बाड़मेर. बाड़मेर में पुलिस हिरासत में एक दलित युवक की मौत का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. मृतक के परिजन के साथ दलित समाज के लोग मोर्चरी के आगे पिछले 48 घंटों से शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे हुए हैं. परिजनों ने अभी तक शव का दाह संस्कार नहीं किया है. इस बीच कई बार समझौता वार्ता हुई, लेकिन वह सफल नहीं हुई जिसके चलते अब तक मृतक का शव मोर्चरी में है.
बीते 48 घंटों से बाड़मेर में दलित समाज के लोग मोर्चरी के आगे शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. परिजनों ने 4 सूत्री मांगें पूरी नहीं होने तक शव उठाने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है. इन 48 घंटों के दौरान कई प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर परिजनों को समझाने का प्रयास किया.
लेकिन परिजन अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. उनकी मांग है कि पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपए का आर्थिक मुआवजा दिया जाए. मृतक आश्रित को सरकारी नौकरी और एक प्लॉट दिया जाए. वहीं दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.
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धरना स्थल पर धीरे-धीरे अब बाहर से भी लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. इस मामले ने राजनीतिक रंग लेना भी शुरू कर दिया है. दलित नेता सरवन चंदेल ने कहा कि बीते 48 घंटों में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है. दलित युवक की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. धारा 302 में प्रकरण दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई है.
चंदेल ने कहा कि अन्य मामलों में तो सरकार तुरंत कार्रवाई करती है, लेकिन बाड़मेर के इस दलित परिवार के लिए सरकार संवेदनशील नहीं दिख रही है. सरकार पूरी तरह टालमटोल कर रही है. जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक हम शव को नहीं उठाएंगे, हमारा धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.