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सूरज की तपिश में काम करने को मजबूर मजदूर - baran

बारां में आसमान से बरसती आग में मजदूर खुद को जलाकर मजदूरी कर रहे हैं. सूरज की तपिश के बीच जलते मजदूर अपने परिवार का पालन पोषण करने को मजबूर है. ऐसे में आजीविका के लिए कोई साधन नहीं होने के कारण भीषण गर्मी में मजदूर मजदूरी कर रहे है.

सूरज की तपिश में काम कर रहे मजदूर
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Published : Jun 11, 2019, 11:01 AM IST

बारां. जिले के बर्डिया बालाजी धाम के निकट मजदूर सुबह से लेकर शाम तक गर्मी के बीच अपना खून पसीना एक करते हुए. मजदूरी कर रहे हैं. वहीं ईटीवी भारत की टीम इन मजदूरों से भीषण गर्मी में इनकी हकीकत को तलाशने के लिए उस जगह पहुंची. जहां 50 डिग्री के तापमान में मजदूर काम कर रहे हैं.

सूरज की तपिश में काम कर रहे मजदूर

वहीं गर्मी का असली अनुमान पत्थरों के बीच तपककर होता है. मजदूरों ने बताया कि परिवार का पेट पालना के लिए 50 डिग्री के तापमान में काम करने को मजबूर हैं.वहीं एक मजदूर ने बताया कि पत्थर का काम करते -करते उसकी एक आंख की समस्या हो गई है. वहीं शरीर पर कई जख्म हो गए हैं.

परिवार की जिम्मेदारी पुरी करने के लिए इन चुनौतियों का सामना करते है. मजदूरों में सरकार के नुमाइंदों के प्रति भी गुस्सा देखने को मिला. जोकि हर 5 साल में इन मजदूरों से कई वादे कर वोट लेने पहुंच जाते हैं. वहीं सरकारी योजना का कोई फायदा नहीं मिलने पर मजदूरों में जमकर आक्रोश है.

बारां. जिले के बर्डिया बालाजी धाम के निकट मजदूर सुबह से लेकर शाम तक गर्मी के बीच अपना खून पसीना एक करते हुए. मजदूरी कर रहे हैं. वहीं ईटीवी भारत की टीम इन मजदूरों से भीषण गर्मी में इनकी हकीकत को तलाशने के लिए उस जगह पहुंची. जहां 50 डिग्री के तापमान में मजदूर काम कर रहे हैं.

सूरज की तपिश में काम कर रहे मजदूर

वहीं गर्मी का असली अनुमान पत्थरों के बीच तपककर होता है. मजदूरों ने बताया कि परिवार का पेट पालना के लिए 50 डिग्री के तापमान में काम करने को मजबूर हैं.वहीं एक मजदूर ने बताया कि पत्थर का काम करते -करते उसकी एक आंख की समस्या हो गई है. वहीं शरीर पर कई जख्म हो गए हैं.

परिवार की जिम्मेदारी पुरी करने के लिए इन चुनौतियों का सामना करते है. मजदूरों में सरकार के नुमाइंदों के प्रति भी गुस्सा देखने को मिला. जोकि हर 5 साल में इन मजदूरों से कई वादे कर वोट लेने पहुंच जाते हैं. वहीं सरकारी योजना का कोई फायदा नहीं मिलने पर मजदूरों में जमकर आक्रोश है.

Intro:बारां मैं आसमान से बरसती आग मैं मजदूर खुद को जलाकर मजदूरी कर रहे हैं सूरज की तपिश के बीच जलते मजदूर कि मजबूरी उनके परिवार का पालन पोषण करना है ऐसे में आजीविका को और कोई साधन नहीं होने के कारण भीषण गर्मी में मजदूर पत्थर को चीरते हुए मजदूरी करते हुए देखे जा सकते हैं इन मजदूरों की मेहनत को देखकर शायद एक बार सूरज की तपिश भी फीकी पड़ जाए लेकिन इनका जज्बा कमजोर नहीं होता बर्डिया बालाजी धाम के निकट मजदूर सुबह से लेकर शाम तक इसी तरीके से कड़ाके की गर्मी के बीच अपना खून पसीना एक करते हुए देखे जा सकते हैं


Body:ईटीवी भारत की टीम इन मजदूरों से भीषण गर्मी में इनकी हकीकत को तलाशने के लिए उस जगह पहुंची जहां 50 डिग्री के तापमान में शायद 5 मिनट खड़ा रहना भी काफी ज्यादा होगा गर्मी का अनुमान सड़क पर भीड़ को देखकर लगाया जाता है लेकिन सही मायने में असली गर्मी का अनुमान पत्थरों के बीच तपककर होता है ईटीवी भारत की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची भीषण गर्मी के बीच इन मजदूरों के हाल देख कर चौक गई जहां 5 मिनट खड़ा रहना मुश्किल है वहां यह मजदूर भरी दुपहरी में लगातार पत्थरों को तोड़ते हुए दिखाई दिए इन मजदूरों से बात कर जब जानकारी जुटाई गई तो मजदूरों का दर्द जुबां से बयां हो गया मजदूरों ने बताया कि परिवार का पेट पालना उनकी मजबूरी है और इसी मजबूरी के लिए यह काम करना बेहद जरूरी है एक मजदूर ने बताया कि पत्थर का काम करते करते उसकी एक आंख का पर्दा खत्म हो गया है शरीर के जर्रे जर्रे पर जख्म हुए पड़े हैं घर पर चार बच्चे हैं जिनमें दो बेटियां हैं इन सब की शादियां और पढ़ाई की जिम्मेदारी इतनी आसानी से पूरी नहीं होती इसलिए चुनौतियों का सामना करते हुए दिन-रात खून पसीना एक करने को मजबूर है मजदूरों में सरकार को नुमाइंदों के प्रति भी गुस्सा देखने को मिला जो कि हर 5 साल में इन मजदूरों से कई वादे कर वोट लेने पहुंच जाते हैं आज दिन तक सरकारी योजना का कोई फायदा नहीं मिलने पर मजदूरों में जमकर आक्रोश है


Conclusion:ऐसे मजदूरों की कहानी एक दो की नहीं बल्कि दरअसल ऐसे मजदूर है जो कि किसी न किसी भोजपुरी का आगे बेबस होकर इस तरीके से मेहनत करने के लिए लाचार है शायद मजदूरों की मेहनत देख कर सूरज की तपिश भी इनके साथ दें अपनी हार मान लेती होगी बाइट 01 मांगीलाल मजदूर
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