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बाड़मेर: सांचीहर जोशी समाज ने सामूहिक गौ पूजन कार्यक्रम का किया आयोजन

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Published : Aug 19, 2019, 8:34 PM IST

बाड़मेर जिले में सोमवार को साँचीहर जोशी समाज ने गौ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया. गौ को पूजने के लिए बड़ी संख्या में लोग इस कार्यक्रम में मौजूद रहे.

गौ पूजन कार्यक्रम , Cow worship program

बाड़मेर. जिले में साँचीहर जोशी समाज की ओर से सोमवार को सामूहिक गौ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में समाज की महिलाओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गाय और उसके बछड़े का पूजन किया. इस दौरान महिलाओं ने पति की दीर्घायु होने की कामना के साथ परिवार, समाज की खुशहाली की भी कामना की. इस कार्यक्रम में पंडित उमाकांत व्यास ने मंत्रोचारण किया.

बाड़मेर में गौ पूजन कार्यक्रम का किया गया आयोजन

साँचीहर जोशी समाज समिति के अध्यक्ष जयकिशन जोशी ने गौ पूजन कार्यक्रम के महत्व तथा लाभ पर प्रकाश डालते हुए लोगों को जानकारी दी. उन्होंने बहुला चौथ गौ पूजन की मान्यता के बारे में लोगों को अवगत कराया.

पढे़ं. रामगंजमंडी: रेलवे अंडरपास न बनने के कारण ग्रामीणों ने जताया विरोध, रेलवे क्रॉसिंग पर जमकर किया प्रदर्शन

आपको बता दें कि बहुला चौथ का पर्व साँचीहर जोशी समाज में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं और पुत्रवधु बिना जल के व्रत रखती हैं. व्रत रखने के साथ ही सोलह श्रृंगार धारण कर गाय की पूजा करती हैं.इस दौरान मंत्रोचारण के साथ गणेश वंदन होता है साथ ही गाय और उसके बछड़े की विधि विधान से पूजा-आरती की जाती है. इस दिन गाय से निर्मित दूध, दही, छाछ, घी समेत सभी चीजों का सेवन करना निषेध होता है.
साँचीहर जोशी समाज के अध्यक्ष उमाकांत व्यास ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से कजली तीज के ठीक दूसरे दिन भाद्रपद की चतुर्थी को 'बहुला चौथ' गौ पूजन के रूप में मनाया जाता है.

बाड़मेर. जिले में साँचीहर जोशी समाज की ओर से सोमवार को सामूहिक गौ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में समाज की महिलाओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गाय और उसके बछड़े का पूजन किया. इस दौरान महिलाओं ने पति की दीर्घायु होने की कामना के साथ परिवार, समाज की खुशहाली की भी कामना की. इस कार्यक्रम में पंडित उमाकांत व्यास ने मंत्रोचारण किया.

बाड़मेर में गौ पूजन कार्यक्रम का किया गया आयोजन

साँचीहर जोशी समाज समिति के अध्यक्ष जयकिशन जोशी ने गौ पूजन कार्यक्रम के महत्व तथा लाभ पर प्रकाश डालते हुए लोगों को जानकारी दी. उन्होंने बहुला चौथ गौ पूजन की मान्यता के बारे में लोगों को अवगत कराया.

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आपको बता दें कि बहुला चौथ का पर्व साँचीहर जोशी समाज में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं और पुत्रवधु बिना जल के व्रत रखती हैं. व्रत रखने के साथ ही सोलह श्रृंगार धारण कर गाय की पूजा करती हैं.इस दौरान मंत्रोचारण के साथ गणेश वंदन होता है साथ ही गाय और उसके बछड़े की विधि विधान से पूजा-आरती की जाती है. इस दिन गाय से निर्मित दूध, दही, छाछ, घी समेत सभी चीजों का सेवन करना निषेध होता है.
साँचीहर जोशी समाज के अध्यक्ष उमाकांत व्यास ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से कजली तीज के ठीक दूसरे दिन भाद्रपद की चतुर्थी को 'बहुला चौथ' गौ पूजन के रूप में मनाया जाता है.

