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सुन लो सरकार! 'किडनी' पीड़ित भंवरू खां की दर्द-ए-दास्तां...

इंसान के बाजुओं में जब तक ताकत होती है, तब तक वह अपने परिवार को पालने के लिए खून-पसीना एक कर देता है. लेकिन जब वही ताकत एक दिन बीमारी का रूप ले ले, तो वह हर तरफ से लाचार और मजबूर हो जाता है. ऐसी स्थिति में वह इंसान जिंदगी का एक-एक पल गुजारने के लिए आंसुओं की घूंट पीता रहता है. कुछ ऐसी ही दास्तां है, बाड़मेर जिले के सिवाना में रहने वाले भंवरू खां की...

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ईश्वर ने एक ही किडनी दी, वो भी हुई खराब
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Published : Jan 23, 2020, 1:27 PM IST

सिवाना (बाड़मेर). घर के एक मुखिया 'भंवरू खां', इन्हें ईश्वर ने जन्म से एक ही किडनी दी वो भी 60 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है. हजारों रुपए कमाकर ठाठ से जिंदगी जीने वाले भंवरू का परिवार आज एक वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है.

ईश्वर ने एक ही किडनी दी, वो भी हुई खराब

सिवाना कस्बे में रहने वाले 40 साल के भंवरू को किडनी की बीमारी ने इस कदर जकड़ रखा है कि वह पिछले ढाई साल से खाट पर ही हैं. उनके बीमार होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी बाधित हो रही है. बीमारी के चलते पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है.

यह भी पढ़ेंः सरपंच पद पर आधी आबादी का डंका, सेवर और उच्चैन की 2 ग्राम पंचायतों में आज दोबारा हो रहा मतदान

भंवरू खां ने बताया कि जब उनके बाजुओं में ताकत थी, तब उन्होंने खूब कमाया और बचत भी की. लेकिन बीमारी ने ऐसा जकड़ा की आज रुपए के अभाव में उन्हें घर के गहने और जेवरात भी बेचने पड़ गए.

गुजर-बसर के लिए सरकारी सहायता की दरकरार...

ऐसे में भंवरू ने बताया कि उन्हें सरकार से कुछ उम्मीद थी, लेकिन उस पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है. अब तो हद इतनी हो चुकी है कि उन्हें अपना रहवासी मकान भी बेचना पड़ सकता है. इलाज के लिए परिवार के पास में कुछ न होने से घर गिरवी रखकर इलाज करवा रहे हैं. ऐसे में सरकारी सहायता नहीं मिली तो घर बेचना पड़ सकता है.

इलाज के लिए लिया कर्ज...

भंवरू ने किडनी की इलाज के लिए लाखों रुपए कर्ज भी ले लिया है. ऐसे में उन्होंने सरकारी और निजी चिकित्सालयों में उपचार भी करवाया. लेकिन उन्हें किसी प्रकार को कोई फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा.

भंवरु खां ने सरकार से गुहार भी लगाई है कि परिवार की गुजर-बसर के लिए उन्हें कुछ सरकारी सहायता दी जाए, जिससे की उनके परिवार का पालन-पोषण हो सके.

सिवाना (बाड़मेर). घर के एक मुखिया 'भंवरू खां', इन्हें ईश्वर ने जन्म से एक ही किडनी दी वो भी 60 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है. हजारों रुपए कमाकर ठाठ से जिंदगी जीने वाले भंवरू का परिवार आज एक वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है.

ईश्वर ने एक ही किडनी दी, वो भी हुई खराब

सिवाना कस्बे में रहने वाले 40 साल के भंवरू को किडनी की बीमारी ने इस कदर जकड़ रखा है कि वह पिछले ढाई साल से खाट पर ही हैं. उनके बीमार होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी बाधित हो रही है. बीमारी के चलते पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है.

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भंवरू खां ने बताया कि जब उनके बाजुओं में ताकत थी, तब उन्होंने खूब कमाया और बचत भी की. लेकिन बीमारी ने ऐसा जकड़ा की आज रुपए के अभाव में उन्हें घर के गहने और जेवरात भी बेचने पड़ गए.

