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आर्टिकल-370 की सबसे बड़ी खुशी : राजा हरिसिंह के जमाने में श्रीनगर में थी हवेली, अब मोदी के फैसले से फिर लौटेगा कवि'राज' परिवार

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 हटने के बाद देशभर में जश्न का माहौल है. इन सबके बीच बाड़मेर और पाली में रहने वाला कविराज परिवार सबसे ज्यादा खुश हैं. जिसकी बड़ी वजह है अब राजा हरि सिंह के कविराज परिवार को कश्मीर में स्थित अपनी बेशकीमती हवेली और प्रॉपर्टी वापस मिलने की उम्मीद जगी है. ये परिवार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया करते हुए थक नहीं रहा है.

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Published : Aug 6, 2019, 8:43 PM IST

बालोतरा (बाड़मेर). कश्मीरी कविराज परिवार के सदस्य मूलरूप से पाली और बाड़मेर जिले के बालोतरा में रह रहे हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 हटने के बाद कविराज परिवार पीएम मोदी और गृह मंत्री की जमकर तारीफ कर रहा है.

मोदी सरकार के फैसले से कविराज परिवार को जगी उम्मीद

कविराज परिवार के सदस्य बताते हैं कि साल 1982 तक श्रीनगर के लाल चौक स्थित हवेली और वहां से करीब 20 किलोमीटर दूर गांदरबल तहसील में स्थित कविराज की माफिक जागीरदारी के बाकी हिस्सा राशि आ रही थी. इसके बाद राज परिवार से कोई सदस्य वहां नहीं गया और न ही वहां से किराया में आने वाली हिस्सा राशि पहुंचाई गई. जागीर गांव की हिस्सा राशि कश्मीर राज्य सरकार के खाते में जमा हो रही है. जो कि अब उन्हें मिलने की उम्मीद जगी है.

यह भी पढ़ेंः आवासीय और व्यवसायिक भवनों का बकाया गृहकर एक साथ जमा करने पर अब 50 फीसदी की छूट

बता दें कि कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने उन्हें कविराज उपाधि देकर कश्मीर का कविराज बनाया था. कश्मीर कविराज मुरादा दान की श्रीनगर लाल चौक में विशाल हवेली बनी हुई है. जहां वह परिवार के साथ निवास करते थे. कश्मीर के भारत में विलय होने के बाद कविराज मुरादा दान के बड़े बेटे एडवोकेट मोहन सिंह सोजत और छोटे बेटे एडवोकेट शिशुपाल सिंह बालोतरा (बाड़मेर) शिफ्ट हो गए. श्रीनगर की हवेली को 16 अलग-अलग किराएदारों को किराया चिट्ठी बनाकर दे दिया गया. वहीं अपनी जागीरी के बांकुरा गांव के खेतों की नीलामी से आने वाली 40 प्रतिशत हिस्से की राशि लेने वे समय-समय पर वहां जाते रहते हैं.

यह भी पढ़ेंः बाड़मेर शहरवासियों को जल्द मिलेगा आवारा पशुओं से छुटकारा, गोशाला का निर्माण कार्य जारी

कविराज परिवार के सदस्य प्रताप सिंह बताते हैं कि केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से उन्हें उम्मीद जगी है. कश्मीर तो जन्नत है मौका प्रस्तों ने इसे नर्क बना दिया और अब फिर धरती स्वर्ग बनेगी. केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब उनका पूरा परिवार एक राय होकर कोशिश करेगा कि धरती के स्वर्ग पर उनकी प्रॉपर्टी वापस मिले.

बालोतरा (बाड़मेर). कश्मीरी कविराज परिवार के सदस्य मूलरूप से पाली और बाड़मेर जिले के बालोतरा में रह रहे हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 हटने के बाद कविराज परिवार पीएम मोदी और गृह मंत्री की जमकर तारीफ कर रहा है.

मोदी सरकार के फैसले से कविराज परिवार को जगी उम्मीद

कविराज परिवार के सदस्य बताते हैं कि साल 1982 तक श्रीनगर के लाल चौक स्थित हवेली और वहां से करीब 20 किलोमीटर दूर गांदरबल तहसील में स्थित कविराज की माफिक जागीरदारी के बाकी हिस्सा राशि आ रही थी. इसके बाद राज परिवार से कोई सदस्य वहां नहीं गया और न ही वहां से किराया में आने वाली हिस्सा राशि पहुंचाई गई. जागीर गांव की हिस्सा राशि कश्मीर राज्य सरकार के खाते में जमा हो रही है. जो कि अब उन्हें मिलने की उम्मीद जगी है.