Intro:बाड़मेर

सामूहिक गौमाता पूजन की साँचीहर जोशी समाज की अनोखी परम्परा

बाड़मेर में तीज के अगले दिन मंत्रोचारण के साथ बहुला चौथ पर हुआ गौमाता का सामूहिक पूजन,साँचीहर जोशी समाज की अनोखी परम्परा, महिलाओं ने पति की दीर्घायु होने की कामना, परिवार, समाज की खुशहाली की कामना।
Body:बाड़मेर में साँचीहर जोशी समाज की ओर से सोमवार को सामूहिक गौ पूजन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या में समाज की महिलाओं ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गाय व उसके बछड़े का पूजन किया। इस दौरान महिलाओं ने पति की दीर्घायु होने की कामना, परिवार, समाज की खुशहाली की कामना करते हुए गौ रक्षा का संकल्प लिया। कार्यक्रम में पंडित उमाकांत व्यास ने मंत्रोचारण किया। इस दौरान साँचीहर जोशी समाज समिति के अध्यक्ष जयकिशन जोशी ने गौ पूजन कार्यक्रम के महत्व तथा लाभ पर प्रकाश डाला। बहुला चौथ को लेकर मान्यता है कि द्वापर युग मे कामधेनु का अवतार बहुला गाय जंगल मे चरने के लिए गई थी। इस दौरान भगवान कृष्ण ने बहुला गाय की परीक्षा के लिए सिंह (शेर) का रूप धारण किया और बहुला गाय को दबोच लिया। माना जाता है कि इस दौरान बहुला गाय ने भगवान कृष्ण से अपने भूखे बछड़े को ढूध पिलाकर वापस लौटने की बात कहते हुए सत्य और धर्म की शपथ ली थी। उस समय सिंह का रूप धरे भगवान कृष्ण ने बहुला गाय को मुक्त कर दिया। तत्पश्चात बहुला गाय ने वहां से अपने बछड़े के पास पहुंची और बछड़े को दूध पिलाकर पुनः जंगल मे सिंह के पास पहुंची। बहुला गाय द्वारा धर्म और सत्य के वचनों से वापस लौटने पर भगवान कृष्ण बहुला गाय पर प्रसन्न हुए और उन्होंने बहुला गाय को आशीर्वाद देते हुए वरदान दिया कि भाद्रपद की चतुर्थी 'बहुला चौथ' मनाई जाएगी और सम्पूर्ण जगत में तुम्हारी पूजा होगी। मान्यता है कि तभी से बहुला चौथ को 'गौ पूजन' की परंपरा प्रारंभ हुई। बहुला चौथ का पर्व साँचीहर जोशी समाज मे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं व पुत्रवधु निर्जला व्रत रखकर व सोलह श्रृंगार धारण कर गाय की पूजा करती है। इस दौरान मंत्रोचारण के साथ गणेश वंदन होता है साथ ही गाय व उसके बछड़े की विधि विधान से पूजा-आरती की जाती है। साथ ही इस दिन गाय से निर्मित दूध, दही, छाछ, घी समेत सभी चीजों का सेवन करना निषेध होता है।Conclusion:साँचीहर जोशी समाज के अध्यक्ष उमाकांत व्यास ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से कजली तीज के ठीक दूसरे दिन भाद्रपद की चतुर्थी को 'बहुला चौथ' गौ पूजन के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि गौ पूजन के पर्व की परंपरा आदि-अनादि काल से चली आ रही है और उन्होंने इस परंपरा को अपने पूर्वजों से सीखा है और कई वर्षों से समाज इसे लगातार मनाता आ रहा है।

बाईट- उमाकांत व्यास, पंडित, साँचीहर जोशी समाज
बाईट- अल्का जोशी, श्रद्धालु
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