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बाड़मेर:अखिल राजस्थान राजीव गांधी प्रशिक्षित पैराटीचर संघ ने किया प्रदर्शन

बाड़मेर जिला मुख्यालय पर अखिल राजस्थान राजीव गांधी प्रशिक्षित पैराटीचर संघ ने सोमवार को प्रदर्शन किया. पैराटीचर्स अपना मानदेय बढ़ाने और नियमित करने की मांग कर रहे हैं. पैराटीचर्स का आरोप है कि लगातार विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन देने के बाद भी उनकी मांगें नहीं मानी जा रही हैं.

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Published : Sep 7, 2020, 9:26 PM IST

Para teacher protest in barmer,  Para teacher protest
अखिल राजस्थान राजीव गांधी प्रशिक्षित पैरा टीचर संघ ने किया प्रदर्शन

बाड़मेर. जिले के पैराटीचर शिक्षाकर्मियों की तरफ से प्रबोधक पर नियुक्ति की मांग अब मुखर होती नजर आ रही है. अखिल राजस्थान राजीव गांधी प्रशिक्षित पैराटीचर्स संघ की तरफ से सोमवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर प्रेस वार्ता का आयोजन कर अपनी मांगे रखी गई. पैरीटीचर्स ने पीएफ व्यवस्था लागू करने और समान कार्य समान वेतन की मांग सरकार के सामने रखी.

समान काम समान वेतन की मांग को लेकर पैराटीचर्स का प्रदर्शन

कम मानदेय के चलते नहीं हो रहा गुजारा

राज्य में विभिन्न सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में 1999 से कार्यरत 100 पैराटीचर राज्य के ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में राजकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य करवा रहे हैं. उनको मानदेय 9045 रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है. पैराटीचर पिछले 22 वर्षों से मात्र 9045 रुपए तक पहुंच पाए हैं जो सरकार के न्यूनतम मजदूरी से भी कम है. कुशल श्रमिक के बराबर भी वेतनमान नहीं पैराटीचर्स को नहीं मिल रहा है. जबकि यह कार्मिक एक शिक्षक जो प्रतिमाह 40 से 60 हजार वेतन लेता है, उसके बराबर काम कर रहे हैं. शिक्षण कार्य के अलावा भी चुनाव जनगणना, बीएलओ के साथ ही कोरोना महामारी में भी इन कार्मिकों को लगाया गया था लेकिन इसके बदले इन्हें उसका कोई फायदा सरकार नहीं दिया है.

पढ़ें: फिलहाल, ट्यूशन फीस का 70 फीसदी हिस्सा वसूलें स्कूल संचालकः हाईकोर्ट

प्रशिक्षित पैराटीचर संघ के जिला अध्यक्ष धनाराम सेन ने बताया कि उन्हें पीएल पारिवारिक बीमा, पीएफ कुछ भी नहीं दिया जाता है. निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने कार्यकाल में पंचायती राज प्रबोधक अधिनियम 2008 नया कैडर बनाकर परीक्षा के माध्यम से सभी प्रशिक्षित एसटीसी बीएड योग्यता धारी जिनकी संख्या 27 हजार के लगभग जो प्रबोधक बना दिया गया. उन्होंने कहा कि अभी सरकार हमें मासिक वेतन 9045 रुपए देती है. जिससे हमारे परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता है.

मांगे नहीं मानी तो जयपुर में करेंगे प्रदर्शन

धनाराम सेन ने बताया कि लगभग सभी कार्मिकों ने अपनी योग्यता पूर्ण कर ली है. कई बार धरना प्रदर्शन कर परमानेंट करने की मांग जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा चुके हैं लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 22 वर्षों से पैराटीचर्स लगातार शिक्षण कार्य करवा रहे हैं. सभी कार्मिकों की आयु सीमा सेवानिवृत्ति के नजदीक पहुंच गई है, कई सेवानिवृत्त भी हो गए हैं तो कई इस महंगाई से अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं होने के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठा चुके हैं. पैराटीचर्स ने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती हैं तो वो जयपुर जाकर प्रदर्शन करेंगे.

बाड़मेर. जिले के पैराटीचर शिक्षाकर्मियों की तरफ से प्रबोधक पर नियुक्ति की मांग अब मुखर होती नजर आ रही है. अखिल राजस्थान राजीव गांधी प्रशिक्षित पैराटीचर्स संघ की तरफ से सोमवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर प्रेस वार्ता का आयोजन कर अपनी मांगे रखी गई. पैरीटीचर्स ने पीएफ व्यवस्था लागू करने और समान कार्य समान वेतन की मांग सरकार के सामने रखी.

समान काम समान वेतन की मांग को लेकर पैराटीचर्स का प्रदर्शन

कम मानदेय के चलते नहीं हो रहा गुजारा

राज्य में विभिन्न सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में 1999 से कार्यरत 100 पैराटीचर राज्य के ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में राजकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य करवा रहे हैं. उनको मानदेय 9045 रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है. पैराटीचर पिछले 22 वर्षों से मात्र 9045 रुपए तक पहुंच पाए हैं जो सरकार के न्यूनतम मजदूरी से भी कम है. कुशल श्रमिक के बराबर भी वेतनमान नहीं पैराटीचर्स को नहीं मिल रहा है. जबकि यह कार्मिक एक शिक्षक जो प्रतिमाह 40 से 60 हजार वेतन लेता है, उसके बराबर काम कर रहे हैं. शिक्षण कार्य के अलावा भी चुनाव जनगणना, बीएलओ के साथ ही कोरोना महामारी में भी इन कार्मिकों को लगाया गया था लेकिन इसके बदले इन्हें उसका कोई फायदा सरकार नहीं दिया है.

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प्रशिक्षित पैराटीचर संघ के जिला अध्यक्ष धनाराम सेन ने बताया कि उन्हें पीएल पारिवारिक बीमा, पीएफ कुछ भी नहीं दिया जाता है. निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने कार्यकाल में पंचायती राज प्रबोधक अधिनियम 2008 नया कैडर बनाकर परीक्षा के माध्यम से सभी प्रशिक्षित एसटीसी बीएड योग्यता धारी जिनकी संख्या 27 हजार के लगभग जो प्रबोधक बना दिया गया. उन्होंने कहा कि अभी सरकार हमें मासिक वेतन 9045 रुपए देती है. जिससे हमारे परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता है.

मांगे नहीं मानी तो जयपुर में करेंगे प्रदर्शन

धनाराम सेन ने बताया कि लगभग सभी कार्मिकों ने अपनी योग्यता पूर्ण कर ली है. कई बार धरना प्रदर्शन कर परमानेंट करने की मांग जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा चुके हैं लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 22 वर्षों से पैराटीचर्स लगातार शिक्षण कार्य करवा रहे हैं. सभी कार्मिकों की आयु सीमा सेवानिवृत्ति के नजदीक पहुंच गई है, कई सेवानिवृत्त भी हो गए हैं तो कई इस महंगाई से अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं होने के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठा चुके हैं. पैराटीचर्स ने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती हैं तो वो जयपुर जाकर प्रदर्शन करेंगे.

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