बाड़मेर. गरीबी के बीच मेहनत और कामयाबी की एक कहानी बाड़मेर में सामने आई है. यहां एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा अपने पहले ही प्रयास में नीट परीक्षा पास करके डॉक्टर बनने जा रहा है. जाहीर हैं कि जिले में एक मजदूर के बेटे की नीट परीक्षा पास करना दूसरों के लिये मिसाल बन गया हैं. वेद प्रकाश ने नीट परीक्षा में 4582वीं रैंक हासिल की तो वहीं पूरे भारत में SC श्रेणी में 65वां रैंक हासिल कर अपने माता-पिता का नाम रौशन कर दिया हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए वेद ने बताया कि नीट परीक्षा के लिए उसने 8 घंटे से भी अधिक पढ़ाई की थी. मगर उनके पिता दिन-रात मजदूरी कर पाई पाई जुटा कर उसे कोटा भेजा. यहां तक की उनके पिता ने अपनी गंभीर बीमारी का इलाज भी नहीं करवाया और बेटा भी पढ़ने में मेधावी होने की वजह से पहली ही कोशिश में नीट परीक्षा क्लियर कर लिया.
बेटे की इस सफलता से मजदूर पिचा टीकम चंद के घर में खुशियों का माहौल है. उनके बेटे वेद प्रकाश को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. नीट परीक्षा का रिजल्ट आते ही टीकम चंद के घर पर खुशियों का माहौल बन गया. बेटे वेद प्रकाश पर माता-पिता को पूरा भरोसा था और बेटे ने भी अपने माता-पिता का भरोसा नहीं तोड़ा और नीट फतह कर के ही माना.
वेद प्रकाश बताते हैं कि उसे कोटा जाने में काफी दिक्कत हुई क्योंकि घर वालों के पास इतने पैसे नहीं थे उसके बावजूद भी पिता ने इधर-उधर से पैसे उधार लिए और दिन-रात मजदूरी कर उसे कोटा भेजा. वेद बताते हैं कि उनके पिता को गंभीर बीमारी होने के बावजूद भी उन्होंने मुझे पढ़ाया और आज मैं नीट के पहले अटेम्प्ट में ही सफल हो गया हूं. अब मेरा एक सपना है कि मैं घर वालों और समाज की सेवा करू.
वेद प्रकाश की कहानी सबक देती है कि कितनी भी विपरीत हालात क्यों न हो अगर मन में इंसान कोई चीज ठान लेता है तो आखिर तक उसे करके ही रहता है. वेद प्रकाश और उसके घर वालों ने यह बात ठान ली थी कि वेद प्रकाश को डॉक्टर बनाना है और इसी के लिए उसके परिवार में इधर उधर से पैसे जुटा कर उसे कोटा भेजा और आज उसने अपनी सफलता से अपने मां-बाप का सर फक्र से ऊंचा कर दिया हैं. उसकी कामयाबी बताती है कि मेहनत ने उसे कामयाब बनाया है, बेशुमार सुविधाओं ने नहीं.