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स्पेशलः ऑनलाइन एजुकेशन क्या शिक्षक-छात्रों के लिए एक नया अवसर लेकर आया है....

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Published : Jul 27, 2020, 6:23 AM IST

देश में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. साथ ही 1 जुलाई से देश में अनलॉक-2 भी लागू कर दिया गया है. लेकिन अभी भी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी गई है. अब बच्चों को पढ़ाने के लिए सभी स्कूल प्रशासन ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा ले रहे हैं. बाड़मेर में भी निजी स्कूल में ऑनलाइन एजुकेशन कराई जा रही है. जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जिले में पहुंच कर शिक्षा के हाल जाने.

राजस्थान न्यूज, barmer newsराजस्थान न्यूज, barmer news
बाड़मेर में शुरू हुई स्कूल की नई पहल

बाड़मेर. आज पूरे देश में अनलॉक- 2 लागू हो गया है, लेकिन आज भी एजुकेशन को लेकर सरकार ने साफ कर दिया है कि अभी स्कूल खोलने जैसी क्षति नहीं है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बॉर्डर के इलाकों से जहां पर आज भी बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं को लेकर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बाड़मेर जिले में ऑनलाइन एजुकेशन की क्या स्थिति है इस बात को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की.

बाड़मेर में शुरू हुई स्कूल की नई पहल

बाड़मेर जिला मुख्यालय के निजी स्कूल में पड़ताल

जिसके तहत सबसे पहले हम आपको बाड़मेर जिला मुख्यालय के निजी स्कूल का हाल बताते हैं कि किस तरीके से निजी स्कूल में ऑनलाइन एजुकेशन करवाई जा रही है. आपको बता दें कि ऑनलाइन एजुकेशन दो तरीके से करवाई जा रही है. एक तो स्कूल के टीचर वीडियो बनाकर यूट्यूब और व्हाट्सएप ग्रुप में भेज रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे चुनिंदा स्कूल हैं जो कि एप के जरिए बच्चों को स्कूल की तरह ही सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक ऑनलाइन एजुकेशन करवा रहे हैं.

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ऑनलाइन एजुकेशन से बच्चे सीख रहे नई चीजें

यह भी पढ़ें- बाड़मेर: राजस्व मंत्री, विधायक और कलेक्टर के साथ ठेकेदारों की बैठक, ऑयल कंपनी से पेमेंट दिलाने की मांग

शुरूआत में बच्चों को आ रही थी दिक्कत

इसी के तहत ईटीवी भारत की टीम ने एक निजी स्कूल विद्यार्थियों और टीचरों से बातचीत की. इस स्कूल के बच्चे बताते हैं कि जब स्टार्टिंग में ऑनलाइन एजुकेशन की बात हुई तो थोड़ा अटपटा लगा था, लेकिन जिस तरीके से कोविड-19 का कहर है हमनें धीरे-धीरे ऑनलाइन एजुकेशन को सीख लिया है, लेकिन हम इस समय सबसे ज्यादा स्कूल को मिस कर रहे हैं. वहीं, ऑनलाइन एजुकेशन पढ़ाने वाले टीचर कहते हैं कि ये पहला एक्सपीरियंस था जब ऑनलाइन एजुकेशन की शुरुआत हुई थी. काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन अब जाकर कुछ हद तक सब ठीक-ठाक चल रहा है. 60 से 70 परसेंट बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ रहे हैं.

