ETV Bharat / state

बाड़मेर: करीब 50 हजार किसान रबी फसलों के ऋण से वंचित

author img

By

Published : Dec 21, 2020, 5:15 AM IST

किसान आंदोलन का समर्थन कर रही कांग्रेस के राज में राजस्थान के किसानों का हाल बेहाल है. अकेले बाड़मेर जिले के करीब 50 हजार किसान रबी फसलों के ऋण से वंचित हैं. 250 जीएसएस से जुड़े 50 हजार किसानों पर एक रुपए का भी कर्ज बकाया नहीं है, बावजूद इसके बैंक लोन नहीं दे रहा है.

barmer news,  rajasthan news
बाड़मेर जिले के करीब 50 हजार किसान रबी फसलों के ऋण से वंचित

बाड़मेर. कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस भी किसानों की हमदर्द बनकर किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रही है लेकिन राजस्थान में गहलोत सरकार में किसानों के हाल-बेहाल है. बाड़मेर जिले में करीब 50 हजार किसान रबी फसलों के ऋण से वंचित हैं.

हजारों किसान लोन नहीं मिलने से परेशान

सहकारिता मंत्री के आदेश के बावजूद सेंट्रल को-ऑपरेटिव व अपैक्स बैंक की लापरवाही के कारण अवधिपार श्रेणी में आए किसानों को कर्ज के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि 250 जीएसएस से जुड़े 50 हजार किसानों पर एक रुपए का भी कर्ज बकाया नहीं है, बावजूद इसके बैंक लोन नहीं दे रहा है. ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष देवी सिंह ने बताया कि किसानों के खरीफ का भी ऋण हुआ नहीं अब रबी के ऋण के लिए किसान वहां जा रहे हैं और चक्कर काट रहे हैं.

उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने अपैक्स व सीसीबी को आदेश जारी कर वंचित किसानों को लोन देने के लिए छह माह पूर्व आदेश जारी कर दिए थे. उसके बावजूद भी अधिकारी इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को धक्के खाने पड़ रहे हैं और ऋण के लिए तरसना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए लेकिन किसानों को ऋण नहीं मिल रहा है और 2018 से डाटा समस्या आ रही है, किसान ऋण माफ किया गया था. लेकिन पोर्टल में उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर रखा है. जिसकी वजह से उन्हें ऋण नहीं मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर मैंने एमडी से भी बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे पास बजट नहीं है. राजस्थान सरकार देगी तो हम ऋण देंगे. सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष हिंदू सिंह तामलोर ने बताया कि अकाल पड़ गया और ऊपर से कोरोना की मार से किसानों की हालत खराब है. बैंक एमडी द्वारा ना जाने किस वजह से किसानों को परेशान किया जा रहा है. राजस्व मंत्री हरीश चौधरी व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन भी इस मुद्दे की पैरवी कर चुके हैं, लेकिन बैंक अफसर गंभीर नहीं होने से किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.

पढ़ें: NEET Counseling 2020: सरकारी पर्यवेक्षकों की निगरानी में होगी जयपुर, उदयपुर के निजी मेडिकल काॅलेजों में ज्वाइनिंग प्रक्रिया

बिशाला के 450 किसान दो साल से लोन से वंचित हैं. जिले के बिशाला जीएसएस से 600 किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें हर साल खरीफ लोन बांटा जाता है. कर्जमाफी के बाद कर्जमुक्त हुए 400 किसानों को दो साल से कर्ज नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ डेढ़ सौ किसानों को ही नियमित कर्ज मिल रहा है. इस संबंध में किसान मंत्री, जनप्रतिनिधियों व अफसरों के पीछे चक्कर काटते थक चुके हैं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है.

जिले के 250 जीएसएस से जुड़े 50 हजार किसानों के फिंगर प्रिंट स्वीकार नहीं होने से खरीफ लोन नहीं मिल रहा है. किसी जीएसएस में दो सौ तो किसी में डेढ़ सौ किसान हैं, जिनके बैंक खाते अवधिपार की श्रेणी में हैं. बंधड़ा जीएसएस के सबसे ज्यादा तीन सौ किसान कर्जा माफ होने के बाद भी दो साल से खरीफ लोन से वंचित हैं. वहीं हरसाणी जीएसएस के दो सौ किसान लोन के लिए चक्कर काटते थक चुके हैं. ऐसी ही स्थिति शिव, बलाई समेत कई जीएसएस की है. सीसीबी के पास इस समस्या का समाधान नहीं है.

जिला कलेक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि खरीफ फसलों को लेकर 550 करोड़ का लक्ष्य आवंटन किया गया था. जिसमें से 589 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया है. 1 लाख 76 हजार 993 किसान लाभान्वित हुए हैं. वही रबी फसलों के लिए 222 करोड़ रुपए का फसली ऋण वितरित करने का लक्ष्य था, जिसमें से बैंक ने 197 करोड़ रुपए फसली ऋण वितरित कर दिया है. रबी की फसली ऋण का लाभ महज 44 हजार 811 किसानों को मिला है.

