अंता (बारां). जिले में दो दशक में कस्बे का चौमुखी विकास हुआ है. इसमें मुख्य मार्गों के अलावा भी कई जगह आवासीय कॉलोनियों के लिए भूखंड काटे गए. किंतु अधिकांश कालोनियों में ज्यादातर भूखंड खाली पड़े हैं.
इसके पीछे वजह साफ है कि भूखंड, मकान बनाने की जगह दोबारा बेचकर लाभ कमाने की दृष्टि से खरीदे गए थे. कई कालोनी में तो धनी लोगों ने एक से ज्यादा भूखंड भी खरीद लिए है. मगर अब मनचाहा दाम नहीं मिलने की वजह से और नोटबंदी के बाद तो जमीन और आवासीय भूखंडों की कीमत धरातल पर आ गई है. जिससे यह भूखंड बिक नहीं रहे है. दूसरी ओर जिन लोगों ने कालोनियों में मकान बना कर रहना शुरू कर दिया हैं. खाली पड़े प्लाटों में झाड़ियां उग आई. वहीं जहरीले कीटों की शरणस्थली बने हुए हैं.
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वहीं कई भूखंडों में बरसाती पानी भरा हुआ है, जिनकी निकासी न होने से यह पानी निर्माण हुए मकानों की नींव को खोखला कर रहा है. इसे लेकर मकान मालिक बेहद परेशान है. इस कारण नई बनी अधिकांश कालोनिया विकसित न हो पाने के साथ ही पर्याप्त मकानों का निर्माण न होने के चलते नगर पालिका से आवासीय बस्ती में भी बदल नहीं पा रही है. वहीं आसपास के कई लोग इन खाली भूखंड को कचरा पात्र के रूप में उपयोग करते हैं. वहीं कई भूखंडों में एकत्रित पानी से मच्छर पनपने कि समस्या बढ़ती चली जा रही है.