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60 से 70 % रहती है बच्चों की उपस्थिति

स्कूल ने लिया ऑनलाइन एजुकेशन का सहारा

निजी स्कूल की प्रिंसिपल बताती है कि जैसा कि सबको पता है कि कोविड-19 का कहर इस कदर है कि स्कूल शुरू करना संभव नहीं है, इसलिए हमनें ऑनलाइन एजुकेशन का सहारा लिया. हम लोग शुरू से ही जैसे सुबह 7 बजे स्कूल शुरू होता है वैसे ही हमारे बच्चों की क्लास सुबह 7 बजे से लेकर 9:30 बजे तक चल रही है. 60 से 70 पर्सेंट बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन स्कूल में पार्टिसिपेट कर रहे हैं. बच्चों का भी अब रुझान अच्छा होने लगा है. यह जरूर है कि बहुत जगह दिक्कत भी आ रही है जिसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि जिस घर में 3 बच्चे होते हैं उनके पास तीन मोबाइल नहीं होते हैं जिसकी वजह से बड़ी दुविधा होती है.

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टीचर कर रहे बच्चों की समस्याओं को दूर

टीचर बताती हैं कि सबसे बड़ी समस्या तो ये हो रही है कि हर घर में मोबाइल तो है, लेकिन जो इंटरनेट से कनेक्ट होता है वो मोबाइल बच्चों को हर वक्त उपलब्ध नहीं हो पाता है. जिसके चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कभी इंटरनेट की दिक्कत आ जाती, कभी बैटरी की दिक्कत आ जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी हम 40 मिनट की क्लास लेते हैं और 20 मिनट का ब्रेक देते हैं, ताकि बच्चा फिर से फ्रेश हो जाए. इस तरीके से पढ़ाई कराई जा रही है.

ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर अभिभावकों का कहना है कि जिस तरीके से शुरू में ऑनलाइन एजुकेशन की बात की गई तो थोड़ा अजीब लगा था, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है. बच्चे अच्छी तरह से ऑनलाइन एजुकेशन में पढ़ाई कर रहे हैं.

स्टूडेंट ने कहा ऑनलाइन एजुकेशन से बहुत कुछ सीख रहे

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बच्चे कर रहे सोशल डिस्टेंसिंग की पालना

ईटीवी भारत की टीम ने सिवाना में सरकारी स्कूलों का हाल भी जाना तो पता चला कि ऐसे भी कई सरकारी स्कूल है जो कि ऑनलाइन एजुकेशन करवाई जा रही है. सिवाना कस्बे उच्च माध्यमिक विद्यालय में नवीं कक्षा की छात्रा जासमीन खान बताती हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन स्कूल की ओर से करवाई जा रही है और बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. यूट्यूब पर वीडियो भी अपलोड किए जा रहे हैं जिसे देखकर हम अपनी पढ़ाई को पूरा कर रहे हैं.

कुछ बच्चों का रिस्पॉन्स रहा नेगेटिव

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कुछ बच्चों का रिस्पॉन्स रहा नेगेटिव

बायतु कस्बे की स्टूडेंट साक्षी बी कॉम की छात्रा बताती हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर एक्सपीरियंस कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है क्योंकि लंबे समय तक मोबाइल के सामने हम बैठते हैं तो हमारी आंखें खराब हो जाती है. बायतु बीसीए के स्टूडेंट अक्षय जैन बताते हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन का कोई मतलब नहीं है क्योंकि जो पढ़ाई क्लास में होती है वो ऑनलाइन में नहीं हो पा रही है. हमें गांव में रहते हुए बहुत दिक्कत हो रही है.

यह भी पढ़ें- बाड़मेर में कोरोना मामलों के पिछले रिकॉर्ड टूटे, एक ही दिन में मिले 31 मरीज

चौहटन कस्बे के हिमांशु खत्री बताते हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन स्कूल को लेकर शुरू में यूट्यूब पर कुछ वीडियो अपलोड किए थे, लेकिन वो भी कुछ समझ में नहीं आ रहे थे. अब तो पूरे तरीके से ऑनलाइन पढ़ाई भी बंद हो गई है.

