ETV Bharat / state

रिफाइनरी की घोषणा के बाद पचपदरा में जमीन के खरीदारों का मेला लगा रहता था, अब कोई नजर नहीं आ रहा

साल 2013 में जब बाड़मेर में रिफाइनरी की घोषणा हुई थी, तो यहां जमीन के खरीददारों का मेला लग गया था और रातों रात लाखों-करोड़ों के सौदे हुए, लेकिन इसके बाद रिफाइनरी को लेकर हुई देरी ने अब हालात ये कर दिए हैं कि पिछले दो साल से यहां करीब 2 हजार करोड़ का काम हो चुका है, लेकिन जमीन को अभी भी ऐतबार नहीं है.

Barmer news, refinery, बालोतरा समाचार, जमीन खरीददार
पचपदरा में जमीन के खरीददारों का नजर नहीं आ रहा
author img

By

Published : Dec 19, 2019, 10:27 AM IST

बालोतरा (बाड़मेर). दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक पर पीता है...यह कहावत रिफाइनरी क्षेत्र पचपदरा पर इन दिनों सटिक बैठ रही है. क्योंकि रिफाइनरी की घोषणा के बाद पचपदरा में जमीन के खरीददारों का मेला लगता है. वहां अब कोई नजर नहीं आ रहा. याद है 2013 में जब बाड़मेर में रिफाइनरी की घोषणा हुई थी, तो यहां जमीन के खरीददारों का मेला लग गया था और रातों रात लाखों-करोड़ों के सौदे हुए, लेकिन इसके बाद रिफाइनरी को लेकर हुई देरी ने अब हालात यह कर दिए है कि पिछले दो साल से यहां करीब 2 हजार करोड़ का काम हो चुका है, लेकिन जमीन को अभी भी ऐतबार नहीं है. तभी तो जमीनों के दाम जस के तस है. जसोल और पचपदरा उप तहसील और तहसील कार्यालयों में जमीनों की रजिस्ट्री के औसत में भी बदलाव नहीं आया है.

पचपदरा में जमीन के खरीददारों का नजर नहीं आ रहा

बालोतरा के राजेश भाई गहलोत रियल स्टेट के कारोबारी है, वो कहते है कि रिफाइनरी का काम आगे बढने के साथ जमीनों के दाम में 2013 जैसा बूम नहीं है और अब कुछ सौदे जरूर हुए है, लेकिन बड़ा बदलाव अभी नहीं आ रहा है. अब हमें बड़े सौदे की जरूरत है. जमीन के खरीददार आ रहे है, लेकिन सही जमीन नहीं मिल रही है. पचपदरा के गुलाब तेली कहते है कि जैसे-जैसे रिफाइनरी का काम हो रहा है, लोग जमीनों के चक्कर काटकर तो जा रहे है, लेकिन जितने में वो लेना चाहते है, उतने में यहां के लोग बेचना नहीं चाहते हैं. कुल मिलाकर अभी तेजी शुरू हुई है. पचपदरा, सांभरा, तिलवाड़ा, खेड़, जसोल, बालोतरा व आसपास के इलाके में यह स्थिति सभी जगह पर है.

यह भी पढ़ें- बाड़मेर: NGT की सुनवाई में बालोतरा के उद्योग धंधों पर गिर सकती है गाज

रिफाइनरी तो पचपदरा में बन रही है, लेकिन स्कील डवलपमेंट सेंटर, पेट्रो केमिकल कॉम्पलैक्स और अन्य सुविधाएं कहां-कहां होगी, इसको लेकर असमंजश बरकरार है. सौ किमी की दूरी में इन सुविधाओं का विस्तार जहां होना है, उसके इर्द-गिर्द ही जमीन लेने को लेकर भी लोग अभी इंतजार कर रहे है. स्थानीय लोगों को अभी एक फायदा जरूर होने लगा है कि विभिन्न कंपनियां अब यहां अपने काम के लिए किराए पर जमीन और मकान लेने लगी है. इन जमीनों को मासिक किराए पर देने के लिए लोग जुगाड़ लगाने में लगे है. बाड़मेर और बालोतरा शहर में मकान भी किराए पर लिए जा रहे हैं, जिनका अच्छा किराया मिलने लगा है.

बालोतरा (बाड़मेर). दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक पर पीता है...यह कहावत रिफाइनरी क्षेत्र पचपदरा पर इन दिनों सटिक बैठ रही है. क्योंकि रिफाइनरी की घोषणा के बाद पचपदरा में जमीन के खरीददारों का मेला लगता है. वहां अब कोई नजर नहीं आ रहा. याद है 2013 में जब बाड़मेर में रिफाइनरी की घोषणा हुई थी, तो यहां जमीन के खरीददारों का मेला लग गया था और रातों रात लाखों-करोड़ों के सौदे हुए, लेकिन इसके बाद रिफाइनरी को लेकर हुई देरी ने अब हालात यह कर दिए है कि पिछले दो साल से यहां करीब 2 हजार करोड़ का काम हो चुका है, लेकिन जमीन को अभी भी ऐतबार नहीं है. तभी तो जमीनों के दाम जस के तस है. जसोल और पचपदरा उप तहसील और तहसील कार्यालयों में जमीनों की रजिस्ट्री के औसत में भी बदलाव नहीं आया है.

