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ऐसे कैसे कोरोना से जितेंगे हम! वैश्विक महामारी को लेकर इस गांव में बरती जा रही है घोर लापरवाही

बारां जिले के बम्बूलिया कला ग्राम पंचायत में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का कोई खौफ देखने को नहीं मिला. गांव में कोरोना की गाइडलाइन की पालना का मिला-जुला असर देखने को मिला. जागरूक होते हुए भी ज्यादातर लोग गाइडलाइन का पालन नहीं करते दिखे.

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कोरोना से ग्रामीणों की जंग
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Published : Jun 17, 2020, 10:37 PM IST

अंता (बारां). लगभग चार हजार की आबादी वाले अंता के बम्बूलिया कला ग्राम पंचायत में पढ़े लिखे लोगों का बोलबाला है. इसके बावजूद यहां कोरोना जैसी भयंकर बीमारी को भी हल्के में लिया जा रहा है. लापरवाही ऐसी, कि ना मास्क का ख्याल है, ना सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का.

कोरोना से ग्रामीणों की जंग

ईटीवी भारत की टीम जब अंता के बम्बूलिया कला ग्राम पंचायत में पहुंची तो हाल देखकर हैरान होना लाजमी था. जगह-जगह लोग एक साथ बैठकर बातें करते नजर आए. गली-मोहल्लों में भी यही हालात बने हुए थे. लोग चबूतरों पर नजदीक बैठे बातों में मशगूल दिखाई दिए. लोगों के चहरों पर कोरोना की कोई शिकन नहीं थी.

गांव में कोरोना की गाइडलाइन की पालना का मिला-जुला असर देखने को मिला. जागरूक होते हुए भी ज्यादातर लोग गाइडलाइन का पालन नहीं करते दिखे. ऐसा इसलिए था क्योंकि गांव में अब तक एक भी कोरोना मरीज नहीं मिला है.

गांव में सामान्य दिनों जैसी दिनचर्या ही नजर आई. गांव के लोगों का कहना था कि कोरोना से बचाव को लेकर गांव में पहले सैनिटाइजर का छिड़काव कर दिया गया. ऐसे में एक बार छिड़काव कर देने के बाद से लोग खुद को पूरी तरह सुरक्षित महसूस करने लगे हैं. जागरूकता की बात करने पर ग्रामीणों ने कहा कि लोगों को सोशल डिस्टेंस तथा मास्क लगाने की प्रेरणा दी जा रही है ताकि कोरोना संक्रमण से बचा जा सके.

पढें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग: प्लानिंग से 'कोरोना फ्री' हुए ग्रामीण...सुरक्षित करने के लिए युवाओं ने संभाली कमान

प्रवासियों की आवाजाही ने जहां कोरोना को शहरों से गावों तक पहुंचा दिया. ऐसे में प्रवासियों के पंचायत क्षेत्र में आने और उनके रख-रखाव की बात को ग्रामीणों ने महत्वपूर्ण बताया. ग्रामीणों के मुताबिक यहां बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी के लिए यहां रजिस्टर मैंटेंन कर रखा है.

लोगों से बात करने पर ये तो पता चल गया कि ग्रामीणों को कोरोना के बारे में जानकारी है. सरकार की गाइडलाइन के बारे में लोग जागरूक होते हुए भी लोग पालना नहीं कर रहे हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि गांव में अभी तक कोरोना का एक भी केस नहीं आया है.

बम्बूलिया कला में लोगों ने बताया कि यहां से लगभग 25 से 30 लोग रोजाना बाहर काम करने जाते हैं, ऐसे में लोगों से सोशल डिस्टेंस बनाई जाती है. इस ग्राम पंचायत में अभी तक कोरोना का एक भी मरीज सामने नहीं आया है, यही वजह है कि गांव वाले कोरोना जैसी महामारी को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं.

पढें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग: सरकार और प्रशासन पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा कहा, सुनने वाला कोई नहीं...

सरपंच अनीता सुमन ने बताया कि कोरोना को लेकर गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया है. लोगों को सोशल डिस्टेंस तथा मास्क लगाने की पालना को लेकर जागरूक किया जा रहा है. साथ ही जरूरतमन्दों की मदद को लेकर खाद्य सामग्री पंहुचाई जा रही है. वहीं लोगों को घरों पर ही रहने को लेकर प्रेरित किया जा रहा है.

