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गणेशा रामः 11 बार असफल होने के बाद प्रथम श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में हासिल किया जिले में पहला स्थान

बाड़मेर के रहने वाले गणेशाराम जीवन में कई बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती में बाड़मेर में पहली पायदान हासिल करने के साथ जोधपुर संभाग में दूसरा स्थान हासिल करने वाले गणेशाराम के चर्चे जिले भर में हो रहे हैं.

Barmer News,  फर्स्ट ग्रेड भर्ती परीक्षा
बाड़मेर में गणेशाराम ने फर्स्ट ग्रेड परीक्षा में मारी बाजी
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Published : Dec 21, 2020, 8:15 AM IST

बाड़मेर. कहते हैं असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए. असफलताओं के बाद मिली सफलता की खुशी ही कुछ और होती है. बस इसी सोच के साथ बाड़मेर के गणेशाराम अपनी असफलताओं से निराश नहीं हुए और निरंतर प्रयास करते रहे. गरीबी और अभावों के बावजूद शिक्षक बनने का जो सपना संजोया था. उसे आखिरकर पूरा कर लिया है. गणेशाराम कुल 11 बार असफल हुए, लेकिन वो अपने लक्ष्य से कभी भी पीछे नहीं हटे. फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती में बाड़मेर में पहली पायदान हासिल करने के साथ जोधपुर संभाग में दूसरा स्थान हासिल करने वाले गणेशाराम के चर्चे जिले भर में हो रहे हैं, क्योंकि इनकी सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरणादायक और प्रभावित करने वाली है.

बाड़मेर में गणेशाराम ने फर्स्ट ग्रेड परीक्षा में मारी बाजी

पढ़ें: मंत्रियों के सवालों के जवाब नहीं दे पाए अधिकारी, बिना तैयारी के आने पर पड़ी फटकार

9 भाई-बहनों के परिवार में गणेशाराम इकलौता ऐसे सदस्य हैं, जिसने स्कूल की तरफ रुख किया और चिमनी की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी की. थर्ड ग्रेड शिक्षक परीक्षा में 3 बार, सेकेंड ग्रेड में 3 बार और फर्स्ट ग्रेड में 5 बार असफल होने के बाद भी गणेशाराम ने हार नहीं मानी. गणेशाराम के परिवार की आर्थिक हालात उसके कदमों को जगाने का काम कर रही तो उसके पिता के शब्द उसे निरंतर आगे बढ़ने का हौसला दे रहे थे. कई बार असफल होने के बावजूद गणेशाराम ने अपनी हिम्मत को नहीं हारी और आखिरकार गणेशाराम ने हाल में आयोजित राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य में 18 वी पायदान हासिल की है. उन्होंने बाड़मेर में पहला स्थान हासिल किया और जोधपुर संभाग में वो दूसरे स्थान पर है.

गणेशाराम ने तंगहाली औऱ अभावों में भी शिक्षक बनने के सपने को संजोया. गणेशाराम बताते हैं कि 12वीं में 68 फीसदी बनने के बाद मैंने अपनी पढ़ाई की जंग को जारी रखा. ग्रेजुएशन किया. इस बीच मेरे भाई हमसे अलग हो गए, जिसके चलते ऐसी स्थितियां आई कि अब मेरे पास पढ़ाई का कोई जरिया नहीं रहा था. फिर कमठा मजदूरी पर काम शुरू किया. 2007 से 2009 तक कमठा मजदूरी पर काम किया. लेकिन, मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं आगे पढ़ाई जारी रख सकता. इसलिए मेरी बीएड लेट हुई और साल 2010 में पैसे इकट्ठे किए. साल 2011 में बीएड की और बाद में कंपटीशन की तैयारी में लग गया.

पढ़ें: NEET Counseling 2020: सरकारी पर्यवेक्षकों की निगरानी में होगी जयपुर, उदयपुर के निजी मेडिकल काॅलेजों में ज्वाइनिंग प्रक्रिया

गणेशाराम बताते हैं कि 5 बार फर्स्ट ग्रेड परीक्षा में असफल हुआ और 3-3 सेकेंड ग्रेड और थर्ड ग्रेड परीक्षा में असफल हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. साल 2018 में घर बैठकर परीक्षा की तैयारी की. इस दौरान कोई कोचिंग नहीं की, क्योंकि इसके लिए पैसे नहीं थे. इसके बाद साल 2018 की सेकेंड ग्रेड परीक्षा में राजस्थान में 214 वीं रैंक प्राप्त हुई तो मन में और हौसला बढ़ा. इसके बाद फर्स्ट ग्रेड करने की मन में ठान ली और इस बीच सेकेंड ग्रेड में जॉइनिंग भी मिल गई. इसके बाद साल 2020 की फर्स्ट ग्रेड में राजस्थान में 18वीं, जिले में पहली और संभाग में दूसरी रैंक हासिल की है. उन्होंने कहा कि असफलताओं से सीखा और आखिरकार सफलता को पा ही लिया है.

