नई दिल्ली: पिछले कुछ साल में उठाए गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं की संख्या में भारी कमी आई है. रेलवे सुरक्षा पहलों के कारण 2014 से अब तक रेल दुर्घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है. ट्रेन परिचालन के दौरान सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेलवे ने जो काम किए हैं उनमें इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग भी शामिल है.
साल 2014-15 में दुर्घटनाओं की संख्या 135 थी, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 40 रह गई है. वहीं, साल 2004 से 2014 के बीच रेल दुर्घटनाओं की संख्या 1711 थी, जो वर्ष 2014 से 2024 के दौरान घटकर 678 रह गई है. साल 2023-24 के दौरान रेल दुर्घटनाओं की संख्या औसतन 68 रह गई है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ट्रेन परिचालन में बेहतर सुरक्षा दर्शाने वाले एक अन्य डेटा के मुताबिक प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर दुर्घटनाएं (APMTKM) 2014-15 के मुकाबले 2023-24 में 0.11 से घटकर 0.03 हो गई हैं. यह डेटा इस अवधि के दौरान लगभग 73 प्रतिशत का सुधार दर्शाता है.
लोकसभा के आंकड़ों के अनुसार 2004 से 2014 की अवधि में 1711 रेल दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 904 लोगों की मृत्यु हुई और 3155 लोग घायल हुए, जबकि 2014 से 2024 की अवधि में 678 दुर्घटनाओं में कमी आई, 748 लोगों की मृत्यु हुई और 2087 लोग घायल हुए.
इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
मानवीय चूक के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इस साल 31 अक्टूबर तक 6,608 स्टेशनों पर पॉइंट्स और सिग्नल के केंद्रीकृत संचालन के साथ ये इंटरलॉकिंग सिस्टम उपलब्ध कराए गए हैं.
लेवल क्रॉसिंग की इंटरलॉकिंग
इन गेटों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए इस साल 31 अक्टूबर तक 11053 लेवल क्रॉसिंग गेटों पर एलसी गेट उपलब्ध कराए गए और इलेक्ट्रिकल साधनों द्वारा ट्रैक ऑक्यूपेंसी के वेरिफिकेशन ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए स्टेशनों की पूर्ण ट्रैक सर्किटिंग 3 अक्टूबर तक 6,619 स्टेशनों पर उपलब्ध कराई गई है.
मानवीय चूक के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए इस वर्ष 31 अक्टूबर तक 6,608 स्टेशनों पर पॉइंट्स और सिग्नलों के केंद्रीकृत संचालन के साथ ये इंटरलॉकिंग प्रणालियां उपलब्ध कराई गई हैं.
कवच 4.0
कवच एक एडवांस टेक्नोलॉजी सिस्टम है, जिसके लिए उच्चतम क्रम के सुरक्षा सार्टिफिकेट की आवश्यकता होती है. इसे जुलाई 2020 में राष्ट्रीय ATP सिस्टम के रूप में अपनाया गया था. कवच वर्जन 4.0 विविध रेलवे नेटवर्क के लिए आवश्यक सभी प्रमुख विशेषताओं को शामिल करता है. इसे पहले ही दक्षिण मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे पर 1548 आरकेएम पर तैनात किया जा चुका है. वर्तमान में, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किमी) पर काम चल रहा है.
विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस
लोको पायलटों की सतर्कता बढ़ाने के लिए सभी लोकोमोटिव विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस (VCD) से लैस हैं और विद्युतीकृत क्षेत्रों में सिग्नल से पहले दो ओवरहेड उपकरण (OHE) मस्तूलों पर स्थित रेट्रो-रिफ्लेक्टिव सिग्मा बोर्ड प्रदान किए जाते हैं, ताकि धुंध भरे मौसम के कारण दृश्यता कम होने पर चालक दल को आगे के सिग्नल के बारे में सचेत किया जा सके.
फॉग सेफ्टी डिवाइस
कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में लोको पायलटों को जीपीएस आधारित फॉग सेफ्टी डिवाइस (FSD) प्रदान किया जाता है, जो लोको पायलटों को सिग्नल और लेवल क्रॉसिंग गेट जैसे निकटवर्ती स्थलों की दूरी जानने में सक्षम बनाता है.
अल्ट्रासोनिक फ्लो डिटेक्शन
अल्ट्रासोनिक फ्लो डिटेक्शन (USFD) जांच का उपयोग रेल के दोषों का पता लगाने और दोषपूर्ण रेल को समय पर हटाने तथा ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्टम (OMS) और ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (TRC) द्वारा ट्रैक ज्यामिति की निगरानी के लिए किया जा रहा है.
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