गुजर-बसर के लिए सरकारी सहायता की दरकरार...

ऐसे में भंवरू ने बताया कि उन्हें सरकार से कुछ उम्मीद थी, लेकिन उस पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है. अब तो हद इतनी हो चुकी है कि उन्हें अपना रहवासी मकान भी बेचना पड़ सकता है. इलाज के लिए परिवार के पास में कुछ न होने से घर गिरवी रखकर इलाज करवा रहे हैं. ऐसे में सरकारी सहायता नहीं मिली तो घर बेचना पड़ सकता है.

इलाज के लिए लिया कर्ज...

भंवरू ने किडनी की इलाज के लिए लाखों रुपए कर्ज भी ले लिया है. ऐसे में उन्होंने सरकारी और निजी चिकित्सालयों में उपचार भी करवाया. लेकिन उन्हें किसी प्रकार को कोई फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा.

भंवरु खां ने सरकार से गुहार भी लगाई है कि परिवार की गुजर-बसर के लिए उन्हें कुछ सरकारी सहायता दी जाए, जिससे की उनके परिवार का पालन-पोषण हो सके.

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घर के मुखिया को एक ही किडनी, वह भी खराब, परिवार का गुजर-बसर हुआ मुश्किल।

घर का मुखिया भंवरूखां की एक ही किडनी वह भी 60 % खराब परिवार का गुजर-बसर करना हुआ मुश्किल।



सिवाना(बाड़मेर)

घर का मुखिया हुआ बीमार, ईश्वर ने एक ही किडनी दी और वह भी 60% हो चुकी है खराब। हजारों रुपये कमाकर ठाट से जिंदगी जीने वाले भंवरू खां का परिवार दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है।


Body:सिवाना कस्बे निवासी 40 वर्षीय भंवरूखां की जन्म से ही एक किडनी हैं। ओर वो भी 60 प्रतिशत खराब हाे चुकी है। किडनी बीमारी ने भंवरूखां को ऐसे जकड़ रखा है जो पिछले ढाई साल से खाट पर है, घर का मुख्या बीमार होने से बच्चो की पढ़ाई पर भी बाधित हो रही हैं। बीमारी के चलते पूरा परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है।
वही बीमारी से पीड़ित भंवरूखां ने बताया की बाजुओं में जब ताकत थी तब खूब कमाया व संम्पति भी जमा की लेकिन बीमारी ने ऐसा जकड़ा की आज सब कुछ बिक चूका है, ना रुपये पैसे रहे ओर ना ही गहने जेवरात सब कुछ बेच दिया है, अब बच्चो की पढ़ाई भी चौपट हो चुकी है, कहि से सरकारी सहायता नही मिल रही हैै अब तो रहवासी मकान बेचने की नौबत आ सुुकी है।


Conclusion:गुजर-बसर के लिए सरकारी सहायता की दरकरार:
गरीब के इलाज के लिए परिवार के पास में कुछ नही होने से घर गिरवी रखकर इलाज करवाया का रहा है, ऐसे में सरकारी से सहायता नही मिली तो घर बेचना पड़ेगा | सिवाना कस्बे के रहने वाले असरफखां का पुत्र भंवरूखां जो एक ही किडनी के सहारे जिंदा है, ओर वो भी 60 फीसदी खराब है। किडनी के इलाज के लिए लाखों रुपए कर्ज ले लिया,ओर सरकारी व निजी चिकित्सालयों में जगह-जगह उपचार करवाया, लेकिन कोई फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है।
बीमारी से पीड़ित भंवरु खान सरकार से गुहार लगाई है कि परिवार की गुजर-बसर के लिए कुछ सहायता दी जाए ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके, साथ बीमारी से निजात मिले इसके लिये गुहार लगायी हैं।


बाइट-(1)-भवरूखां किडनी की बिमारी ग्रस्त
बाइट-(2)- भंवरूखां की पत्नी



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