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में बम्बूलिया कला गांव में लॉकडाउन की पालना का मिला-जुला असर नजर आया. एक ओर जहां लोग कोरोना के नाम से ही खौफ में है, वहीं मरीज नहीं होने से बेखौफ होना गांव और प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल रहा है.

अंता (बारां). लगभग चार हजार की आबादी वाले अंता के बम्बूलिया कला ग्राम पंचायत में पढ़े लिखे लोगों का बोलबाला है. इसके बावजूद यहां कोरोना जैसी भयंकर बीमारी को भी हल्के में लिया जा रहा है. लापरवाही ऐसी, कि ना मास्क का ख्याल है, ना सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का.

कोरोना से ग्रामीणों की जंग

ईटीवी भारत की टीम जब अंता के बम्बूलिया कला ग्राम पंचायत में पहुंची तो हाल देखकर हैरान होना लाजमी था. जगह-जगह लोग एक साथ बैठकर बातें करते नजर आए. गली-मोहल्लों में भी यही हालात बने हुए थे. लोग चबूतरों पर नजदीक बैठे बातों में मशगूल दिखाई दिए. लोगों के चहरों पर कोरोना की कोई शिकन नहीं थी.

गांव में कोरोना की गाइडलाइन की पालना का मिला-जुला असर देखने को मिला. जागरूक होते हुए भी ज्यादातर लोग गाइडलाइन का पालन नहीं करते दिखे. ऐसा इसलिए था क्योंकि गांव में अब तक एक भी कोरोना मरीज नहीं मिला है.

गांव में सामान्य दिनों जैसी दिनचर्या ही नजर आई. गांव के लोगों का कहना था कि कोरोना से बचाव को लेकर गांव में पहले सैनिटाइजर का छिड़काव कर दिया गया. ऐसे में एक बार छिड़काव कर देने के बाद से लोग खुद को पूरी तरह सुरक्षित महसूस करने लगे हैं. जागरूकता की बात करने पर ग्रामीणों ने कहा कि लोगों को सोशल डिस्टेंस तथा मास्क लगाने की प्रेरणा दी जा रही है ताकि कोरोना संक्रमण से बचा जा सके.

पढें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग: प्लानिंग से 'कोरोना फ्री' हुए ग्रामीण...सुरक्षित करने के लिए युवाओं ने संभाली कमान

प्रवासियों की आवाजाही ने जहां कोरोना को शहरों से गावों तक पहुंचा दिया. ऐसे में प्रवासियों के पंचायत क्षेत्र में आने और उनके रख-रखाव की बात को ग्रामीणों ने महत्वपूर्ण बताया. ग्रामीणों के मुताबिक यहां बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी के लिए यहां रजिस्टर मैंटेंन कर रखा है.

लोगों से बात करने पर ये तो पता चल गया कि ग्रामीणों को कोरोना के बारे में जानकारी है. सरकार की गाइडलाइन के बारे में लोग जागरूक होते हुए भी लोग पालना नहीं कर रहे हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि गांव में अभी तक कोरोना का एक भी केस नहीं आया है.

बम्बूलिया कला में लोगों ने बताया कि यहां से लगभग 25 से 30 लोग रोजाना बाहर काम करने जाते हैं, ऐसे में लोगों से सोशल डिस्टेंस बनाई जाती है. इस ग्राम पंचायत में अभी तक कोरोना का एक भी मरीज सामने नहीं आया है, यही वजह है कि गांव वाले कोरोना जैसी महामारी को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं.

पढें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग: सरकार और प्रशासन पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा कहा, सुनने वाला कोई नहीं...

सरपंच अनीता सुमन ने बताया कि कोरोना को लेकर गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया है. लोगों को सोशल डिस्टेंस तथा मास्क लगाने की पालना को लेकर जागरूक किया जा रहा है. साथ ही जरूरतमन्दों की मदद को लेकर खाद्य सामग्री पंहुचाई जा रही है. वहीं लोगों को घरों पर ही रहने को लेकर प्रेरित किया जा रहा है.

कुल मिलाकर ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में बम्बूलिया कला गांव में लॉकडाउन की पालना का मिला-जुला असर नजर आया. एक ओर जहां लोग कोरोना के नाम से ही खौफ में है, वहीं मरीज नहीं होने से बेखौफ होना गांव और प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल रहा है.

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