बाड़मेर. कहते हैं असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए. असफलताओं के बाद मिली सफलता की खुशी ही कुछ और होती है. बस इसी सोच के साथ बाड़मेर के गणेशाराम अपनी असफलताओं से निराश नहीं हुए और निरंतर प्रयास करते रहे. गरीबी और अभावों के बावजूद शिक्षक बनने का जो सपना संजोया था. उसे आखिरकर पूरा कर लिया है. गणेशाराम कुल 11 बार असफल हुए, लेकिन वो अपने लक्ष्य से कभी भी पीछे नहीं हटे. फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती में बाड़मेर में पहली पायदान हासिल करने के साथ जोधपुर संभाग में दूसरा स्थान हासिल करने वाले गणेशाराम के चर्चे जिले भर में हो रहे हैं, क्योंकि इनकी सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरणादायक और प्रभावित करने वाली है.

बाड़मेर में गणेशाराम ने फर्स्ट ग्रेड परीक्षा में मारी बाजी

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9 भाई-बहनों के परिवार में गणेशाराम इकलौता ऐसे सदस्य हैं, जिसने स्कूल की तरफ रुख किया और चिमनी की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी की. थर्ड ग्रेड शिक्षक परीक्षा में 3 बार, सेकेंड ग्रेड में 3 बार और फर्स्ट ग्रेड में 5 बार असफल होने के बाद भी गणेशाराम ने हार नहीं मानी. गणेशाराम के परिवार की आर्थिक हालात उसके कदमों को जगाने का काम कर रही तो उसके पिता के शब्द उसे निरंतर आगे बढ़ने का हौसला दे रहे थे. कई बार असफल होने के बावजूद गणेशाराम ने अपनी हिम्मत को नहीं हारी और आखिरकार गणेशाराम ने हाल में आयोजित राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य में 18 वी पायदान हासिल की है. उन्होंने बाड़मेर में पहला स्थान हासिल किया और जोधपुर संभाग में वो दूसरे स्थान पर है.

गणेशाराम ने तंगहाली औऱ अभावों में भी शिक्षक बनने के सपने को संजोया. गणेशाराम बताते हैं कि 12वीं में 68 फीसदी बनने के बाद मैंने अपनी पढ़ाई की जंग को जारी रखा. ग्रेजुएशन किया. इस बीच मेरे भाई हमसे अलग हो गए, जिसके चलते ऐसी स्थितियां आई कि अब मेरे पास पढ़ाई का कोई जरिया नहीं रहा था. फिर कमठा मजदूरी पर काम शुरू किया. 2007 से 2009 तक कमठा मजदूरी पर काम किया. लेकिन, मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं आगे पढ़ाई जारी रख सकता. इसलिए मेरी बीएड लेट हुई और साल 2010 में पैसे इकट्ठे किए. साल 2011 में बीएड की और बाद में कंपटीशन की तैयारी में लग गया.

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गणेशाराम बताते हैं कि 5 बार फर्स्ट ग्रेड परीक्षा में असफल हुआ और 3-3 सेकेंड ग्रेड और थर्ड ग्रेड परीक्षा में असफल हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. साल 2018 में घर बैठकर परीक्षा की तैयारी की. इस दौरान कोई कोचिंग नहीं की, क्योंकि इसके लिए पैसे नहीं थे. इसके बाद साल 2018 की सेकेंड ग्रेड परीक्षा में राजस्थान में 214 वीं रैंक प्राप्त हुई तो मन में और हौसला बढ़ा. इसके बाद फर्स्ट ग्रेड करने की मन में ठान ली और इस बीच सेकेंड ग्रेड में जॉइनिंग भी मिल गई. इसके बाद साल 2020 की फर्स्ट ग्रेड में राजस्थान में 18वीं, जिले में पहली और संभाग में दूसरी रैंक हासिल की है. उन्होंने कहा कि असफलताओं से सीखा और आखिरकार सफलता को पा ही लिया है.

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