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शिक्षा मंत्री के फीस संबंधी बयान पर गैर सरकारी स्कूल संचालक भड़के

लॉकडाउन के कारण शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने स्कूलों की ओर से फीस की मांग करने पर No School No Fees का बयान दिया था. जिसको लेकर अब गैर सरकारी स्कूलों के संचालक भड़क गए हैं. रविवार को समिति संयोजक हेमलता शर्मा ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 50 हजार स्कूल संचालित हैं और इनके जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 11 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

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Published : Aug 9, 2020, 9:09 PM IST

rajasthan news, बांसवाड़ा न्यूज
स्कूलों ने दी सड़क पर आने की चेतावनी

बांसवाड़ा. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के No School No Fees संबंधी बयान को लेकर गैर सरकारी स्कूल संचालक भड़क गए हैं. इस मामले पर शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले गैर सरकारी स्कूल संचालक आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं.

स्कूलों ने दी सड़क पर आने की चेतावनी

इसी क्रम में समिति संयोजक हेमलता शर्मा और प्रवक्ता सीमा शर्मा सहित एक प्रतिनिधिमंडल हर जिला मुख्यालय पर पहुंचकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में जुटा है. अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर समिति के संयोजक शर्मा रविवार को बांसवाड़ा पहुंची. निजी स्कूल संचालकों से चर्चा के बाद उन्होंने यहां मीडिया से भी बातचीत की.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 50 हजार स्कूल संचालित है और इनके जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 11 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. शिक्षा मंत्री डोटासरा के स्कूल नहीं तो फीस नहीं बयान से स्कूल संचालकों के सामने कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो गई है. जब फीस ही नहीं होगी तो वे अपने कर्मचारियों को किस प्रकार वेतन दे पाएंगे.

उन्होंने शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके एक बेतुके बयान के कारण साधन संपन्न लोग भी फीस देने से बच रहे हैं. इससे करीब 11 लाख लोगों के सामने बेरोजगार होने का खतरा उत्पन्न हो गया है. यहां तक कि आर्थिक संकट के कारण अब तक 9 स्कूल संचालक आत्महत्या कर चुके हैं, जिसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है.

उन्होंने अपनी 3 सूत्री मांगे रखते हुए कहा कि बकाया फीस जमा कराने के निर्देश दिए जाने चाहिए. इसके अलावा स्कूलों के स्थाई खर्चों के भुगतान के लिए अन्य वर्गों की तरह आर्थिक पैकेज घोषित करना चाहिए और शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत जो अभिभावक फीस जमा कराने में सक्षम है. उसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए.

पढ़ें- बांसवाड़ाः आदिवासी दिवस पर परंपरागत नृत्य से महापुरुषों को किया याद

समिति संयोजक ने कहा कि पिछले 3 साल से आरटीई की राशि का भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की 65% राशि राज्य सरकार को ट्रांसफर कर दी है, लेकिन राज्य सरकार उस राशि पर ब्याज कमाने के साथ होटलों पर खर्च कर रही है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी मांगे नहीं मानने पर 11 लाख कर्मचारियों के साथ स्कूल संचालक अपने परिवार सहित सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी. प्रवक्ता सीमा शर्मा ने भी कई सवालों के जवाब दिए.

बांसवाड़ा. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के No School No Fees संबंधी बयान को लेकर गैर सरकारी स्कूल संचालक भड़क गए हैं. इस मामले पर शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले गैर सरकारी स्कूल संचालक आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं.

स्कूलों ने दी सड़क पर आने की चेतावनी

इसी क्रम में समिति संयोजक हेमलता शर्मा और प्रवक्ता सीमा शर्मा सहित एक प्रतिनिधिमंडल हर जिला मुख्यालय पर पहुंचकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में जुटा है. अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर समिति के संयोजक शर्मा रविवार को बांसवाड़ा पहुंची. निजी स्कूल संचालकों से चर्चा के बाद उन्होंने यहां मीडिया से भी बातचीत की.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 50 हजार स्कूल संचालित है और इनके जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 11 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. शिक्षा मंत्री डोटासरा के स्कूल नहीं तो फीस नहीं बयान से स्कूल संचालकों के सामने कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो गई है. जब फीस ही नहीं होगी तो वे अपने कर्मचारियों को किस प्रकार वेतन दे पाएंगे.

उन्होंने शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके एक बेतुके बयान के कारण साधन संपन्न लोग भी फीस देने से बच रहे हैं. इससे करीब 11 लाख लोगों के सामने बेरोजगार होने का खतरा उत्पन्न हो गया है. यहां तक कि आर्थिक संकट के कारण अब तक 9 स्कूल संचालक आत्महत्या कर चुके हैं, जिसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है.

उन्होंने अपनी 3 सूत्री मांगे रखते हुए कहा कि बकाया फीस जमा कराने के निर्देश दिए जाने चाहिए. इसके अलावा स्कूलों के स्थाई खर्चों के भुगतान के लिए अन्य वर्गों की तरह आर्थिक पैकेज घोषित करना चाहिए और शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत जो अभिभावक फीस जमा कराने में सक्षम है. उसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए.

पढ़ें- बांसवाड़ाः आदिवासी दिवस पर परंपरागत नृत्य से महापुरुषों को किया याद

समिति संयोजक ने कहा कि पिछले 3 साल से आरटीई की राशि का भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की 65% राशि राज्य सरकार को ट्रांसफर कर दी है, लेकिन राज्य सरकार उस राशि पर ब्याज कमाने के साथ होटलों पर खर्च कर रही है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी मांगे नहीं मानने पर 11 लाख कर्मचारियों के साथ स्कूल संचालक अपने परिवार सहित सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी. प्रवक्ता सीमा शर्मा ने भी कई सवालों के जवाब दिए.

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