बाड़मेर. कल्पना से परे था ये लेकिन जब विश्वास हो, आपके पास आइडिया का खजाना हो और टेकनीक का साथ हो तो सब मुमकिन है. जैसे बाबुल की गलियां (Babul ki Galiyan In Barmer). पचपदरा की दो बहनों की सोच और सोशल मीडिया के सुघड़ मेल ने एक ही आसमान तले अनगिनत पंछियों को चहकने का मौका दे दिया. बाबुल की बेटियां जो यहां से सात समंदर पार गईं वो बरसों बाद एक दूसरे को यूं सामने पाकर हैरान हैं, कई इमोशन्स हैं और यादें भी!
दो बहनों का कमाल- पचपदरा की ममता और भावना जैन का ब्रेनचाइल्ड है बाबुल की गलियां. मतलब इन दोनों ने पचपदरा की बेटियों को एक साथ मिलाने की रूपरेखा तैयार की. दोनों बहनें शादीशुदा हैं. महाराष्ट्र में पति और परिवार के साथ रहती हैं. पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ीं, प्लान किया और पचपदरा की बेटियों से वॉट्सएप के जरिए संपर्क साधा. ग्रुप बनाकर रायशुमारी की और फिर कार्यक्रम को आकार दे दिया. 12 से 14 जनवरी 2023 तक कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया और आज वो संकल्प साकार रूप ले चुका है.
'उम्मीद से ज्यादा बाबुल की बेटियां'- भावना जैन ने बताया कि मन में एक विचार आया कि क्यों ना व्हॉट्सएप के जरिए पचपदरा की बेटियों का एक कार्यक्रम आयोजित किया जाए. जिसके बाद छोटी बहन ममता के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की. सोचा था कि 200-300 बेटियां जुड़ेंगी लेकिन हमें खुशी है कि इस आयोजन में देश विदेश से 1000 हजार बेटियां बाबुल की गलियों में पहुंचीं.
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'बेटियों का महाकुंभ'- ममता कहती हैं कि इस तरह छोटे बड़े आयोजन कई जगहों पर हुए हैं जिसे सुनकर हमारे मन मे भी विचार आया क्यों न हम भी पचपदरा की बेटियों को एक स्थान पर इक्कट्ठा करें. कई जगह पर 200- 300 बेटियां इक्कट्ठा हुईं लेकिन पचपदरा में 1000 बेटिया एकत्रित हुईं जोकि अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है. छोटे से बेटियों के सम्मेलन का सोचा था लेकिन आज एक बेटियो का महाकुंभ बन गया है.
बेटियों के जोश से सब दंग- शुक्रवार को एक हजार बेटियों ने शोभायात्रा निकाली. कार्यक्रम के दूसरे दिन जैन श्वेतांबर नाकोड़ा तीर्थ से वरघोड़ा महोत्सव की शुरुआत हुई. जितनी बेटियां उतने खुशगवार रंग दिखे. अलग-अलग राजस्थानी परिवेश के साथ तथा वर्तमान कल्चर के साथ वेशभूषा में वरघोड़ा में शामिल हुईं और ढोल -नगाड़े, हाथी घोड़े, बैंड-बाजे के साथ आगे बढ़ीं. जिसने भी इस अनूठी यात्रा को देखा वो सराहे बगैर नहीं रह पाया.
डॉ रूमा देवी की मौजूदगी से सब निहाल- इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित एवं अंतरराष्ट्रीय फैशन डिजाइनर डॉ रूमादेवी भी पहुंचीं. उनके मुताबिक ये बेहतरीन शुरुआत है और उन्हें यकीन है कि कारवां बहुत दूर तक आगे पहुंचेगा. रूमा ने कहा- इन बेटियो ने जो पहल की है वो बहुत आगे तक जाएगी. इन बेटियो से मिलकर मुझे अच्छा लगा और इन्होंने जिस तरह से कार्यक्रम का आयोजन किया है वो भी बहुत शानदार है.