पचपदरा में जमीन के खरीददारों का नजर नहीं आ रहा

बालोतरा के राजेश भाई गहलोत रियल स्टेट के कारोबारी है, वो कहते है कि रिफाइनरी का काम आगे बढने के साथ जमीनों के दाम में 2013 जैसा बूम नहीं है और अब कुछ सौदे जरूर हुए है, लेकिन बड़ा बदलाव अभी नहीं आ रहा है. अब हमें बड़े सौदे की जरूरत है. जमीन के खरीददार आ रहे है, लेकिन सही जमीन नहीं मिल रही है. पचपदरा के गुलाब तेली कहते है कि जैसे-जैसे रिफाइनरी का काम हो रहा है, लोग जमीनों के चक्कर काटकर तो जा रहे है, लेकिन जितने में वो लेना चाहते है, उतने में यहां के लोग बेचना नहीं चाहते हैं. कुल मिलाकर अभी तेजी शुरू हुई है. पचपदरा, सांभरा, तिलवाड़ा, खेड़, जसोल, बालोतरा व आसपास के इलाके में यह स्थिति सभी जगह पर है.

यह भी पढ़ें- बाड़मेर: NGT की सुनवाई में बालोतरा के उद्योग धंधों पर गिर सकती है गाज

रिफाइनरी तो पचपदरा में बन रही है, लेकिन स्कील डवलपमेंट सेंटर, पेट्रो केमिकल कॉम्पलैक्स और अन्य सुविधाएं कहां-कहां होगी, इसको लेकर असमंजश बरकरार है. सौ किमी की दूरी में इन सुविधाओं का विस्तार जहां होना है, उसके इर्द-गिर्द ही जमीन लेने को लेकर भी लोग अभी इंतजार कर रहे है. स्थानीय लोगों को अभी एक फायदा जरूर होने लगा है कि विभिन्न कंपनियां अब यहां अपने काम के लिए किराए पर जमीन और मकान लेने लगी है. इन जमीनों को मासिक किराए पर देने के लिए लोग जुगाड़ लगाने में लगे है. बाड़मेर और बालोतरा शहर में मकान भी किराए पर लिए जा रहे हैं, जिनका अच्छा किराया मिलने लगा है.

Intro:rj_bmr_rifaynri_jmin_bhav_kariddar_avb_rjc10097

रिफाइनरी की घोषणा के बाद पचपदरा में जमीन के खरीददारों का मेला लगता वँहा अब कोई नजर नही आ रहा


बालोतरा- दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक पर पीता है...यह कहावत रिफाइनरी क्षेत्र पचपदरा पर इन दिनों सटिक बैठ रही है। क्योंकि रिफाइनरी की घोषणा के बाद पचपदरा में जमीन के खरीददारों का मेला लगता वँहा अब कोई नजर नही आ रहा। याद है 2013 में जब बाड़मेर में रिफाइनरी की घोषणा हुई थी तो यहां जमीन के खरीददारों का मेला लग गया था और रातों रात लाखों-करोड़ों के सौदे हुए लेकिन इसके बाद रिफाइनरी को लेकर हुई देरी ने अब हालात यह कर दिए है कि पिछले दो साल से यहां करीब 2000 करोड़ का काम हो चुका है लेकिन जमीन को अभी भी ऐतबार नहीं है तभी तो जमीनों के दाम जस के तस है। जसोल और पचपदरा उप तहसील और तहसील कार्यालयों में जमीनों की रजिस्ट्री के औसत में भी बदलाव नहीं आया है। Body:बालोतरा के राजेश भाई गहलोत रियल स्टेट के कारोबारी है वो कहते है कि रिफाइनरी का काम आगे बढऩे के साथ जमीनों के दाम में 2013 जैसा बूम नहीं है और अब कुछ सौदे जरूर हुए है लेकिन बड़ा बदलाव अभी नहीं आ रहा है। अब हमें बड़े सौदे की जरूरत है ।जमीन के खरीददार आ रहे है लेकिन सही जमीन नही मिल रही है। पचपदरा के गुलाब तेली कहते है कि जैसे-जैसे रिफाइनरी का काम हो रहा है लोग जमीनों के चक्कर काटकर तो जा रहे है लेकिन जितने में वो लेना चाहते है उतने में यहां के लोग बेचना नहीं चाहते। कुल मिलाकर अभी तेजी शुरू हुई है। पचपदरा, सांभरा, तिलवाड़ा, खेड़, जसोल, बालोतरा व आसपास के इलाके में यह स्थिति सभी जगह पर है।Conclusion:रिफाइनरी तो पचपदरा में बन रही है लेकिन स्कील डवलपमेंट सेंटर, पेट्रो केमिकल कॉम्पलैक्स और अन्य सुविधाएं कहां-कहां होगी इसको लेकर असमंजश बरकरार है। सौ किमी की दूरी में इन सुविधाओं का विस्तार जहां होना है उसके इर्द गिर्द ही जमीन लेने को लेकर भी लोग अभी इंतजार कर रहे है। स्थानीय लोगों को अभी एक फायदा जरूर होने लगा है कि विभिन्न कंपनियां अब यहां अपने काम के लिए किराए पर जमीन और मकान लेने लगी है। इन जमीनों को मासिक किराए पर देने के लिए लोग जुगाड़ लगाने में लगे है। बाड़मेर और बालोतरा शहर में मकान भी किराए पर लिए जा रहे है, जिनका अच्छा किराया मिलने लगा है।


बाइट- 1 राजेश गहलोत रियल स्टेट कारोबारी
बाइट- 2 मोहनलाल कारोबारी
बाइट- 3 गुलाब तेली जमीन मालिक


ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.