन दी जाए, ताकि इससे यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा.

मुनाबाव चौकी को पर्यटन के लिए विकसित करने की मांग

2006 में भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से कई सालों बाद रेल सेवा बहाल हुई थी. उसके बाद से ही लगातार दोनों देशों के बीच या सही भारत और पाकिस्तान आते जाते रह रहे हैं. हालांकि अभी दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब होने के चलते पिछले कुछ समय से बंद है.

इसके साथ ही मुनाबाव बॉर्डर पर और उसके आस-पास जबरदस्त तरीके से रेतीले धोरे चारों तरफ नजर आते हैं. लिहाजा अब इस मामले में प्रशासन से लेकर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी भी कहने लगे हैं कि सीमा चौकी को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए.

पढ़ें- मांगे पूरी होने पर डेढ़ महीने बाद काम पर लौटी आशा सहयोगिनी, CM का जताया आभार

तामलोर के सरपंच हिंदू सिंह बताते हैं कि जिस तरीके से पंजाब और गुजरात में सीमा चौकियों को विकसित किया गया है और उसके बाद लगातार वहां पर पर्यटन के रूप में जबरदस्त तरीके से विकसित हो गया है. ऐसा ही कुछ अब राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मुनाबाव चौकी पर करना चाहिए और इसके लिए अलग से बजट देना चाहिए. अब इस बात को लेकर हम जिला कलेक्टर से मुलाकात के साथ ही यहां के नेताओं से भी ये मांग करेंगे.

बाड़मेर. वाघा बॉर्डर स्थल के रूप में पूरे विश्व में विख्यात हो गया है. अब राजस्थान के बाड़मेर जिले से मुनाबाव चौकी को भी उसी तरीके से विकसित करने की मांग उठने लगी है. बॉर्डर के लोगों का कहना है कि जिस तरीके से वाघा बॉर्डर पर सरकार ने पर्यटन को विकसित किया है, उसी तरह से भारत-पाकिस्तान का अंतिम अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन मुनाबाव और बॉर्डर फेंसिंग को भी पर्यटन के लिए विकसित करके यहां पर लोगों को आने जाने की परमिशन दी जाए, ताकि इससे यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा.

मुनाबाव चौकी को पर्यटन के लिए विकसित करने की मांग

2006 में भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से कई सालों बाद रेल सेवा बहाल हुई थी. उसके बाद से ही लगातार दोनों देशों के बीच या सही भारत और पाकिस्तान आते जाते रह रहे हैं. हालांकि अभी दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब होने के चलते पिछले कुछ समय से बंद है.

इसके साथ ही मुनाबाव बॉर्डर पर और उसके आस-पास जबरदस्त तरीके से रेतीले धोरे चारों तरफ नजर आते हैं. लिहाजा अब इस मामले में प्रशासन से लेकर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी भी कहने लगे हैं कि सीमा चौकी को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए.

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तामलोर के सरपंच हिंदू सिंह बताते हैं कि जिस तरीके से पंजाब और गुजरात में सीमा चौकियों को विकसित किया गया है और उसके बाद लगातार वहां पर पर्यटन के रूप में जबरदस्त तरीके से विकसित हो गया है. ऐसा ही कुछ अब राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मुनाबाव चौकी पर करना चाहिए और इसके लिए अलग से बजट देना चाहिए. अब इस बात को लेकर हम जिला कलेक्टर से मुलाकात के साथ ही यहां के नेताओं से भी ये मांग करेंगे.

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