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स्कूल ने शुरू की पहल

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर ग्रामीण इलाकों में बच्चों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि हर किसी के पास स्मार्टफोन होना संभव नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ ऑनलाइन एजुकेशन में बच्चों को कुछ भी समझ में भी नहीं आ रहा है. हां ये जरूर है कि ये बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन में जरूर कुछ सीख पा रहे हैं, लेकिन एक बात तो साफ है कि जो पढ़ाई क्लास रूम में होती थी वो पढ़ाई ऑनलाइन एजुकेशन में देखने को नहीं मिल रही है, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा बच्चे स्कूल को मिस कर रहे हैं.

बाड़मेर. आज पूरे देश में अनलॉक- 2 लागू हो गया है, लेकिन आज भी एजुकेशन को लेकर सरकार ने साफ कर दिया है कि अभी स्कूल खोलने जैसी क्षति नहीं है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बॉर्डर के इलाकों से जहां पर आज भी बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं को लेकर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बाड़मेर जिले में ऑनलाइन एजुकेशन की क्या स्थिति है इस बात को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की.

बाड़मेर में शुरू हुई स्कूल की नई पहल

बाड़मेर जिला मुख्यालय के निजी स्कूल में पड़ताल

जिसके तहत सबसे पहले हम आपको बाड़मेर जिला मुख्यालय के निजी स्कूल का हाल बताते हैं कि किस तरीके से निजी स्कूल में ऑनलाइन एजुकेशन करवाई जा रही है. आपको बता दें कि ऑनलाइन एजुकेशन दो तरीके से करवाई जा रही है. एक तो स्कूल के टीचर वीडियो बनाकर यूट्यूब और व्हाट्सएप ग्रुप में भेज रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे चुनिंदा स्कूल हैं जो कि एप के जरिए बच्चों को स्कूल की तरह ही सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक ऑनलाइन एजुकेशन करवा रहे हैं.

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ऑनलाइन एजुकेशन से बच्चे सीख रहे नई चीजें

यह भी पढ़ें- बाड़मेर: राजस्व मंत्री, विधायक और कलेक्टर के साथ ठेकेदारों की बैठक, ऑयल कंपनी से पेमेंट दिलाने की मांग

शुरूआत में बच्चों को आ रही थी दिक्कत

इसी के तहत ईटीवी भारत की टीम ने एक निजी स्कूल विद्यार्थियों और टीचरों से बातचीत की. इस स्कूल के बच्चे बताते हैं कि जब स्टार्टिंग में ऑनलाइन एजुकेशन की बात हुई तो थोड़ा अटपटा लगा था, लेकिन जिस तरीके से कोविड-19 का कहर है हमनें धीरे-धीरे ऑनलाइन एजुकेशन को सीख लिया है, लेकिन हम इस समय सबसे ज्यादा स्कूल को मिस कर रहे हैं. वहीं, ऑनलाइन एजुकेशन पढ़ाने वाले टीचर कहते हैं कि ये पहला एक्सपीरियंस था जब ऑनलाइन एजुकेशन की शुरुआत हुई थी. काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन अब जाकर कुछ हद तक सब ठीक-ठाक चल रहा है. 60 से 70 परसेंट बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ रहे हैं.

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60 से 70 % रहती है बच्चों की उपस्थिति

स्कूल ने लिया ऑनलाइन एजुकेशन का सहारा

निजी स्कूल की प्रिंसिपल बताती है कि जैसा कि सबको पता है कि कोविड-19 का कहर इस कदर है कि स्कूल शुरू करना संभव नहीं है, इसलिए हमनें ऑनलाइन एजुकेशन का सहारा लिया. हम लोग शुरू से ही जैसे सुबह 7 बजे स्कूल शुरू होता है वैसे ही हमारे बच्चों की क्लास सुबह 7 बजे से लेकर 9:30 बजे तक चल रही है. 60 से 70 पर्सेंट बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन स्कूल में पार्टिसिपेट कर रहे हैं. बच्चों का भी अब रुझान अच्छा होने लगा है. यह जरूर है कि बहुत जगह दिक्कत भी आ रही है जिसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि जिस घर में 3 बच्चे होते हैं उनके पास तीन मोबाइल नहीं होते हैं जिसकी वजह से बड़ी दुविधा होती है.