गौरतलब है कि कर्ज माफी 2018 व 2019 में जीएसएस स्तर पर किसानों की कर्जमाफी के दौरान व्यवस्थापकों ने अवधिपार हुए खातों में मूलधन के साथ ब्याज की राशि जोड़ दी. पोर्टल पर आंकड़े अपलोड होने के बाद फिंगर प्रिंट करते ही कर्जमाफी भी हो गई. लेकिन मूलधन के साथ ब्याज जुड़ने वाले किसानों के बैंक खातों को अवधिपार मान लिया गया है, ऐसे में अधिकारियो की गलती का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है और उन्हें लोन नहीं मिल रहा है.

बाड़मेर. कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस भी किसानों की हमदर्द बनकर किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रही है लेकिन राजस्थान में गहलोत सरकार में किसानों के हाल-बेहाल है. बाड़मेर जिले में करीब 50 हजार किसान रबी फसलों के ऋण से वंचित हैं.

हजारों किसान लोन नहीं मिलने से परेशान

सहकारिता मंत्री के आदेश के बावजूद सेंट्रल को-ऑपरेटिव व अपैक्स बैंक की लापरवाही के कारण अवधिपार श्रेणी में आए किसानों को कर्ज के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि 250 जीएसएस से जुड़े 50 हजार किसानों पर एक रुपए का भी कर्ज बकाया नहीं है, बावजूद इसके बैंक लोन नहीं दे रहा है. ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष देवी सिंह ने बताया कि किसानों के खरीफ का भी ऋण हुआ नहीं अब रबी के ऋण के लिए किसान वहां जा रहे हैं और चक्कर काट रहे हैं.

उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने अपैक्स व सीसीबी को आदेश जारी कर वंचित किसानों को लोन देने के लिए छह माह पूर्व आदेश जारी कर दिए थे. उसके बावजूद भी अधिकारी इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को धक्के खाने पड़ रहे हैं और ऋण के लिए तरसना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए लेकिन किसानों को ऋण नहीं मिल रहा है और 2018 से डाटा समस्या आ रही है, किसान ऋण माफ किया गया था. लेकिन पोर्टल में उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर रखा है. जिसकी वजह से उन्हें ऋण नहीं मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर मैंने एमडी से भी बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे पास बजट नहीं है. राजस्थान सरकार देगी तो हम ऋण देंगे. सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष हिंदू सिंह तामलोर ने बताया कि अकाल पड़ गया और ऊपर से कोरोना की मार से किसानों की हालत खराब है. बैंक एमडी द्वारा ना जाने किस वजह से किसानों को परेशान किया जा रहा है. राजस्व मंत्री हरीश चौधरी व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन भी इस मुद्दे की पैरवी कर चुके हैं, लेकिन बैंक अफसर गंभीर नहीं होने से किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.

पढ़ें: NEET Counseling 2020: सरकारी पर्यवेक्षकों की निगरानी में होगी जयपुर, उदयपुर के निजी मेडिकल काॅलेजों में ज्वाइनिंग प्रक्रिया

बिशाला के 450 किसान दो साल से लोन से वंचित हैं. जिले के बिशाला जीएसएस से 600 किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें हर साल खरीफ लोन बांटा जाता है. कर्जमाफी के बाद कर्जमुक्त हुए 400 किसानों को दो साल से कर्ज नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ डेढ़ सौ किसानों को ही नियमित कर्ज मिल रहा है. इस संबंध में किसान मंत्री, जनप्रतिनिधियों व अफसरों के पीछे चक्कर काटते थक चुके हैं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है.

जिले के 250 जीएसएस से जुड़े 50 हजार किसानों के फिंगर प्रिंट स्वीकार नहीं होने से खरीफ लोन नहीं मिल रहा है. किसी जीएसएस में दो सौ तो किसी में डेढ़ सौ किसान हैं, जिनके बैंक खाते अवधिपार की श्रेणी में हैं. बंधड़ा जीएसएस के सबसे ज्यादा तीन सौ किसान कर्जा माफ होने के बाद भी दो साल से खरीफ लोन से वंचित हैं. वहीं हरसाणी जीएसएस के दो सौ किसान लोन के लिए चक्कर काटते थक चुके हैं. ऐसी ही स्थिति शिव, बलाई समेत कई जीएसएस की है. सीसीबी के पास इस समस्या का समाधान नहीं है.

जिला कलेक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि खरीफ फसलों को लेकर 550 करोड़ का लक्ष्य आवंटन किया गया था. जिसमें से 589 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया है. 1 लाख 76 हजार 993 किसान लाभान्वित हुए हैं. वही रबी फसलों के लिए 222 करोड़ रुपए का फसली ऋण वितरित करने का लक्ष्य था, जिसमें से बैंक ने 197 करोड़ रुपए फसली ऋण वितरित कर दिया है. रबी की फसली ऋण का लाभ महज 44 हजार 811 किसानों को मिला है.

गौरतलब है कि कर्ज माफी 2018 व 2019 में जीएसएस स्तर पर किसानों की कर्जमाफी के दौरान व्यवस्थापकों ने अवधिपार हुए खातों में मूलधन के साथ ब्याज की राशि जोड़ दी. पोर्टल पर आंकड़े अपलोड होने के बाद फिंगर प्रिंट करते ही कर्जमाफी भी हो गई. लेकिन मूलधन के साथ ब्याज जुड़ने वाले किसानों के बैंक खातों को अवधिपार मान लिया गया है, ऐसे में अधिकारियो की गलती का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है और उन्हें लोन नहीं मिल रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.