बाड़मेर. जिले में शीतला सप्तमी का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जिसके चलते श्रद्धालुओं ने शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाकर खुद भी ठंडा भोजन ग्रहण किया. वहीं शहर के पुरानी सब्जी मंडी स्थित शीतला माता मंदिर और खत्री समाज के हिंगलाज मंदिर में बड़ी संख्या महिलाएं दर्शनों के लिए पहुंच रही हैं. बता दें कि शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाने का सिलसिला जारी है.
शीतला सप्तमी व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर किया जाता है. शीतला माता का पूजन कर, उन्हें बासी और ठंडे व्यंजनों का भोग लगाने के बाद घर के सभी सदस्य सिर्फ ठंडे व्यंजन ही खाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से शीतला माता देवी धन-धान्य से पूर्ण कर प्राकृतिक आपदाओं को दूर रखती है. इसके साथ ही पूजा करने एवं नियम और संयम से व्रत रखने पर चेचक, खसरा आदि रोगों का प्रकोप नहीं फैलता.
गृहणी कविता के अनुसार उन्होंने शीतला सप्तमी की तैयारी एक दिन पहले ही कर दी. ठंडा प्रसादी के रूप में एक दिन पहले ही भोजन बनाया गया जिसमें राब, करबा, मीठी नमकीन, पूडीया, पंचकुट , बाजरे का सोगरा शक्कर परे, दही बड़े आदि कई तरह के पारंपरिक पकवान बनाए गए. जिसका भोग आज शीतला माता को रविवार को लगाया गया. जिसके बाद घर के सभी सदस्यों ने ठंडे व्यंजनों का सेवन किया.
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उन्होंने बताया कि आज दिनभर कुछ गरम नहीं बनाएंगे. ज्योतिष ओम प्रकाश के अनुसार शीतला माता के व्रत रखने से बच्चों की सेहत अच्छी बनी रहती है. उन्हें किसी प्रकार का बुखार आंखों के रोग और ठंड से होने वाली बीमारियां नहीं होती. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि शीतला सप्तमी के बाद बासी भोजन नहीं किया जाता. यह बासी भोजन खाने का आखिरी दिन होता है. इसके बाद मौसम गर्म होता है, इसीलिए ताजा खाना खाया जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार शीतला माता की पूजा और इस व्रत में ठंडा भोजन करने से संक्रमण और अन्य तरह की बीमारियां नहीं होती हैं.