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टीचर कर रहे बच्चों की समस्याओं को दूर

टीचर बताती हैं कि सबसे बड़ी समस्या तो ये हो रही है कि हर घर में मोबाइल तो है, लेकिन जो इंटरनेट से कनेक्ट होता है वो मोबाइल बच्चों को हर वक्त उपलब्ध नहीं हो पाता है. जिसके चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कभी इंटरनेट की दिक्कत आ जाती, कभी बैटरी की दिक्कत आ जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी हम 40 मिनट की क्लास लेते हैं और 20 मिनट का ब्रेक देते हैं, ताकि बच्चा फिर से फ्रेश हो जाए. इस तरीके से पढ़ाई कराई जा रही है.

ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर अभिभावकों का कहना है कि जिस तरीके से शुरू में ऑनलाइन एजुकेशन की बात की गई तो थोड़ा अजीब लगा था, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है. बच्चे अच्छी तरह से ऑनलाइन एजुकेशन में पढ़ाई कर रहे हैं.

स्टूडेंट ने कहा ऑनलाइन एजुकेशन से बहुत कुछ सीख रहे

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बच्चे कर रहे सोशल डिस्टेंसिंग की पालना

ईटीवी भारत की टीम ने सिवाना में सरकारी स्कूलों का हाल भी जाना तो पता चला कि ऐसे भी कई सरकारी स्कूल है जो कि ऑनलाइन एजुकेशन करवाई जा रही है. सिवाना कस्बे उच्च माध्यमिक विद्यालय में नवीं कक्षा की छात्रा जासमीन खान बताती हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन स्कूल की ओर से करवाई जा रही है और बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. यूट्यूब पर वीडियो भी अपलोड किए जा रहे हैं जिसे देखकर हम अपनी पढ़ाई को पूरा कर रहे हैं.

कुछ बच्चों का रिस्पॉन्स रहा नेगेटिव

राजस्थान न्यूज, barmer news
कुछ बच्चों का रिस्पॉन्स रहा नेगेटिव

बायतु कस्बे की स्टूडेंट साक्षी बी कॉम की छात्रा बताती हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर एक्सपीरियंस कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है क्योंकि लंबे समय तक मोबाइल के सामने हम बैठते हैं तो हमारी आंखें खराब हो जाती है. बायतु बीसीए के स्टूडेंट अक्षय जैन बताते हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन का कोई मतलब नहीं है क्योंकि जो पढ़ाई क्लास में होती है वो ऑनलाइन में नहीं हो पा रही है. हमें गांव में रहते हुए बहुत दिक्कत हो रही है.

यह भी पढ़ें- बाड़मेर में कोरोना मामलों के पिछले रिकॉर्ड टूटे, एक ही दिन में मिले 31 मरीज

चौहटन कस्बे के हिमांशु खत्री बताते हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन स्कूल को लेकर शुरू में यूट्यूब पर कुछ वीडियो अपलोड किए थे, लेकिन वो भी कुछ समझ में नहीं आ रहे थे. अब तो पूरे तरीके से ऑनलाइन पढ़ाई भी बंद हो गई है.

राजस्थान न्यूज, barmer news
स्कूल ने शुरू की पहल

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर ग्रामीण इलाकों में बच्चों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि हर किसी के पास स्मार्टफोन होना संभव नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ ऑनलाइन एजुकेशन में बच्चों को कुछ भी समझ में भी नहीं आ रहा है. हां ये जरूर है कि ये बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन में जरूर कुछ सीख पा रहे हैं, लेकिन एक बात तो साफ है कि जो पढ़ाई क्लास रूम में होती थी वो पढ़ाई ऑनलाइन एजुकेशन में देखने को नहीं मिल रही है, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा बच्चे स्कूल को मिस कर रहे हैं.

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