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बाड़मेर में जरूरतमंदों की भूख मिटाने में लगे संघ कार्यकर्ता, बांट रहे राशन पैकेट - बाड़मेर में कोरोना का प्रभाव

इस समय पूरे देश में महामारी को लेकर जबरदस्त तरीके से हाहाकार मचा हुआ है. सबसे ज्यादा परेशानी गरीब और मजदूर हो रही है, लेकिन इनकी सहायता करने के लिए कई संगठन आगे आ रहे हैं. आरएसएस के कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डालकर गरीब और मजदूर भूखा ना रहे इसके लिए जी जान से लगे हुए हैं. अब तक एक हजार से अधिक लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा चुकी है.

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भूखों का पेट भर रहे हैं RSS कार्यकर्ता
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Published : Apr 6, 2020, 2:53 PM IST

बाड़मेर. लाॅकडाउन के दौरान बाड़मेर के आरएसएस कार्यालय पर एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां पर रोजाना 200 लोगों के लिए खाने-पीने के पैकेट बनाए जा रहे हैं. आरएसएस कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डालकर गरीब और मजदूर भूखा ना रहे इसके लिए जी जान से लगे हुए हैं. अब तक एक हजार से अधिक लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई गई है. उस राहत सामग्री के एक पैकेट में इतना सामान होता है कि, एक छोटा परिवार पांच दिन तक अपना गुजारा कर सकता है.

भूखों का पेट भर रहे हैं RSS कार्यकर्ता

आरएसएस के सह जिला संघचालक मनोहर बंसल ने बताया कि, जिस तरीके से लॉकडाउन में सबसे पहले जनता कर्फ्यू के दौरान हमें अंदाजा हो गया था कि, हालात बिगड़ सकते हैं. इसलिए हमने पहले ही अपने कार्यकर्ताओं से उनके आसपास की कच्ची बस्तियों का सर्वे करा लिया था और इस बात का पता लगा लिया था कि, ऐसे कितने परिवार हैं जो रोज कमाते और खाते हैं. उन्हीं परिवारों के लिए हमने ये व्यवस्था कर रखी है. जिसके अंदर 5 किलो आटा के साथ बाकी सारा सामान है, जो एक परिवार में 5 दिन के लिए पर्याप्त है.

पढ़ें- उदयपुर में कोरोना के डर से क्वॉरेंटाइन सेंटर में यूपी के रहने वाले मजदूर ने की आत्महत्या

उन्होंने बताया कि, संघ के कार्यकर्ता कार्यालय में ही इस तरीके के पैकेट बनाते हैं और उसके बाद अलग-अलग टीमें बनाकर इन पैकेट को देने के लिए रवाना हो जाते हैं. इस दौरान हम सावधानियां का भी पूरे तरीके से ख्याल रखते हैं. इस वक्त कोई इंसान भूखा ना रहे, इसलिए हम दिन रात लगे हुए हैं. बस इतना सा मकसद है कि, इस महामारी में कोई भी अपने आप को असहाय महसूस ना करें.

बाड़मेर. लाॅकडाउन के दौरान बाड़मेर के आरएसएस कार्यालय पर एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां पर रोजाना 200 लोगों के लिए खाने-पीने के पैकेट बनाए जा रहे हैं. आरएसएस कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डालकर गरीब और मजदूर भूखा ना रहे इसके लिए जी जान से लगे हुए हैं. अब तक एक हजार से अधिक लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई गई है. उस राहत सामग्री के एक पैकेट में इतना सामान होता है कि, एक छोटा परिवार पांच दिन तक अपना गुजारा कर सकता है.

भूखों का पेट भर रहे हैं RSS कार्यकर्ता

आरएसएस के सह जिला संघचालक मनोहर बंसल ने बताया कि, जिस तरीके से लॉकडाउन में सबसे पहले जनता कर्फ्यू के दौरान हमें अंदाजा हो गया था कि, हालात बिगड़ सकते हैं. इसलिए हमने पहले ही अपने कार्यकर्ताओं से उनके आसपास की कच्ची बस्तियों का सर्वे करा लिया था और इस बात का पता लगा लिया था कि, ऐसे कितने परिवार हैं जो रोज कमाते और खाते हैं. उन्हीं परिवारों के लिए हमने ये व्यवस्था कर रखी है. जिसके अंदर 5 किलो आटा के साथ बाकी सारा सामान है, जो एक परिवार में 5 दिन के लिए पर्याप्त है.

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उन्होंने बताया कि, संघ के कार्यकर्ता कार्यालय में ही इस तरीके के पैकेट बनाते हैं और उसके बाद अलग-अलग टीमें बनाकर इन पैकेट को देने के लिए रवाना हो जाते हैं. इस दौरान हम सावधानियां का भी पूरे तरीके से ख्याल रखते हैं. इस वक्त कोई इंसान भूखा ना रहे, इसलिए हम दिन रात लगे हुए हैं. बस इतना सा मकसद है कि, इस महामारी में कोई भी अपने आप को असहाय महसूस ना करें.

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