बाड़मेर. राजस्थान के बाड़मेर निवासी समाजसेवी कंपाउंडर खेताराम महेश्वरी की मृत्यु के बाद उनकी अंतिम इच्छानुसार उनके पार्थिव शरीर को बाड़मेर के मेडिकल कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए सुपुर्द कर दिया गया. इससे पूर्व उनकी अंतिम यात्रा भी बाड़मेर शहर में निकाली गई. ये इस मेडिकल कॉलेज के लिए पहला देहदान है. सरहदी जिले बाड़मेर में ढ़ाट महेश्वरी समाज बाड़मेर के पूर्व अध्यक्ष, समाजसेवी और गायत्री परिवार बाड़मेर के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ व्यवस्थापक खेताराम महेश्वरी का देवलोकगमन शुक्रवार देर रात तक हो गया. जिसके बाद उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके परिजनों ने उनके पार्थिक शरीर को शनिवार के दिन मेडिकल कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए सुपुर्द कर दिया.
इससे समाजसेवी खेताराम महेश्वरी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए गायत्री मंदिर में रखवाया गया. जहां पर बाड़मेर के लोगों ने उनके अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद अंतिम यात्रा निकाली गई. जिसके बाद समाजसेवी खेताराम माहेश्वरी के मृत देह को मेडिकल कॉलेज में पूरी प्रक्रिया के तहत सुपुर्द कर दिया गया.
बालचन्द्र ने बताया कि उनके पिता खेताराम महेश्वरी हमेशा मानव सेवा के लिए तत्पर रहते थे. वो एक प्राइवेट कंपाउंडर थे और गायत्री मंदिर में हर दिन 2 घंटे नि:शुल्क लोगों की जांच करते थे. उन्होंने बताया कि करीबन दो साल पहले जब बाड़मेर में मेडिकल कॉलेज नहीं था तब जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में मेरे पिताजी ने संकल्प पत्र भरकर देहदान का संकल्प लिया था. और एक साल पहले इसकी जानकारी उन्होंने मुझे दी थी और शुक्रवार को देर रात उनका देहावसान हो गया. ऐसे में उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके मृत देह को मेडिकल कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए सुपुर्द किया है.
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गायत्री परिवार के सदस्य रेवत सिंह चौहान ने बताया कि समाजसेवी खेताराम महेश्वरी बचपन से ही गायत्री परिवार से जुड़े हुए थे और मानव सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे और उन्होंने अपने शरीर को देहदान करने का फैसला लिया था. आज उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके परिजनों ने उनके पार्थिक देह को मेडिकल कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए सुपुर्द किया है. यह इस मेडिकल कॉलेज के लिए पहला देहदान है.