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बता दें कि कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने उन्हें कविराज उपाधि देकर कश्मीर का कविराज बनाया था. कश्मीर कविराज मुरादा दान की श्रीनगर लाल चौक में विशाल हवेली बनी हुई है. जहां वह परिवार के साथ निवास करते थे. कश्मीर के भारत में विलय होने के बाद कविराज मुरादा दान के बड़े बेटे एडवोकेट मोहन सिंह सोजत और छोटे बेटे एडवोकेट शिशुपाल सिंह बालोतरा (बाड़मेर) शिफ्ट हो गए. श्रीनगर की हवेली को 16 अलग-अलग किराएदारों को किराया चिट्ठी बनाकर दे दिया गया. वहीं अपनी जागीरी के बांकुरा गांव के खेतों की नीलामी से आने वाली 40 प्रतिशत हिस्से की राशि लेने वे समय-समय पर वहां जाते रहते हैं.

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कविराज परिवार के सदस्य प्रताप सिंह बताते हैं कि केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से उन्हें उम्मीद जगी है. कश्मीर तो जन्नत है मौका प्रस्तों ने इसे नर्क बना दिया और अब फिर धरती स्वर्ग बनेगी. केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब उनका पूरा परिवार एक राय होकर कोशिश करेगा कि धरती के स्वर्ग पर उनकी प्रॉपर्टी वापस मिले.

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कविराज परिवार को अब श्रीनगर के लाल चौक में अपनी हवेली वापस मिलने की जगी उम्मीद

बालोतरा- कश्मीर से धारा 370 हटाने की सिफारिश व अनुच्छेद 35a हटाने की केंद्र सरकार के फैसले से कश्मीर के अंतिम राजा हरि सिंह के कविराज परिवार को अब कश्मीर में स्थित अपनी बेशकीमती हवेली और प्रॉपर्टी वापस मिलने की उम्मीद जगी है। यह परिवार मोदी और अमित शाह का शुक्रिया अदा करते हुए थक नहीं रहा है। Body:कश्मीर कविराज परिवार के सदस्य पाली जिले के सोजत बाड़मेर जिले के बालोतरा में निवास कर रहे हैं । मूल रूप से पाली जिले के पास गांव निवासी कश्मीरी कविराज परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की प्रशंसा करते हुए थक नहीं रहे। परिवार के मौजूद लोग बताते हैं कि वर्ष 1982 तक श्रीनगर के लाल चौक स्थित हवेली व श्रीनगर से करीब 20 किलोमीटर दूर
गांदरबल तहसील में स्थित कविराज की माफिक जागीरदारी के बाकी हिस्सा राशि आ रही थी। इसके बाद माहौल राज परिवार से कोई सदस्य वहां नही गया और ना ही वहां से किराया या हिस्सा राशि पहुंची ।जागीर गांव की हिस्सा राशि कश्मीर की राज्य सरकार के खाते में जमा हो रही है। जो कि अब उन्हें मिलने की उम्मीद जगी है । कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने उन्हें कविराज उपाधि देकर कश्मीर का कविराज बनाया था। कश्मीर कविराज मुरादा दान की श्रीनगर लाल चौक में विशाल हवेली बनी हुई है। जहां वह परिवार के साथ निवास करते थे। कश्मीर के भारत में विलय होने के बाद कविराज मुरादा दान के बड़े बेटे एडवोकेट मोहन सिंह सोजत व छोटे बेटे एडवोकेट शिशुपाल सिंह बालोतरा का शिफ्ट हो गए। श्रीनगर की हवेली को 16 अलग-अलग किरदारों को किराया चिट्ठी बनाकर दे दिया गया। वहीं अपनी जागीरी के बांकुरा गांव के खेतों की नीलामी से आने वाली 40% हिस्से की राशि लेने वे समय-समय पर वहां जाते रहते हैं। कविराज परिवार के सदस्य प्रतापसिंह बताते हैं कि केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से उन्हें उम्मीद जगाई है। कश्मीर तो जन्नत है । मौका प्रस्तो ने इसे नर्क बना दिया और अब फिर धरती स्वर्ग बनेगा। केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब हमारा पूरा परिवार एक राय होकर कोशिश करेगा तो धरती के स्वर्ग पर अपनी प्रॉपर्टी को वापस पाने की उम्मीद है।


बाईट... सज्जन सिंह सदस्य कविराज परिवारConclusion:
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